कोटा. देशभर से इंजीनियरिंग मेडिकल एंट्रेंस की तैयारी करने आने वाले कोचिंग छात्रों के बढ़ते सुसाइड केसेज को लेकर अब सरकार से लेकर जिला प्रशासन और पुलिस काफी सख्ती बरत रही है. इसी मसले को लेकर कोचिंग संस्थान की फैकल्टी से स्टूडेंट सेल के प्रभारी एएसपी (अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक) ठाकुर चंद्रशील कुमार ने वार्ता की. इसके लिए एक सेशन जवाहर नगर स्थित निजी कोचिंग संस्थान के सभागार में आयोजित हुआ. इसमें कोचिंग संस्थान में पढ़ाने वाले 1200 से ज्यादा टीचर्स मौजूद रहे. उन्हें बताया गया कि किस तरह से बच्चों की मेंटरिंग को दुरुस्त करना है.
ठाकुर चंद्रशील कुमार ने कहा कि कोटा में ट्रेंड हो गया है कि बच्चों की सुसाइड पर पेरेंट्स के प्रेशर की बात कह, उन्हीं के ऊपर पूरी जिम्मेदारी डाल दी जाए. ऐसा कोई पेरेंट्स नहीं है, जो नहीं चाहता कि उसका बच्चा तरक्की करे या टॉपर बने. सभी बच्चों को क्लास में और क्लास के बाहर भी समान महत्व दिया जाना चाहिए. इससे कमजोर बच्चों में हीन भावना नहीं आएगी. साथ ही टॉपर बच्चों के जैसा ही उसके साथ व्यवहार होना चाहिए. पेरेंट्स से भी लगातार बात की जानी चाहिए और उन्हें भी यह बताना चाहिए कि उनके बच्चों में क्या काबिलियत है. माता-पिता का स्ट्रेस कम करने की जिम्मेदारी भी एक टीचर की ही होती है, उन्हें लगातार अपने बच्चों के संबंध में जानकारी देनी चाहिए.
बच्चों में पहचानें सुसाइड के लक्षण - ठाकुर चंद्रशील कुमार का कहना है कि मेंटरिंग सिस्टम को मजबूत करना चाहिए. बच्चों के तनाव क्यों हो रहा है, इस संबंध में भी उन्होंने बात की है. उन्होंने कहा कि हर बच्चे ने आत्महत्या करने के पहले सिम्टम्स दिए हैं. इन सभी सिम्टम्स को फैकल्टी को भी पहचानना चाहिए और क्लास में आने वाले बच्चों पर गौर से नजर रखनी चाहिए. इस तरह से सुसाइड करने के पहले उन्हें रोका जा सके. इसके लिए वह बच्चों में बने पियर ग्रुप की भी मदद ले सकते हैं.
बदमाशी करने वाले बच्चों पर रखी जाए नजर - ठाकुर चंद्रशील कुमार ने कहा कि ऐसे बच्चे जो कोटा में रहकर पढ़ाई नहीं कर रहे हैं या फिर वह दूसरे बच्चों को परेशान करते हैं. जिन बच्चों की पढ़ाई में रुचि नहीं है, अपने माता-पिता के दबाव या फिर अच्छा पैसा होने के चलते कोटा आ गए हैं, ऐसे बच्चों को वापस कोटा से भेजने में ही भलाई है. यह लोग दूसरे स्टूडेंट्स को भी डिप्रेशन में डालते हैं और उनकी पढ़ाई को भी नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में इन बच्चों पर भी नजर रखने की सलाह दी गई है.
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सुसाइड को कैसे रोक सकते हैं - एएसपी ठाकुर चंद्रशील का कहना है कि स्टूडेंट सेल के प्रभारी होने के नाते सभी स्टेकहोल्डर के साथ मुलाकात कर रहे हैं. इसी के तहत स्टूडेंट्स, पेरेंट्स, हॉस्टल व कोचिंग संचालकों के साथ-साथ फैकल्टी से भी बातचीत का क्रम जारी है. उन्होंने करीब 35 मिनट चले इस संवाद में कोचिंग स्टूडेंट और उनके पेरेंट्स की तरफ से जो फैकल्टी को लेकर मुद्दे आए थे, वह भी रखे गए हैं. इसके अलावा यह भी चर्चा की गई है कि सिस्टम क्या चाहता है, हम सब मिलकर सुसाइड को कैसे रोक सकते हैं. कोचिंग संस्थान चाहते हैं कि बच्चे आईआईटी और मेडिकल में अच्छी जगह प्रवेश लें, इससे कोटा की अर्थव्यवस्था भी टिकी हुई है, लेकिन कुछ बच्चे टॉपर बन रहे हैं, यह सिस्टम की जीत नहीं है. यह सिस्टम की हार है. यह कार्यक्रम पूरी तरह से फैकल्टी को मोटिवेट करने, पुलिस व प्रशासन और सरकार की एक्सपेक्टेशन क्या है, यह समझाने के लिए ही थी.