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Kota News: चिरंजीवी योजना के तहत ई मित्र संचालक कूट रहे चांदी, लाभार्थियों की पॉलिसी के प्रिंट को नया बताकर ऐंठ रहे रुपए

मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती होने के लिए चिरंजीवी बीमा योजना की पॉलिसी मांगी जाती है. जिन लोगों का प्रीमियम सरकार ने जमा किया है. ऐसे मरीजों की पॉलिसी का प्रिंट निकालने के बदले ईमित्र संचालक मनमाने तरीक से दाम वसूल (E mitra operator is collecting arbitrary money) कर रहे हैं.

E mitra operator is collecting arbitrary money
ई मित्र संचालक
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Published : Apr 27, 2022, 10:22 PM IST

कोटा. प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना चिरंजीवी भी ईमित्र संचालकों के लिए चांदी कूटने का साधन बन गई है. कई ईमित्र संचालक जनता को लूट रहे हैं और उनसे निःशुल्क जारी पॉलिसी के भी पैसे वसूल (E mitra operator is collecting arbitrary money) रहे हैं. मामला मेडिकल कॉलेज कोटा के आसपास का है. अस्पताल में भर्ती होने के लिए चिरंजीवी बीमा योजना की पॉलिसी मांगी जाती है. जिन लोगों का प्रीमियम सरकार ने जमा किया है. अस्पताल में मरीजों से प्रिंट पॉलिसी का मांगा जाता है, ताकि उनका रजिस्ट्रेशन कैशलेस उपचार के लिए किया जा सके.

यह लोग अस्पताल के बाहर स्थित ईमित्र पर जाते हैं. जहां पॉलिसी का प्रिंट निकालने की एवज में पॉलिसी की राशि के बराबर पैसा ले लिया जाता है. मरीज का इलाज कराने की इमरजेंसी के चक्कर में लोग इन ईमित्र संचालकों की लूट खसोट के हत्थे चढ़ जाते हैं. इनमें अधिकांश ग्रामीण परिवेश से आने वाले लोगों के साथ यह ठगी की जा रही है. डीओआईटी के ज्वाइंट डायरेक्टर के मुकेश विजय का कहना है कि सरकार ने सीमांत एवं लघु किसान, सामाजिक सुरक्षा पेंशनर और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को निशुल्क बीमा की सुविधा दी है. इस तरह के लोगों से वसूली होना गलत है. इस संबंध में जांच करवाई जाएगी. साथ ही परिवादी हमें शिकायत देता है, तो निश्चित तौर पर ईमित्र संचालक पर कार्रवाई होगी.

चिरंजीवी योजना के तहत ई मित्र संचालक लाभार्थियों से ले रहे रुपए

पढ़े:सरकारी योजना का फायदा उठाने के लिए अस्पताल ने 3 मरीजों का किया जबरन ऑपरेशन, FIR दर्ज

प्रिंट निकाल कर बोला हो गई नई पॉलिसीः अस्पताल से चिरंजीवी पॉलिसी का प्रिंट लेने जाने वाले लोगों को ईमित्र संचालक बेवकूफ बनाकर उनसे पैसे ऐंठ लेता है. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती बारां जिले की आरती के पति मुकेश भी इसी तरह से ईमित्र पर गए. जहां पर पुरानी पॉलिसी का ही प्रिंट निकाल दिया. जबकि वह सरकारी स्कीम के तहत ही लाभार्थी थे. इसकी एवज में उनसे 450 रुपए ले लिए गए. अस्पताल स्टाफ की बात की जाए तो उनका कहना है कि इस तरह की ठगी दिन में करीब 25 से 30 मरीजों के साथ हो रही है. इन मरीजों का बीमा पहले ही सरकार ने करवाया हुआ है. इनका केवल उन्हें प्रिंट निकलवाना होता है. जब यह लोग ईमित्र पर जाते हैं, तो वह इन लोगों का प्रिंट निकालता है. साथ ही कहा जाता है कि नई पॉलिसी हुई है. जबकि पुरानी पॉलिसी का ही प्रिंट निकाल कर उनसे से रुपए ऐंठ लेता है.

पढ़े:Wrong operation in Jaipur - चिरंजीवी योजना के नाजायज फायदे के लिए जयपुर के निजी अस्पताल की करतूत...3 मरीजों के जबरन ऑपरेशन, अब होगा एक्शन

इधर, कैटेगरी बदल कर दी पॉलिसीः अस्पताल में भर्ती किरण के परिजन चिरंजीवी काउंटर पर गए थे. जहां पर उनका पंजीयन होना पाया. यह एसएमएफ कैटेगरी के अधीन हुआ था. जिसका प्रीमियम सरकार ने जमा करा दिया था. उसका पूरा परिवार चिरंजीवी योजना के तहत कैशलेस उपचार के लिए लाभार्थी था. परिजनों से चिरंजीवी बीमा योजना की पॉलिसी का प्रिंट निकलवाने के लिए कहा गया. इस पर वे ईमित्र पर गए जहां पर ई-मित्र संचालक ने उन्हें रखते हुए उनकी अगले साल मई 2022 से अप्रैल 2023 की ही पॉलिसी कर दी. इसके लिए भी 850 रुपए थे, लेकिन उसने 950 लिए हैं. जबकि वह जिस कैटेगरी में शामिल है. सरकार उनका अगला प्रीमियम अपने आप ही जमा करा दी थी. इस योजना में ई-मित्र संचालक ने नई पॉलिसी में केटेगरी भी बदल दी है.

कोटा. प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना चिरंजीवी भी ईमित्र संचालकों के लिए चांदी कूटने का साधन बन गई है. कई ईमित्र संचालक जनता को लूट रहे हैं और उनसे निःशुल्क जारी पॉलिसी के भी पैसे वसूल (E mitra operator is collecting arbitrary money) रहे हैं. मामला मेडिकल कॉलेज कोटा के आसपास का है. अस्पताल में भर्ती होने के लिए चिरंजीवी बीमा योजना की पॉलिसी मांगी जाती है. जिन लोगों का प्रीमियम सरकार ने जमा किया है. अस्पताल में मरीजों से प्रिंट पॉलिसी का मांगा जाता है, ताकि उनका रजिस्ट्रेशन कैशलेस उपचार के लिए किया जा सके.

यह लोग अस्पताल के बाहर स्थित ईमित्र पर जाते हैं. जहां पॉलिसी का प्रिंट निकालने की एवज में पॉलिसी की राशि के बराबर पैसा ले लिया जाता है. मरीज का इलाज कराने की इमरजेंसी के चक्कर में लोग इन ईमित्र संचालकों की लूट खसोट के हत्थे चढ़ जाते हैं. इनमें अधिकांश ग्रामीण परिवेश से आने वाले लोगों के साथ यह ठगी की जा रही है. डीओआईटी के ज्वाइंट डायरेक्टर के मुकेश विजय का कहना है कि सरकार ने सीमांत एवं लघु किसान, सामाजिक सुरक्षा पेंशनर और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को निशुल्क बीमा की सुविधा दी है. इस तरह के लोगों से वसूली होना गलत है. इस संबंध में जांच करवाई जाएगी. साथ ही परिवादी हमें शिकायत देता है, तो निश्चित तौर पर ईमित्र संचालक पर कार्रवाई होगी.

चिरंजीवी योजना के तहत ई मित्र संचालक लाभार्थियों से ले रहे रुपए

पढ़े:सरकारी योजना का फायदा उठाने के लिए अस्पताल ने 3 मरीजों का किया जबरन ऑपरेशन, FIR दर्ज

प्रिंट निकाल कर बोला हो गई नई पॉलिसीः अस्पताल से चिरंजीवी पॉलिसी का प्रिंट लेने जाने वाले लोगों को ईमित्र संचालक बेवकूफ बनाकर उनसे पैसे ऐंठ लेता है. मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती बारां जिले की आरती के पति मुकेश भी इसी तरह से ईमित्र पर गए. जहां पर पुरानी पॉलिसी का ही प्रिंट निकाल दिया. जबकि वह सरकारी स्कीम के तहत ही लाभार्थी थे. इसकी एवज में उनसे 450 रुपए ले लिए गए. अस्पताल स्टाफ की बात की जाए तो उनका कहना है कि इस तरह की ठगी दिन में करीब 25 से 30 मरीजों के साथ हो रही है. इन मरीजों का बीमा पहले ही सरकार ने करवाया हुआ है. इनका केवल उन्हें प्रिंट निकलवाना होता है. जब यह लोग ईमित्र पर जाते हैं, तो वह इन लोगों का प्रिंट निकालता है. साथ ही कहा जाता है कि नई पॉलिसी हुई है. जबकि पुरानी पॉलिसी का ही प्रिंट निकाल कर उनसे से रुपए ऐंठ लेता है.

पढ़े:Wrong operation in Jaipur - चिरंजीवी योजना के नाजायज फायदे के लिए जयपुर के निजी अस्पताल की करतूत...3 मरीजों के जबरन ऑपरेशन, अब होगा एक्शन

इधर, कैटेगरी बदल कर दी पॉलिसीः अस्पताल में भर्ती किरण के परिजन चिरंजीवी काउंटर पर गए थे. जहां पर उनका पंजीयन होना पाया. यह एसएमएफ कैटेगरी के अधीन हुआ था. जिसका प्रीमियम सरकार ने जमा करा दिया था. उसका पूरा परिवार चिरंजीवी योजना के तहत कैशलेस उपचार के लिए लाभार्थी था. परिजनों से चिरंजीवी बीमा योजना की पॉलिसी का प्रिंट निकलवाने के लिए कहा गया. इस पर वे ईमित्र पर गए जहां पर ई-मित्र संचालक ने उन्हें रखते हुए उनकी अगले साल मई 2022 से अप्रैल 2023 की ही पॉलिसी कर दी. इसके लिए भी 850 रुपए थे, लेकिन उसने 950 लिए हैं. जबकि वह जिस कैटेगरी में शामिल है. सरकार उनका अगला प्रीमियम अपने आप ही जमा करा दी थी. इस योजना में ई-मित्र संचालक ने नई पॉलिसी में केटेगरी भी बदल दी है.

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