कोटा. जेके लोन अस्पताल कुछ सालों पहले अपनी दयनीय स्थिति को बयां अपने आप ही कर रहा था, लेकिन राज्य सरकार ने अस्पताल में करोड़ों रुपए खर्च करके उसे अत्याधुनिक बना दिया है. साथ ही कई तरह की सुविधाएं उसमें विकसित की गई है. इसी के तहत जेके लोन अस्पताल में इम्यूनाइजेशन सेंटर पहले बना हुआ था, जिसे नए बने ओपीडी ब्लॉक में शिफ्ट कर दिया गया है. जिस जगह पर इम्यूनाइजेशन सेंटर नए ओपीडी ब्लॉक में बनाया गया है. वहां बच्चों को लुभाने के लिए कई तरह की पेंटिंग करवाई गई है. साथ ही पूरे इम्यूनाइजेशन सेंटर को मॉडल के रूप में तैयार किया गया है. यहां पर बच्चों के खेलने के लिए खिलौने से लेकर सब कुछ व्यवस्था है.
मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. संगीता सक्सेना का कहना है कि बच्चे यहां पर आएंगे, तब उन्हें खेलने के लिए भी मिलेगा. खेल-खेल में ही उनको जीवन रक्षक टीके भी लगाए जाएंगे. टीका लगवाने पहुंचने वाले बच्चे रोते भी हैं. ऐसे में उनका मनोरंजन यहां पर रखे गए खिलौने कर सकेंगे. छोटे बच्चों को इस इम्यूनाइजेशन सेंटर से फ्रेंडली बनाने के लिए पूरे प्रयास किए गए हैं. कई तरह के कार्टून कैरेक्टर्स की पेंटिंग और पोस्टर बैनर यहां पर लगाए गए हैं. ताकि बच्चे उन्हें यहां देख कर खुश हो जाए. डॉ. सक्सेना ने दावा किया है कि प्रदेश में इस तरह का पहला ही इम्यूनाइजेशन सेंटर होगा. जहां पर इस तरह से बच्चों को ध्यान में रखकर व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही पेरेंट्स को जागरूक करने के लिए भी टीकाकरण से संबंधित जानकारी दी गई है. कौनसा टीका कब लगाना है, यह भी दीवार पर पेंटिंग के जरिए दर्शाया गया है.
चार करोड़ से बना था अत्याधुनिक एनआईसीयू : साल 2020 और 2021 में जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले सामने आए थे. जिसके बाद ही राज्य सरकार सचेत हुई थी और सरकार ने नवजात शिशुओं की केयर के लिए एनआईसीयू और पीआईसीयू यहां पर तैयार हुए थे. यह एनआईसीयू व पीआईसीयू करीब 4 करोड़ लागत से बनकर तैयार हुए थे. जिन्हें भी रिकॉर्ड महज 3 महीने में ही तैयार करवा दिया गया था. यह एनआईसीयू प्रदेश के पहले अपनी तरह के अत्याधुनिक एनआईसीयू थे. जिनमें संक्रमण रोकने के लिए फ्लोर से लेकर दीवार तक भी एंटी बैक्टीरियल का उपयोग किया था. इसके बाद प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में भी इस तरह के पीआईसीयू और एनआईसीयू बने हैं.
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