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कोटा में कांग्रेस को झटका, ये दो बड़े नेता बीजेपी में शामिल, हाड़ौती की 6 सीटों पर पड़ेगा असर - हाड़ौती की सीटों पर मेहता और बैरवा का प्रभाव

कांग्रेस के दो बड़े नेता पंकज मेहता और रामगोपाल बैरवा ने जयपुर में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण कर ली. अब ये दोनों नेता भाजपा के लिए कोटा में काम भी करेंगे. बीजेपी में शामिल हुए बैरवा और मेहता का हाड़ौती की कई सीटों पर असर देखने को मिलेगा.

Rajasthan assembly Election
हाड़ौती का रण
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 11, 2023, 4:20 PM IST

कोटा. राजस्थान में सरकार रिपीट करने का दावा करने वाली गहलोत सरकार को एक और झटका लगा है. पंकज मेहता और रामगोपाल बैरवा शनिवार को कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. हाड़ौती खासकर कोटा जिले की राजनीति में ये बड़ा उलटफेर है.

इन दोनों नेताओं के वजूद का असर कोटा उत्तर, लाडपुरा, कोटा दक्षिण, रामगंजमंडी, पीपल्दा और केशोरायपाटन सीट पर देखने को मिलेगा. रामगोपाल बैरवा पीपल्दा से दो बार विधायक रह चुके हैं,जबकि पंकज मेहता कोटा में पार्टी के कई अहम पदों को संभाल चुके हैं. पंकज मेहता सीएम गहलोत के काफी करीबी माने जाते हैं.

पढ़ें:सांगोद सीट का समीकरण, जीतने वाले उम्मीदवार की पार्टी की बनती है सरकार! इस बार कांग्रेस-बीजेपी में कांटे की टक्कर

प्रहलाद गुंजल की रही है प्रमुख भूमिका: पंकज मेहता को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाने में प्रहलाद गुंजल की भूमिका अहम रही है. मेहता कोटा की लाडपुरा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला, जबकि तीन बार हारे हुए कैंडिडेट को टिकट देने का उन्होंने विरोध भी जताया और इसी से भी नाराज चल रहे थे. इसी के बाद प्रहलाद गुंजल ने उनसे बात की और भाजपा की सदस्यता लेने के लिए तैयार किया.

दो बार रहे हैं विधायक और सरकार में मंत्री भी रहे: पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत पीपल्दा विधानसभा सीट से की थी. उन्होंने 1993 में अपना पहला चुनाव लड़ा था और भाजपा का गढ़ पीपल्दा सीट से भाजपा के वरिष्ठ विधायक हीरालाल आर्य को हराकर कांग्रेस का परचम फहराया था. बैरवा साल 1998 में दोबारा विधायक बनकर गहलोत सरकार के कार्यकाल के आखिरी वर्ष में अल्प बचत राज्य मंत्री बने थे. रामगोपाल को साल 2003 में भाजपा के प्रभुलाल वर्मा से महज 415 वोट से शिकस्त मिली थी. बैरवा ने 2008 में रामगंजमंडी से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाया था, लेकिन चुनाव में हार गए थे.

पढ़ें:वसुंधरा बोलीं- आप मुझे पसंद करें, पीएम मोदी को या योगी को, वोट करते समय कोई दुविधा नहीं होनी चाहिए

बैरवा एनपीईपी से लड़ चुके हैं चुनाव: बैरवा को साल 2013 में टिकट नहीं मिला, उन्होंने पीपल्दा से एनपीईपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें दूसरे नंबर पर रहे थे. इसके बाद 2018 में उन्हें कांग्रेस ने रामगंजमंडी से टिकट दिया, लेकिन हार मिली थी. रामगोपाल बैरवा के भाजपा में आने के चलते पीपल्दा रामगंजमंडी, केशोरायपाटन और लाडपुरा में बीजेपी को मजबूती मिलेगी. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर एनपीईपी उम्मीदवार रामगोपाल बैरवा को 39340 वोट मिले थे. वह 7749 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रहे थे.

ओम बिरला से चुनाव हार गए थे पंकज मेहता: पंकज मेहता ने कोटा दक्षिण सीट से साल 2013 में चुनाव लड़ा था. उनके सामने ओम बिरला चुनावी मैदान में थे और भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी. ओम बिरला 49439 वोट से जीते थे. पंकज मेहता को अशोक गहलोत का काफी करीबी माना जाता रहा है. वर्तमान में उन्हें खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था. पंकज मेहता का कोटा की राजनीति में अपना नाम है. वह लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हुए थे. मेहता कई बार प्रदेश प्रवक्ता, महासचिव और कोटा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

कोटा. राजस्थान में सरकार रिपीट करने का दावा करने वाली गहलोत सरकार को एक और झटका लगा है. पंकज मेहता और रामगोपाल बैरवा शनिवार को कांग्रेस को छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं. हाड़ौती खासकर कोटा जिले की राजनीति में ये बड़ा उलटफेर है.

इन दोनों नेताओं के वजूद का असर कोटा उत्तर, लाडपुरा, कोटा दक्षिण, रामगंजमंडी, पीपल्दा और केशोरायपाटन सीट पर देखने को मिलेगा. रामगोपाल बैरवा पीपल्दा से दो बार विधायक रह चुके हैं,जबकि पंकज मेहता कोटा में पार्टी के कई अहम पदों को संभाल चुके हैं. पंकज मेहता सीएम गहलोत के काफी करीबी माने जाते हैं.

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प्रहलाद गुंजल की रही है प्रमुख भूमिका: पंकज मेहता को भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता दिलाने में प्रहलाद गुंजल की भूमिका अहम रही है. मेहता कोटा की लाडपुरा सीट से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला, जबकि तीन बार हारे हुए कैंडिडेट को टिकट देने का उन्होंने विरोध भी जताया और इसी से भी नाराज चल रहे थे. इसी के बाद प्रहलाद गुंजल ने उनसे बात की और भाजपा की सदस्यता लेने के लिए तैयार किया.

दो बार रहे हैं विधायक और सरकार में मंत्री भी रहे: पूर्व मंत्री रामगोपाल बैरवा ने अपनी राजनीतिक जीवन की शुरुआत पीपल्दा विधानसभा सीट से की थी. उन्होंने 1993 में अपना पहला चुनाव लड़ा था और भाजपा का गढ़ पीपल्दा सीट से भाजपा के वरिष्ठ विधायक हीरालाल आर्य को हराकर कांग्रेस का परचम फहराया था. बैरवा साल 1998 में दोबारा विधायक बनकर गहलोत सरकार के कार्यकाल के आखिरी वर्ष में अल्प बचत राज्य मंत्री बने थे. रामगोपाल को साल 2003 में भाजपा के प्रभुलाल वर्मा से महज 415 वोट से शिकस्त मिली थी. बैरवा ने 2008 में रामगंजमंडी से चुनावी मैदान में किस्मत आजमाया था, लेकिन चुनाव में हार गए थे.

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बैरवा एनपीईपी से लड़ चुके हैं चुनाव: बैरवा को साल 2013 में टिकट नहीं मिला, उन्होंने पीपल्दा से एनपीईपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था, जिसमें दूसरे नंबर पर रहे थे. इसके बाद 2018 में उन्हें कांग्रेस ने रामगंजमंडी से टिकट दिया, लेकिन हार मिली थी. रामगोपाल बैरवा के भाजपा में आने के चलते पीपल्दा रामगंजमंडी, केशोरायपाटन और लाडपुरा में बीजेपी को मजबूती मिलेगी. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर एनपीईपी उम्मीदवार रामगोपाल बैरवा को 39340 वोट मिले थे. वह 7749 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रहे थे.

ओम बिरला से चुनाव हार गए थे पंकज मेहता: पंकज मेहता ने कोटा दक्षिण सीट से साल 2013 में चुनाव लड़ा था. उनके सामने ओम बिरला चुनावी मैदान में थे और भारतीय जनता पार्टी की जीत हुई थी. ओम बिरला 49439 वोट से जीते थे. पंकज मेहता को अशोक गहलोत का काफी करीबी माना जाता रहा है. वर्तमान में उन्हें खादी ग्रामोद्योग बोर्ड का उपाध्यक्ष बनाया गया था. पंकज मेहता का कोटा की राजनीति में अपना नाम है. वह लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हुए थे. मेहता कई बार प्रदेश प्रवक्ता, महासचिव और कोटा जिले के कांग्रेस अध्यक्ष भी रह चुके हैं.

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