कोटा. राजस्थान कांग्रेस में विधायकों का फीडबैक लेने का क्रम जारी है और इसी क्रम के अनुसार कोटा जिले का भी फीडबैक 18 अप्रैल को लिया गया था. कोटा के सांगोद विधायक भरत सिंह सुझाव देने नहीं गए थे. उन्होंने सोशल मीडिया, व्हाट्सएप और रजिस्टर्ड पोस्ट के जरिए यह सुझाव राजस्थान कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भेज दिए थे. यह पत्र भरत सिंह ने मीडिया को भी जारी कर दिया है, जिसमें भरत सिंह लिखा है कि साल 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में पूरी जिम्मेदारी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दी जाए. उन्होंने लिखा है कि राजस्थान कांग्रेस में सब कुछ गहलोत की मर्जी से ही होता है. कांग्रेस राजस्थान में अगर 2023 का चुनाव जीत जाती है तो पूरा यश उनको दिया जाए और कांग्रेस की नाव डूबती है तो मुख्यमंत्री गहलोत को ही पूरा जिम्मेदार माना जाए.
क्या योजनाओं के बूते मिल जाएंगे वोट? - भरत सिंह ने पत्र में लिखा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जनहित की बहुत सारी योजनाएं चला रखी हैं. इनमें निशुल्क योजनाएं भी शामिल हैं. इन योजनाओं के आधार पर जनता वोट डालती है, तो क्या हम 200 सीटों पर ही चुनाव जीत जाएंगे. इसका जवाब भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही दे सकते हैं. राजस्थान कांग्रेस प्रभारी रंधावा को भेजे पत्र में उन्होंने एमएलए रामनारायण मीणा की तरफ से उठाए गए भ्रष्टाचार के मुद्दे का भी जिक्र किया है. साथ ही कहा कि भ्रष्ट मंत्रियों को टिकट नहीं मिले. राज्यसभा सांसदों को भी अलग-अलग संभाग की जिम्मेदारी देने की मांग उठाई है, जिसमें बताया है कि राज्यसभा सांसदों का राजस्थान कांग्रेस के लिए योगदान अभी शून्य है.
साफ और ईमानदार छवि के युवाओं को मिलें टिकट - भरत सिंह ने पहले ही घोषणा कर रखी है कि अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे. साथ ही उन्होंने खुद को जीरो नंबर इस बार के कार्यकाल में दिए थे. रंधावा को भेजे गए पत्र में दिए गए सुझावों में बताया है कि 75 फीसदी नए उम्मीदवारों को ही मैदान में उतारा जाए. इनमें सभी साफ छवि के ईमानदार युवा हों. टिकट वितरण में ग्रामीण क्षेत्र के पंचायत राज के युवा व महिला सदस्यों को प्राथमिकता दी जाए. हाड़ौती संभाग के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में जिलाध्यक्ष नए बनाए जाएं. साथ ही भाजपा के विरोध का केंद्र बिंदु कोटा को बनाया जाए, यहां पर भ्रष्टाचार साफ दिखाई देता है.
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