रामगंजमंडी (कोटा). जिले के रामगंजमंडी से लगातार हुई तेज बारिश ने किसानों को अपनी किस्मत पर रोने को मजबूर कर दिया है. बारिश के कारण खेत जलमग्न हो गए है. जिसमें किसानों की हजारों बीघा जमीन दरिया में तब्दील हो चुकी है. खड़ी फसल खराब होने का रोना रोने वाले किसानों का जीवन अब पूरी तरह अस्त व्यस्त हो चूका है. ऐसे में सरकारी मदद का नहीं मिलने से किसानों को मुश्किल में डाल रहा है.
वहीं, क्षेत्र में कई खेत तो ऐसे है, जिनमें फसले पानी में डूब गई है. वही ग्रामीण इलाको में किसानों ने कर्ज लेकर फसल बोई थी और क्षेत्र में हो रही बारिश किसानों के अरमानों पर कहर बनकर टूटती नजर आ रही है. ऐसे में किसानों का कहना है कि क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से लगभग सभी किसानों की फसले नष्ट हो गई है. लेकिन सरकार के नुमाइंदे अभी भी क्षेत्र में किसानों की फसलों का 30 प्रतिशत ही खराब बता रहे है. ऐसे में क्षेत्र में किसानों के चेहरों पर मायूसी छाई नजर आ रही है.
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किसानों का कहना है कि यह आंकड़े पटवारियों के धरातल पर बिना सर्वे रिपोर्ट के पेश किये गए है. वहीं किसानो ने यह भी बताया कि अगर सरकार इस प्रकार सर्वे करवाकर मुआवजा देगी तो किसानों का बाजार से लिया हुआ कर्ज भी नहीं चूक पायेगा और किसानों को आत्महत्या करने पर मजबूर होना पड़ेगा.
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किसानों ने बताया कि इनके हिस्से की लगभग 50 बीघा जमीन नदी में तब्दील हो चुकी है. इन किसानों का कहना है कि इस जमीन में बड़ी मेहनत और पैसा खर्च कर सोयाबीन की खेती की थी. लेकिन जरूरत से ज्यादा बारिश होने के कारण सब चौपट हो चुका है. 1 बीघा जमीन में खेती करने का खर्च 4500 रुपए के करीब आया था. 50 बीघा जमीन का लगभग खर्च 2 सवा 2 लाख के करीब का है. ऐसे में किसानों को कहना है कि उनका सब बरबाद हो गया है. उनके पास अब कुछ भी नहीं बचा है.