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राजस्थान का वो मंत्री जिसने राम मंदिर कार सेवा के लिए छोड़ दिया था मंत्री पद, स्टेशन पर छोड़ने आए थे खुद सीएम

1990 में अयोध्या में कार सेवा के लिए राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर कोटा से ललित किशोर चतुर्वेदी भी गए थे. उनके साथ दो अन्य मंत्रियों ने भी मंत्री पद त्यागकर कार सेवा करना जरूरी समझा. इस रिपोर्ट में जानते हैं ललित किशोर चतुर्वेदी के बारे में, जिन्होंने कार सेवा के लिए मंत्री पद तो जनसंघ के लिए सरकारी नौकरी तक त्याग दी थी.

Lalit Kishore Chaturvedi
ललित किशोर चतुर्वेदी
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 14, 2024, 11:31 AM IST

Updated : Jan 14, 2024, 12:09 PM IST

ललित किशोर चतुर्वेदी

कोटा. अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को आयोजित होने वाली है. इसकी तैयारियां जोर-शोर से भगवान श्री राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड कर रहा है और देश के विशिष्ट लोगों को इसके लिए आमंत्रित भी किया जा रहा है. इनमें राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए कार सेवा करने वाले लोग भी शामिल हैं. देश में आज से 34 साल पहले राम मंदिर का आंदोलन चला था, जिसमें भाग लेने के लिए हजारों कारसेवक पूरे देश भर से पहुंचे थे. इनमें कोटा के भी कारसेवक शामिल थे. इनमें कुछ विशिष्ट लोग भी शामिल थे. उस समय खास चर्चा में रहे ललित किशोर चतुर्वेदी, जिन्होंने राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर कार सेवा में शिरकत की. उनके अलावा दो अन्य मंत्रियों ने भी राजस्थान सरकार में मंत्री पद छोड़कर कार सेवा में जाना मंजूर किया था.

Lalit Kishore Chaturvedi
ललित किशोर चतुर्वेदी ने छोड़ दिया था मंत्री पद

सीएम ने दिया था संवैधानिक पद का हवाला : ललित किशोर चतुर्वेदी का देहांत 9 साल पहले हो चुका है. उनके बेटे डॉ. लोकेश चतुर्वेदी भी भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय पदाधिकारी हैं और कई इलाकों में वह काम करते हैं. इसी तरह स्टेशन इलाके में रहने वाले बृजेश शर्मा भी ललित किशोर चतुर्वेदी के करीबी रहे हैं. शर्मा ने बताया कि सन 1992 में प्रदेश में भैरों सिंह शेखावत सरकार थी और ललित किशोर चतुर्वेदी कैबिनेट मंत्री थे. वे कार सेवा के लिए अयोध्या जाना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने उन्हें संवैधानिक पद होने का हवाला देते हुए इनकार कर दिया.

इसे भी पढ़ें : राजस्थान के शहद से होगा रामलला के महाभिषेक, 125 किलो शहद के साथ अयोध्या के लिए रवाना हुआ रथ

चतुर्वेदी ने दे दिया था मंत्री पद से इस्तीफा : जब सीएम शेखावत ने उन्हें जाने के लिए मना कर दिया तब ललित किशोर चतुर्वेदी ने सीएम से पूछा कि कार सेवक बनने के लिए उन्हें क्या करना होगा? तब शेखावत ने कहा कि मंत्री पद छोड़ना होगा. इसके लिए चतुर्वेदी सहर्ष तैयार भी हो गए थे. उन्होंने अपना इस्तीफा तत्कालीन सीएम शेखावत को सौंप दिया और कार सेवा के लिए अयोध्या जाने की तैयारी शुरू कर दी.

शेखावत आए थे स्टेशन पर छोड़ने : बृजेश शर्मा ने बताया कि ललित किशोर चतुर्वेदी ने राजस्थान के कई इलाकों के लोगों का नेतृत्व किया था. दिसंबर 1990 में इस्तीफा देने के बाद वो कार सेवा के लिए जयपुर स्टेशन से रवाना हो रहे थे. इस दौरान उन्हें स्टेशन पर छोड़ने के लिए भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत आए थे. शेखावत ने चतुर्वेदी से कहा था कि संगठन और राम मंदिर के लिए इतना बड़ा त्याग मुश्किल ही कोई कर पाता. उन्होंने उन्हें बधाई देते हुए अयोध्या के लिए विदा कर दिया.

Lalit Kishore Chaturvedi
25 सालों तक हाड़ौती का नेतृत्व करते रहे चतुर्वेदी

इसे भी पढ़ें : सीपी जोशी ने कांग्रेस पर साधा निशाना, बोले - राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा में जाएं तो सभी पाप धुल जाएंगे

संगठन के लिए भी छोड़ दी थी सरकारी नौकरी : ललित किशोर चतुर्वेदी मंत्री पद छोड़ने के लिए ही नहीं जाने जाते. जनसंघ में काम करने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी का भी बलिदान कर दिया था. उनके बारे में बताते हुए बृजेश शर्मा कहते हैं कि चतुर्वेदी ने 1954 से 1966 तक सरकारी नौकरी की थी. हालांकि, वो इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम भी करते थे. इसलिए उनका जगह-जगह पर स्थानांतरण होता रहा. अंतिम समय 1966 में चतुर्वेदी भरतपुर में फिजिक्स के लेक्चरर के रूप में पोस्टेड थे.

इस दौरान ही उन्हें जनसंघ के तत्कालीन राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुंदर सिंह भंडारी ने बुलाया और कहा कि वह राजस्थान में जनसंघ की कमान को संभाल लें, क्योंकि वहां संगठन कमजोर है. इसके लिए तुरंत चतुर्वेदी तैयार हो गए और उन्होंने 1966 में ही अपना फिजिक्स लेक्चर पद से इस्तीफा दे दिया. उनके साथ काम करने वाले कार्मिकों ने उन्हें इस दौरान रोका, लेकिन वो एक नहीं माने. जनसंघ में राजस्थान के संगठन मंत्री बन गए और पूरे राजस्थान में उन्होंने संगठन का काम फैलाया. यहां तक कि वो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वो 25 सालों तक कोटा का प्रतिनिधित्व करते रहे. वे प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी बने थे.

ललित किशोर चतुर्वेदी

कोटा. अयोध्या में भगवान श्री राम का मंदिर बनकर तैयार हो रहा है, जिसकी प्राण-प्रतिष्ठा 22 जनवरी को आयोजित होने वाली है. इसकी तैयारियां जोर-शोर से भगवान श्री राम जन्मभूमि न्यास बोर्ड कर रहा है और देश के विशिष्ट लोगों को इसके लिए आमंत्रित भी किया जा रहा है. इनमें राम जन्मभूमि आंदोलन के लिए कार सेवा करने वाले लोग भी शामिल हैं. देश में आज से 34 साल पहले राम मंदिर का आंदोलन चला था, जिसमें भाग लेने के लिए हजारों कारसेवक पूरे देश भर से पहुंचे थे. इनमें कोटा के भी कारसेवक शामिल थे. इनमें कुछ विशिष्ट लोग भी शामिल थे. उस समय खास चर्चा में रहे ललित किशोर चतुर्वेदी, जिन्होंने राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर कार सेवा में शिरकत की. उनके अलावा दो अन्य मंत्रियों ने भी राजस्थान सरकार में मंत्री पद छोड़कर कार सेवा में जाना मंजूर किया था.

Lalit Kishore Chaturvedi
ललित किशोर चतुर्वेदी ने छोड़ दिया था मंत्री पद

सीएम ने दिया था संवैधानिक पद का हवाला : ललित किशोर चतुर्वेदी का देहांत 9 साल पहले हो चुका है. उनके बेटे डॉ. लोकेश चतुर्वेदी भी भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय पदाधिकारी हैं और कई इलाकों में वह काम करते हैं. इसी तरह स्टेशन इलाके में रहने वाले बृजेश शर्मा भी ललित किशोर चतुर्वेदी के करीबी रहे हैं. शर्मा ने बताया कि सन 1992 में प्रदेश में भैरों सिंह शेखावत सरकार थी और ललित किशोर चतुर्वेदी कैबिनेट मंत्री थे. वे कार सेवा के लिए अयोध्या जाना चाहते थे, लेकिन मुख्यमंत्री भैरो सिंह शेखावत ने उन्हें संवैधानिक पद होने का हवाला देते हुए इनकार कर दिया.

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चतुर्वेदी ने दे दिया था मंत्री पद से इस्तीफा : जब सीएम शेखावत ने उन्हें जाने के लिए मना कर दिया तब ललित किशोर चतुर्वेदी ने सीएम से पूछा कि कार सेवक बनने के लिए उन्हें क्या करना होगा? तब शेखावत ने कहा कि मंत्री पद छोड़ना होगा. इसके लिए चतुर्वेदी सहर्ष तैयार भी हो गए थे. उन्होंने अपना इस्तीफा तत्कालीन सीएम शेखावत को सौंप दिया और कार सेवा के लिए अयोध्या जाने की तैयारी शुरू कर दी.

शेखावत आए थे स्टेशन पर छोड़ने : बृजेश शर्मा ने बताया कि ललित किशोर चतुर्वेदी ने राजस्थान के कई इलाकों के लोगों का नेतृत्व किया था. दिसंबर 1990 में इस्तीफा देने के बाद वो कार सेवा के लिए जयपुर स्टेशन से रवाना हो रहे थे. इस दौरान उन्हें स्टेशन पर छोड़ने के लिए भी तत्कालीन मुख्यमंत्री भैरों सिंह शेखावत आए थे. शेखावत ने चतुर्वेदी से कहा था कि संगठन और राम मंदिर के लिए इतना बड़ा त्याग मुश्किल ही कोई कर पाता. उन्होंने उन्हें बधाई देते हुए अयोध्या के लिए विदा कर दिया.

Lalit Kishore Chaturvedi
25 सालों तक हाड़ौती का नेतृत्व करते रहे चतुर्वेदी

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संगठन के लिए भी छोड़ दी थी सरकारी नौकरी : ललित किशोर चतुर्वेदी मंत्री पद छोड़ने के लिए ही नहीं जाने जाते. जनसंघ में काम करने के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी का भी बलिदान कर दिया था. उनके बारे में बताते हुए बृजेश शर्मा कहते हैं कि चतुर्वेदी ने 1954 से 1966 तक सरकारी नौकरी की थी. हालांकि, वो इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का काम भी करते थे. इसलिए उनका जगह-जगह पर स्थानांतरण होता रहा. अंतिम समय 1966 में चतुर्वेदी भरतपुर में फिजिक्स के लेक्चरर के रूप में पोस्टेड थे.

इस दौरान ही उन्हें जनसंघ के तत्कालीन राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुंदर सिंह भंडारी ने बुलाया और कहा कि वह राजस्थान में जनसंघ की कमान को संभाल लें, क्योंकि वहां संगठन कमजोर है. इसके लिए तुरंत चतुर्वेदी तैयार हो गए और उन्होंने 1966 में ही अपना फिजिक्स लेक्चर पद से इस्तीफा दे दिया. उनके साथ काम करने वाले कार्मिकों ने उन्हें इस दौरान रोका, लेकिन वो एक नहीं माने. जनसंघ में राजस्थान के संगठन मंत्री बन गए और पूरे राजस्थान में उन्होंने संगठन का काम फैलाया. यहां तक कि वो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे. वो 25 सालों तक कोटा का प्रतिनिधित्व करते रहे. वे प्रदेश के शिक्षा मंत्री भी बने थे.

Last Updated : Jan 14, 2024, 12:09 PM IST
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