ETV Bharat / state

किसानों पर कहर बनकर बरस रहे बादल, खेत हुए दरिया में तब्दील

कोटा जिले के रामगंजमंडी से लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों की हजारों बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है. खड़ी फसल खराब होने का रोना रोने वाले किसानों का जीवन अब पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चूका है.

किसानों पर कहर, Havoc on farmers
author img

By

Published : Sep 15, 2019, 8:02 AM IST

रामगंजमंडी (कोटा). जिले के रामगंजमंडी से लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है. बारिश के कारण खेत जलमग्न हो गए है. जिसमें किसानों की हजारों बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है. खड़ी फसल खराब होने का रोना रोने वाले किसानों का जीवन अब पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चूका है. ऐसे में सरकारी मदद का नहीं मिलने से किसानों को मुश्किल में डाल रहा है.

किसानों पर कहर बनकर बरस रहे हैं बादल

वहीं, क्षेत्र में कई खेत तो ऐसे है, जिनमें फसले पानी में डूब गई है. वही ग्रामीण इलाको में किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी और क्षेत्र में हो रही बारिश किसानों के अरमानों पर कहर बनकर टूटती नजर आ रही है. ऐसे में किसानों का कहना है कि क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से लगभग सभी किसानों की फसले नष्ट हो गई है. लेकिन सरकार के नुमाइंदे अभी भी क्षेत्र में किसानों की फसलों का 30 प्रतिशत ही खराब बता रहे है. ऐसे में क्षेत्र में किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई नजर आ रही है.

पढ़ें- भीलवाड़ाः जिंदल शॉ लिमिटेड के खिलाफ विधायक का धरना 11वें दिन भी जारी

किसानों का कहना है कि यह आंकड़े पटवारियों के धरातल पर बिना सर्वे रिपोर्ट के पेश किये गए है. वहीं किसानो ने यह भी बताया कि अगर सरकार इस प्रकार सर्वे करवाकर मुआवजा देगी तो किसानों का बाजार से लिया हुआ कर्ज भी नहीं चूक पायेगा और किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

पढ़ें- भीलवाड़ा: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को लेकर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक

किसानों ने बताया कि इनके हिस्से की लगभग 50 बीघा जमीन नदी में तब्दील हो चुकी है. इन किसानों का कहना है कि इस जमीन में बड़ी मेहनत और पैसा खर्च कर सोयाबीन की खेती की थी. लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण सब चौपट हो चुका है. 1 बीघा जमीन में खेती करने का खर्च 4500 रुपए के करीब आया था. 50 बीघा जमीन का लगभग खर्च 2 सवा 2 लाख के करीब का है. ऐसे में किसानों को कहना है कि उनका सब बरबाद हो गया है. उनके पास अब कुछ भी नहीं बचा है.

रामगंजमंडी (कोटा). जिले के रामगंजमंडी से लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है. बारिश के कारण खेत जलमग्न हो गए है. जिसमें किसानों की हजारों बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है. खड़ी फसल खराब होने का रोना रोने वाले किसानों का जीवन अब पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चूका है. ऐसे में सरकारी मदद का नहीं मिलने से किसानों को मुश्किल में डाल रहा है.

किसानों पर कहर बनकर बरस रहे हैं बादल

वहीं, क्षेत्र में कई खेत तो ऐसे है, जिनमें फसले पानी में डूब गई है. वही ग्रामीण इलाको में किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी और क्षेत्र में हो रही बारिश किसानों के अरमानों पर कहर बनकर टूटती नजर आ रही है. ऐसे में किसानों का कहना है कि क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से लगभग सभी किसानों की फसले नष्ट हो गई है. लेकिन सरकार के नुमाइंदे अभी भी क्षेत्र में किसानों की फसलों का 30 प्रतिशत ही खराब बता रहे है. ऐसे में क्षेत्र में किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई नजर आ रही है.

पढ़ें- भीलवाड़ाः जिंदल शॉ लिमिटेड के खिलाफ विधायक का धरना 11वें दिन भी जारी

किसानों का कहना है कि यह आंकड़े पटवारियों के धरातल पर बिना सर्वे रिपोर्ट के पेश किये गए है. वहीं किसानो ने यह भी बताया कि अगर सरकार इस प्रकार सर्वे करवाकर मुआवजा देगी तो किसानों का बाजार से लिया हुआ कर्ज भी नहीं चूक पायेगा और किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा.

पढ़ें- भीलवाड़ा: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को लेकर जिला कलेक्ट्रेट सभागार में बैठक

किसानों ने बताया कि इनके हिस्से की लगभग 50 बीघा जमीन नदी में तब्दील हो चुकी है. इन किसानों का कहना है कि इस जमीन में बड़ी मेहनत और पैसा खर्च कर सोयाबीन की खेती की थी. लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण सब चौपट हो चुका है. 1 बीघा जमीन में खेती करने का खर्च 4500 रुपए के करीब आया था. 50 बीघा जमीन का लगभग खर्च 2 सवा 2 लाख के करीब का है. ऐसे में किसानों को कहना है कि उनका सब बरबाद हो गया है. उनके पास अब कुछ भी नहीं बचा है.

Intro:रामगंजमंडी/ कोटा
मानूसन से लेकर अब तक लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है, बारिश के कारण खेत के खेत जलमग्न हो गए है, जिसमे किसानों की हजारो बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है। खड़ी फसल खराबे का रोना रोने वाले किसानो का जीवन अस्तव्यस्त हो चूका है।Body:रामगंजमंडी/ कोटा
मानूसन से लेकर अब तक लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है, बारिश के कारण खेत के खेत जलमग्न हो गए है, जिसमे किसानों की हजारो बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है। खड़ी फसल खराबे का रोना रोने वाले किसानो का जीवन अस्तव्यस्त हो चूका है। ऐसे में सरकारी मदद का नही मिलना किसानों को मुश्किल में डाल रहा है। वही क्षेत्र में कई खेत तो ऐसे है जिनमे फैसले ही पानी मे डूबती नजर आ रही है। खेतो में फसलों की जगह पर पानी नजर आ रहा है। वही अभी तक किसानों को राहत देने के लिये प्रशासन के आला अधिकारियों ने अपनी कुर्सी नही छोड़ी है। वही ग्रामीण इलाको में किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई ओर क्षेत्र में हो रही बरसात किसानों के अरमानों पर कहर बनकर टूटती नजर आ रही है। अब ऐसे में किसानों को खेतों से खराब फसल को निकलाने की परेशानी भुगतनी पड़ेगी।वही क्षेत्र के किसानों का कहना है कि क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश में लगभग सभी किसानों की फसल नष्ठ हो गई है लेकिन सरकार के नुमाइंदे अभी भी क्षेत्र में किसानों की फसलो का 30 प्रतिशत खराफ़ा बता रहे है। ऐसे में क्षेत्र में किसानों के चहरे पर मायूसी छाई नजर आ रही है । वही किसानों का कहना है कि यह आंकड़े पटवारियों के धरातल पर बिना सर्वे रिपोर्ट के पेश किये गए । वही किसानो ने यह भी बताया कि अगर सरकार इस प्रकार सर्वे करवाकर मुवावजा देगी तो किसानो का बाजार से लिया हुआ कर्ज भी नही चूक पायेगा ओर किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
ऐसा ही हाल क्षेत्र के किसान का हो रहा है। सुकेत कस्बे के कुछ किसानो ने बताया कि इनके हिस्से की लगभग 50 बीघा जमीन नदी में तब्दील हो चुकी है। इन किसानों का कहना है की इस जमीन में बड़ी मेहनत व पैसा खर्च कर सोयाबीन की बोवनी की थी लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण सब चौपट हो चूका है। सब कुछ मिलाकर 1 बीघा जमीन में सोयाबीन फसल की बोवनी का खर्च 4500 रुपए के करीब आया था। 50 बीघा जमीन का लगभग खर्च 2 सवा 2 लाख के करीब का है। खेत की हाक जोत व बिज का खर्च भी निकल जाता तो ठीक था। लेकिन कर्ज लेकर बोई फसल का अब तो कर्ज भी नहीं चूका सकते। ऐसे में बच्चो का पालन पोषण करना भी दुष्वार हो रहा है।Conclusion:रामगंजमंडी/ कोटा
मानूसन से लेकर अब तक लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है, बारिश के कारण खेत के खेत जलमग्न हो गए है, जिसमे किसानों की हजारो बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है। खड़ी फसल खराबे का रोना रोने वाले किसानो का जीवन अस्तव्यस्त हो चूका है। वही सरकार के नुमाइंदे 30 प्रतिशत खराफ़ा बता रहे है ऐसे में किसान को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा।
बाइट- रामगंजमंडी क्षेत्र के किसान
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.