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डर्टी प्रोफेसर परमार से मिलने के लिए छात्राओं पर दबाव बनाती थी ईशा - Isha Yadav suspended after her arrest

आरटीयू मामले में पुलिस ने ईशा यादव को अर्पित अग्रवाल के बराबर का आरोपी माना है. इसलिए दोनों पर समान धाराओं में मामले दर्ज किए गए (same crpc sections on both students of Kota case) हैं. दोनों मिलकर ही परमार के लिए छात्राओं को फंसाने का काम कर रहे थे. ईशा यादव की जमानत अर्जी पर 31 दिसंबर को सुनवाई होगी.

RTU CASE: same crpc sections on both students of Kota case, bail hearing of Isha on Dec 31
RTU CASE: पुलिस ने अर्पित के बराबर ही ईशा को भी माना आरोपी, दोनों पर समान धाराओं के मुकदमे
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Published : Dec 29, 2022, 9:26 PM IST

Updated : Dec 30, 2022, 11:16 AM IST

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) में एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के छात्राओं के नंबर बढ़ाने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में परमार के साथ छात्र अर्पित अग्रवाल और छात्रा ईशा यादव को भी गिरफ्तार किया था. ईशा यादव को विश्वविद्यालय ने निलंबित कर दिया है. ईशा यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 384, 385, 420, 467, 468, 471, 120 बी और एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है. इसके अलावा परीक्षा अधिनियम की धारा 3, 4, 5 व 6 भी इस मामले में लगाई गई है. यह सभी धाराएं परमार और अर्पित अग्रवाल पर भी लगाई गई (same crpc sections on both students of Kota case) हैं.

ईशा यादव को पुलिस ने अनुसंधान और दर्ज हुए मुकदमे के अनुसार अर्पित अग्रवाल के बराबर का आरोपी माना है. दोनों परमार के लिए छात्राओं को फंसाने का काम कर रहे थे. दूसरी तरफ ईशा यादव की जमानत अर्जी पर गुरुवार को न्यायालय में सुनवाई हुई. ईशा के वकील लक्ष्मण सिंह हाड़ा का कहना है कि उसके मुवक्किल को बेवजह फंसाया गया है. उसका एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है. जबकि विशिष्ट लोक अभियोजक हितेश जैन का कहना है कि आज वकील ने जमानत अर्जी पर बहस नहीं की. ऐसे में 31 दिसंबर को जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी. पुलिस उप अधीक्षक अमर सिंह का कहना है कि इस मामले में पुलिस जल्द ही अपना अनुसंधान पूरा कर सबूत एकत्रित कर कोर्ट में चालान पेश करेगी.

पढ़ें: पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में छात्रा ईशा यादव गिरफ्तार, परमार और अर्पित के साथ भेजा जेल

इंटेलिजेंट थी ईशा, टॉप करने के लिए चल रहा था कंपटीशन: ईशा यादव इंटेलिजेंट छात्रा है. उसने क्लास रिप्रेजेंटेटिव का चुनाव भी लड़ा था. जिसमें वह 6 वोट से हार गई थी. गिरीश परमार के साथ उसकी बातचीत का एक ऑडियो सामने आया था. इसमें गिरीश परमार चुनाव में अन्य छात्रों से सहयोग करवाने की बात कह रहा था. हालांकि ईशा यादव क्लास टॉप करने के लिए अन्य छात्र-छात्राओं से कंपटीशन कर रही थी. इसी के चलते वह गिरीश परमार के चंगुल में आ गई और अच्छे नंबरों से पास होने की एवज में इस मामले में जुड़ गई थी.

कॉपियां चेक करती थी ईशा: ईशा यादव ही गिरीश परमार के सब्जेक्ट की कॉपियां जांचती थी. इसमें अर्पित भी मदद करता था. साथ ही जिस पर इनकी मेहरबानी होती थी, उनको अच्छे नंबर जारी कर देते थे. जबकि जिन छात्रों ने अच्छा लिखा होता, उनके नंबर में भी हेरफेर कर दी जाती थी. जबकि कई कॉपियां ऐसी भी थीं, जो कि खाली थीं और इनको चेक कर दिया गया. जिनमें नंबर भी दे दिए गए थे.

पढ़ें: RTU Case : कई स्टूडेंट्स पर मेहरबान था परमार, खाली कॉपियों में भी दे रहा था नंबर...

ईशा का परिवार हो रहा परेशान: ईशा यादव के पिता बैंक में कार्यरत हैं. जबकि मां ग्रहणी हैं. उनके परिवार में एक भाई भी है. अब सभी लोग ईशा यादव के मामले को लेकर परेशान हैं. ईशा यादव मूलतः हरियाणा के रेवाड़ी जिले की निवासी हैं. वर्तमान में उसके माता-पिता जयपुर में रहते हैं. वह खुद राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के न्यू गर्ल्स हॉस्टल में बीते 3 सालों से रह रही थी.

पढ़ें: आरटीयू मामला: स्टूडेंट ही सेट कर रहे थे एग्जाम पेपर, 3 दिन बढ़ी पुलिस रिमांड

ईशा और अर्पित दोनों ने ही की थी रिकॉर्डिंग: पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि ईशा और अर्पित दोनों ने ही परमार की रिकॉर्डिंग की थी. जबकि परमार किसी भी तरह की कोई रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल में नहीं करता था. उसे अंदेशा भी नहीं था कि यह दोनों इस तरह की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं. साथ ही वह हमेशा ही दावा करता था कि उसे कोई भी नहीं फंसा सकता है. यहां तक कि पुलिस पूछताछ में भी परमार ने यही कहा है कि उसे कोई नहीं फंसा सकता था, अगर यह रिकॉर्डिंग दोनों नहीं करते. परमार किसी भी छात्रा से सीधी बातचीत नहीं करता था, जब तक कि वह पूरी तरह से उसके चंगुल में नहीं फंस जाती थी. उसके लिए छात्राओं को चंगुल में फंसाने का काम अर्पित और ईशा बखूबी कर रहे थे.

कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU) में एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के छात्राओं के नंबर बढ़ाने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में परमार के साथ छात्र अर्पित अग्रवाल और छात्रा ईशा यादव को भी गिरफ्तार किया था. ईशा यादव को विश्वविद्यालय ने निलंबित कर दिया है. ईशा यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 384, 385, 420, 467, 468, 471, 120 बी और एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई है. इसके अलावा परीक्षा अधिनियम की धारा 3, 4, 5 व 6 भी इस मामले में लगाई गई है. यह सभी धाराएं परमार और अर्पित अग्रवाल पर भी लगाई गई (same crpc sections on both students of Kota case) हैं.

ईशा यादव को पुलिस ने अनुसंधान और दर्ज हुए मुकदमे के अनुसार अर्पित अग्रवाल के बराबर का आरोपी माना है. दोनों परमार के लिए छात्राओं को फंसाने का काम कर रहे थे. दूसरी तरफ ईशा यादव की जमानत अर्जी पर गुरुवार को न्यायालय में सुनवाई हुई. ईशा के वकील लक्ष्मण सिंह हाड़ा का कहना है कि उसके मुवक्किल को बेवजह फंसाया गया है. उसका एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार के इस मामले में कोई लेना-देना नहीं है. जबकि विशिष्ट लोक अभियोजक हितेश जैन का कहना है कि आज वकील ने जमानत अर्जी पर बहस नहीं की. ऐसे में 31 दिसंबर को जमानत अर्जी पर सुनवाई होगी. पुलिस उप अधीक्षक अमर सिंह का कहना है कि इस मामले में पुलिस जल्द ही अपना अनुसंधान पूरा कर सबूत एकत्रित कर कोर्ट में चालान पेश करेगी.

पढ़ें: पास करने की एवज में अस्मत मांगने के मामले में छात्रा ईशा यादव गिरफ्तार, परमार और अर्पित के साथ भेजा जेल

इंटेलिजेंट थी ईशा, टॉप करने के लिए चल रहा था कंपटीशन: ईशा यादव इंटेलिजेंट छात्रा है. उसने क्लास रिप्रेजेंटेटिव का चुनाव भी लड़ा था. जिसमें वह 6 वोट से हार गई थी. गिरीश परमार के साथ उसकी बातचीत का एक ऑडियो सामने आया था. इसमें गिरीश परमार चुनाव में अन्य छात्रों से सहयोग करवाने की बात कह रहा था. हालांकि ईशा यादव क्लास टॉप करने के लिए अन्य छात्र-छात्राओं से कंपटीशन कर रही थी. इसी के चलते वह गिरीश परमार के चंगुल में आ गई और अच्छे नंबरों से पास होने की एवज में इस मामले में जुड़ गई थी.

कॉपियां चेक करती थी ईशा: ईशा यादव ही गिरीश परमार के सब्जेक्ट की कॉपियां जांचती थी. इसमें अर्पित भी मदद करता था. साथ ही जिस पर इनकी मेहरबानी होती थी, उनको अच्छे नंबर जारी कर देते थे. जबकि जिन छात्रों ने अच्छा लिखा होता, उनके नंबर में भी हेरफेर कर दी जाती थी. जबकि कई कॉपियां ऐसी भी थीं, जो कि खाली थीं और इनको चेक कर दिया गया. जिनमें नंबर भी दे दिए गए थे.

पढ़ें: RTU Case : कई स्टूडेंट्स पर मेहरबान था परमार, खाली कॉपियों में भी दे रहा था नंबर...

ईशा का परिवार हो रहा परेशान: ईशा यादव के पिता बैंक में कार्यरत हैं. जबकि मां ग्रहणी हैं. उनके परिवार में एक भाई भी है. अब सभी लोग ईशा यादव के मामले को लेकर परेशान हैं. ईशा यादव मूलतः हरियाणा के रेवाड़ी जिले की निवासी हैं. वर्तमान में उसके माता-पिता जयपुर में रहते हैं. वह खुद राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय के न्यू गर्ल्स हॉस्टल में बीते 3 सालों से रह रही थी.

पढ़ें: आरटीयू मामला: स्टूडेंट ही सेट कर रहे थे एग्जाम पेपर, 3 दिन बढ़ी पुलिस रिमांड

ईशा और अर्पित दोनों ने ही की थी रिकॉर्डिंग: पुलिस की पूछताछ में सामने आया है कि ईशा और अर्पित दोनों ने ही परमार की रिकॉर्डिंग की थी. जबकि परमार किसी भी तरह की कोई रिकॉर्डिंग अपने मोबाइल में नहीं करता था. उसे अंदेशा भी नहीं था कि यह दोनों इस तरह की रिकॉर्डिंग कर रहे हैं. साथ ही वह हमेशा ही दावा करता था कि उसे कोई भी नहीं फंसा सकता है. यहां तक कि पुलिस पूछताछ में भी परमार ने यही कहा है कि उसे कोई नहीं फंसा सकता था, अगर यह रिकॉर्डिंग दोनों नहीं करते. परमार किसी भी छात्रा से सीधी बातचीत नहीं करता था, जब तक कि वह पूरी तरह से उसके चंगुल में नहीं फंस जाती थी. उसके लिए छात्राओं को चंगुल में फंसाने का काम अर्पित और ईशा बखूबी कर रहे थे.

Last Updated : Dec 30, 2022, 11:16 AM IST
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