कोटा. जिले में नगर विकास न्यास इन दिनों पैसे की कमी से जूझ रही है. हालात ये है कि शहर के कई बड़े प्रोजेक्ट, जिनका निर्माण कार्य पिछली भाजपा शासन में शुरू हुआ थे, वो सभी ठप पड़ चुके हैं. रंगपुर आरओबी का निर्माण कार्य 80 फ़ीसदी हो चुका है, उसका काम भी पिछले चार महीने से बंद पड़ा है. वहां एक भी पत्थर नहीं रखा गया है.
इसी तरह केशवपुरा फ्लाईओवर के निर्माण कार्य की गति भी थम गई है. अगर इसी गति से निर्माण कार्य चलता रहा तो अगले छह साल में भी ये निर्माण पूरा नहीं हो पाएगा. ये दो बड़े कार्य तो एक बानगी है. नगर विकास न्यास सड़क और नाली निर्माण के कार्य भी नहीं करवा पा रहा है. हालात ये है कि पैच वर्क के लिए भी नगर विकास न्यास के पास पैसा नहीं है. ऐसे में न्यास के अधिकारी ठेकेदारों को भुगतान नहीं करवा पा रहे हैं.
जनता हो रही परेशान
विकास कार्यों की गति रुक जाने से अधिकांश जगह रास्ते को डायवर्ट किया हुआ है और रास्ता भी कई जगह से खोदा हुआ है. ऐसे में यहां से गुजरने वाले शहरवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. रात के समय तो गड्ढों में गाड़ी उतर जाती है और कई दुर्घटनाएं भी इन निर्माण कार्यों के चलते हो चुकी है. निर्माण कार्य के चलते रात के समय पूरे बीच के आसपास अंधेरा छाया रहता है.
समय निकल गया, कार्य अभी भी अधूरे
नगर विकास न्यास ने केशवपुरा फ्लाईओवर का कार्य सितंबर 2017 में शुरू करवाया था. जिसे फरवरी 2019 में पूरा होना था, लेकिन निर्माण की गति ऐसी है कि ये कार्य अभी भी 60 फीसदी ही पूरा हो सका है. अब बजट के अभाव में गति इतनी शिथिल हो गई है कि इसी गति से काम चला तो 6 साल में भी यह प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाएगा. इसी तरह से रंगपुर आरओबी का काम भी साल 2016 में शुरू हुआ था. जिसे पूरा हो जाना चाहिए था. अभी भी 80 फीसदी भी काम हो पाया है. इस प्रोजेक्ट में ठेकेदार ने जहां 30 करोड़ के काम में से 23 करोड़ 50 लाख रुपए का काम कर दिया है. उसे यूआईटी ने 19 करोड़ रुपये ही दिया है. ऐसे में साढ़े चार करोड़ रुपये नहीं मिलने की एवज में उसने काम बंद किया हुआ है.
सरकार बदलते ही कैसे आ गया संकट
इस संबंध में जब ईटीवी भारत ने यूआईटी के अधिकारियों से बातचीत करनी चाही कि सरकार बदलते ही यूआईटी पर आर्थिक संकट कैसे आ गया तो अधिकारियों ने कैमरे पर आने से ही मना कर दिया. दबे स्वर में यूआईटी के अधिकारियों ने कहा कि आचार संहिता की वजह से नई योजनाओं की लॉन्चिंग अटक गई है. ऐसे में यूआईटी के पास पैसा ही नहीं है.