कोटा. कोटा से इंदौर निजामुद्दीन एक्सप्रेस ट्रेन से एक युवक दिल्ली जा रहा था. तभी ओखला स्टेशन के नजदीक लुटेरों ने पहले तो युवक से लूटपाट की. इसके बाद उसे ट्रेन से नीचे फेंक दिया. शुक्ला की जान बचाने के लिए दिल्ली के अपोलो अस्पताल के चिकित्सकों को उसके दोनों पैरों को काटना पड़े.
ऐसे में दिल्ली में खर्चा ज्यादा होने के चलते अब उनके परिजनों ने कोटा मेडिकल कॉलेज में उन्हें शिफ्ट करवाया है. यहां पर मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में उनका उपचार जारी है. मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने दीपक शुक्ला को खड़ा कर चलाने की जिम्मेदारी ली है. दीपक नोएडा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर एक कंपनी में तैनात थे. दोनों पैर कट जाने के चलते अब वह दिव्यांग हो गया है.
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लूटेरों ने फेंक दिया ट्रेन से नीचे
पीड़ित दीपक शुक्ला का कहना है कि वह दुर्घटना के बाद आधे घंटे तक घटनास्थल पर ही बेसुध रहा. उसका एक पैर पूरा और एक आधा कट गया था. तभी कुछ लोग आए, जिन्होंने उन्हें अपोलो हॉस्पिटल पहुंचाया. यहां पर उसका ऑपरेशन कर दोनों पैरों को काटा गया है. अपोलो हॉस्पिटल में खर्चा काफी ज्यादा था. ऐसे में उन्होंने कोटा शिफ्ट हुए. वहां पर ऑपरेशन करने वाले डॉ. राजीव वैश्य ने कोटा मेडिकल कॉलेज में ऑर्थोपेडिक एचओडी डॉ. राजेश गोयल से बात की और उन्हें यहां पर शिफ्ट किया गया.
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दीपक ने कहा कि मुझे अपोलो अस्पताल से नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और कोटा रेलवे स्टेशन से मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल में भर्ती कराना एक बड़ा टास्क था. जिसमें रेलवे सुरक्षा बल और जीआरपी के जवानों ने मदद की है. उन्होंने कहा कि अगर ट्रेन से कटने के बाद जो युवक उन्हें अपोलो अस्पताल ले गए. वह हिम्मत नहीं दिखाते, तो आज उनका जीवित होना नामुमकिन था.
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पैर कट गए लेकिन हौसले अभी बुलंद
कोटा मेडिकल कॉलेज के ऑर्थोपेडिक एचओडी डॉ. राजेश गोयल का कहना है कि दीपक शुक्ला अपने दोनों पैरों को गंवा चुका है. लेकिन उसमें हिम्मत की कोई कमी नहीं है. इस तरह के जो मरीज हिम्मत दिखाते हैं. उनकी रिकवरी फास्ट होती है. इसके लगातार ड्रेसिंग हो रही है. हालांकि अभी कुछ घाव में दिक्कत है. मुझे पूरी उम्मीद है कि हम जल्दी से जल्दी इन्हें ठीक कर चलाने की कोशिश करेंगे. अभी इसके टांके निकाले जाएंगे. फिर कुछ एक्सरसाइज कराएंगे और कृत्रिम फुट इंप्यूटेशन कराया जाएगा. इसके बाद चलने की प्रैक्टिस करवाई जाएगी और कुछ दिनों में दीपक शुक्ला कृत्रिम फुट दोनों पैरों पर खड़ा हो जाएगा.
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दीपक की पत्नी ऋतु शुक्ला का कहना है कि दिल्ली में पुलिस के रहते हुए भी इस तरह की घटनाएं आम हो रही है. आम आदमी ट्रेन में भी सुरक्षित नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके साथ इस तरह की घटना हो गई है. लेकिन आगे से ऐसी घटनाएं किसी और नागरिक के साथ नहीं हो. इसकी रेलवे पर्याप्त सुरक्षा करे. ताकि किसी को इस तरह से विकलांग न होना पड़े. आज के इस भाग-दौड़ भरे जिंदगी में जहां लोग अपने परिवार को समय नहीं दे पाते. ऐसे में किसी गैर की इतनी शिद्दत से जिम्मेदारी उठाना इंसानियत की मिसाल को पेश करता है. अपने संकल्प में धरती के भगवान कितना सफल हो पाते हैं. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा.