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इस प्रयोगशाला पर डेढ़ साल से लटका है ताला, मिट्टी जांच के लिए भटकने को मजबूर किसान - kota news

सांगोद की मिट्टी जांच प्रयोगशाला डेढ़ साल से बंद है. ऐसे में किसानों की खेतों की मिट्टी की जांच नहीं हो पा रही है, जिससे किसान परेशान हैं.

सांगोद न्यूज, Sangod's soil testing laboratory
मिट्टी जांच प्रयोगशाला बंद होने से किसान परेशान
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Published : Jun 17, 2020, 7:59 PM IST

सांगोद (कोटा). क्षेत्र के किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच की सहुलियत को लेकर उपखंड मुख्यालय पर मिट्टी जांच प्रयोगशाला बनाई गई थी. ये प्रयोगशाला बीते डेढ़ साल से बंद पड़ी है. ऐसे में मिट्टी जांच करवाने आनेवाले किसान निराश होकर लौट रहे हैं. वहीं, किसानों को मिट्टी जांच के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ रहा है.

मिट्टी जांच प्रयोगशाला बंद होने से किसान परेशान

जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से टेंडर नहीं पास नहीं किए जाने से प्रयोगशाला का संचालन नहीं हो पा रहा है. क्षेत्र में खेती का रकबा अधिक है लेकिन पहले भी यहां मिट्टी जांचने की सुविधा नहीं थी. जिससे किसानों को जिला मुख्यालय पर कृषि विभाग की प्रयोगशाला या फिर निजी जांच केन्द्रों पर मिट्टी की जांच करवानी पड़ती थी. इसमें किसानों को हजारों रुपए का खर्चा होता था. किसानों की सहुलियत को लेकर साल 2013 में सांगोद में राज्य सरकार ने कृषि प्रयोगशाला संचालित की. पंचायत समिति कार्यालय परिसर में 11 लाख रुपए की लागत से यह प्रयोगशाला बनाई गई थी जो कि अब बंद पड़ी है.

यह भी पढ़ें. कल से शुरू होगी माद्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं, थर्मल स्क्रीनिंग के बाद छात्रों को मिलेगा परीक्षा केंद्र में प्रवेश

बता दें कि मिट्टी जांच प्रयोगशाला में किसान अपने खेतों की मिट्टी में किस तत्व की कमी और अधिकता है, इसकी जांच करवा सकते हैं. जिससे जांच के हिसाब से किसान संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं लेकिन बीते डेढ़ साल से इसका संचालन बंद होने से यहां मिट्टी की जांच बंद पड़ी है.

यह भी पढ़ें. अच्छी खबर: रेड से ऑरेंज जोन में आया कोटा, 19 मरीज अस्पताल से डिस्चार्ज

फरवरी 2019 में कंपनी का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद नए सिरे से टेंडर नहीं होने से प्रयोगशाला बंद पड़ी है, जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं. किसान मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय जाने को मजबूर हैं

मिट्टी परीक्षण से ये होता है फायदा...

मिट्टी की जांच प्रयोगशाला में मिट्टी जांचने से किसानों को बेहतर उपज पैदा करने में फायदा मिलता है. किसान मिट्टी में मौजूद सारे तत्वों को जांच करवाकर उस हिसाब से उवर्रक का उपयोग कर सकते हैं. संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल से फसल और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है. साथ ही इससे मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहती है.

सांगोद (कोटा). क्षेत्र के किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच की सहुलियत को लेकर उपखंड मुख्यालय पर मिट्टी जांच प्रयोगशाला बनाई गई थी. ये प्रयोगशाला बीते डेढ़ साल से बंद पड़ी है. ऐसे में मिट्टी जांच करवाने आनेवाले किसान निराश होकर लौट रहे हैं. वहीं, किसानों को मिट्टी जांच के लिए जिला मुख्यालय जाना पड़ रहा है.

मिट्टी जांच प्रयोगशाला बंद होने से किसान परेशान

जानकारी के अनुसार सरकार की ओर से टेंडर नहीं पास नहीं किए जाने से प्रयोगशाला का संचालन नहीं हो पा रहा है. क्षेत्र में खेती का रकबा अधिक है लेकिन पहले भी यहां मिट्टी जांचने की सुविधा नहीं थी. जिससे किसानों को जिला मुख्यालय पर कृषि विभाग की प्रयोगशाला या फिर निजी जांच केन्द्रों पर मिट्टी की जांच करवानी पड़ती थी. इसमें किसानों को हजारों रुपए का खर्चा होता था. किसानों की सहुलियत को लेकर साल 2013 में सांगोद में राज्य सरकार ने कृषि प्रयोगशाला संचालित की. पंचायत समिति कार्यालय परिसर में 11 लाख रुपए की लागत से यह प्रयोगशाला बनाई गई थी जो कि अब बंद पड़ी है.

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बता दें कि मिट्टी जांच प्रयोगशाला में किसान अपने खेतों की मिट्टी में किस तत्व की कमी और अधिकता है, इसकी जांच करवा सकते हैं. जिससे जांच के हिसाब से किसान संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं लेकिन बीते डेढ़ साल से इसका संचालन बंद होने से यहां मिट्टी की जांच बंद पड़ी है.

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फरवरी 2019 में कंपनी का कार्यकाल पूर्ण होने के बाद नए सिरे से टेंडर नहीं होने से प्रयोगशाला बंद पड़ी है, जिसका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं. किसान मिट्टी की जांच के लिए जिला मुख्यालय जाने को मजबूर हैं

मिट्टी परीक्षण से ये होता है फायदा...

मिट्टी की जांच प्रयोगशाला में मिट्टी जांचने से किसानों को बेहतर उपज पैदा करने में फायदा मिलता है. किसान मिट्टी में मौजूद सारे तत्वों को जांच करवाकर उस हिसाब से उवर्रक का उपयोग कर सकते हैं. संतुलित उर्वरक के इस्तेमाल से फसल और पर्यावरण को भी नुकसान नहीं पहुंचता है. साथ ही इससे मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहती है.

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