कोटा. सांगोद के विधायक भरत सिंह ने 24 जुलाई को विधानसभा में पारित हुए कोटा डेवलपमेंट अथॉरिटी बिल पर आपत्ति जताई है. विधायक भरत सिंह ने बिल पर प्रतिक्रिया देते हुए कई आरोप लगाए हैं. उनका आरोप है कि भू माफियाओं ने यह बिल तैयार किया है. यह विकास की जगह कोटा विनाश प्राधिकरण होगा. भरत सिंह ने कहा कि चर्चा किए बिना बिल को पास कर देना धोखा है. 'मैं इसका विरोध करता हूं'. उन्होंने कहा कि हम जिंदा मक्खी नहीं निगलने देंगे.
जानबूझकर जोड़ा गया कोटा रीजन शब्द : उन्होंने कहा कि बजट घोषणा का विरोध नहीं होना चाहिए, लेकिन बिना चर्चा के बिल विधानसभा से पारित किया गया है. बिल का अवलोकन मैंने किया है. भरत सिंह ने यह भी कहा कि अब यूआईटी भंग हो जाएगी, यूआईटी कोटा जिले में ही थी. वहीं, प्राधिकरण को कोटा जिला प्राधिकरण नहीं बनाया है, कोटा रीजन शब्द जोड़ा गया है. उन्होंने कहा कि रीजन बनाकर इसमें नदी के पास बूंदी के केशोरायपाटन व तालेड़ा, कोटा जिले के लाडपुरा के सभी गांव और सांगोद के कुछ गांव को इसमें जोड़ दिया गया है. उन्होंने कहा कि इसमें 280 गांव शामिल हैं. वहीं, इसके गवर्निंग बॉडी से इन गांवों के जनप्रतिनिधि और राय देने वाले सभी लोगों को बाहर रखा है.
एमएलए, जिला प्रमुख, अधिकारियों को जानकारी नहीं : उन्होंने कहा कि पंचायत समिति, जिला परिषद और कलेक्ट्रेट कार्यालय में इसकी सूचना जारी होती. इस पर पहले विचार-विमर्श किया जाता. विधानसभाओं के परिसीमन की तरह इसपर मंथन होना चाहिए था. भरत सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने इतना बड़ा कदम उठा लिया, लेकिन एमएलए, पंचायत समिति प्रधान और जिला प्रमुख तक को इसकी जानकारी नहीं दी. किस गांव का किस क्राइटेरिया से चयन किया गया है, यह भी नहीं बताया है.
मुख्यमंत्री से मिल आपत्ति जताकर आया हूं : उन्होंने कहा कि इस बिल के बारे में जानकारी होने पर सीएम से मिलने गया था. भरत सिंह ने कहा कि 'मैंने सीएम से कह दिया कि यह बिल किसी भू माफिया ने तैयार किया है. यह बिल काफी खतरनाक है. उन्होंने कहा कि सीएम को बताया है कि इससे जंगल, तालाब विकास के नाम पर खत्म कर दिए जाएंगे. इस बिल पर विधानसभा में चर्चा होनी चाहिए थी. उन्होंने यह भी कहा कि शोर शराब के बीच 14 मिनट में 4 बिल पारित हो गए, जबकि इसकी आवश्यकता नहीं थी.
अगले शासन में करवा लेते पारित : उन्होंने कहा कि विधायकों ने पहले से अपना नाम इस बिल पर बोलने के लिए दिया था, हालांकि वे भी नहीं बोल पाए. जब 2 अगस्त को विधानसभा दोबारा चलनी है, तब इस पर चर्चा हो सकती थी. अंतिम चार से छह महीने में ऐसे महत्वपूर्ण बिल पास नहीं होने चाहिए. सीएम जब दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस की सरकार रिपीट होगी और धारीवाल यूडीएच मंत्री चौथी बार भी बनेंगे तब अगले शासन में ही इस बिल को रखते और इस पर चर्चा करके पास करवाते.
कर्तव्य है कि गलतियों को उजागर करना : भरत सिंह ने कहा कि 'मैं कांग्रेस का सदस्य हूं, इसलिए मेरा फर्ज बनता है कि कमियों को उजागर करूं'. उन्होंने कहा कि यह बिल पारित हो गया है, ऐसे में जनता के बीच ही जाकर इसका विरोध किया जा सकता है, इसलिए 2 अगस्त को जब विधानसभा चलेगी तो हम कोटा में विरोध प्रदर्शन करेंगे. इस मामले में जिला परिषद के सीईओ ने अनभिज्ञता जता दी, जबकि कलेक्टर को पूरी जानकारी थी, उन्होंने मुझे नहीं दी. इस संबंध में जिला कलेक्टर के सामने भी आपत्ति जताई है.
बिल की बाल मृत्यु हो जानी चाहिए : भरत सिंह ने कहा कि इस बिल की बाल मृत्यु हो जाए, इसी में भला है. इसमें फॉरेस्ट, इरीगेशन, एमएलए और जनप्रतिनिधियों को सदस्य बनाया जाना चाहिए. भरत सिंह का कहना है कि राजस्थान में रिटायरमेंट के बाद भी अधिकारी सुख भोग रहे हैं, उन्हें जिम्मेदार पदों पर बैठाया जा रहा है. इससे सरकार का भी नुकसान हो रहा है.