कोटा. राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लगी हुई है. हाड़ौती की सीटों पर अभी कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियों ने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं. ऐसे में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं को बेसब्री से प्रत्याशी सूची का इंतजार है. इसके बाद ही तस्वीर साफ होगी कि कौन-कौन चुनावी मैदान में कूदेगा. हालांकि, हाड़ौती के पिछले चुनावी इतिहास पर नजर डाले तो ये क्षेत्र भाजपा का गढ़ रहा है.
वहीं जब ईटीवी भारत ने हाड़ौती से चुनाव लड़ चुके नेताओं का रिकॉर्ड देखा है तो उसमें पाया कि 23 नेता ऐसे हैं, जो तीन या उससे अधिक बार चुनाव जीत चुके हैं. इसमें छह बार चुनाव जीतने वाले नेताओं में एक मात्र प्रताप सिंह सिंघवी का नाम शामिल है. सिंघवी छबड़ा विधानसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे हैं. इसके बाद पांच बार चुनाव जीतने वाले नेताओं में जगन्नाथ वर्मा, मदन दिलावर, रामनारायण मीणा और ललित किशोर चतुर्वेदी का नाम शामिल है.
16 भाजपा व 7 कांग्रेस के नेता शामिल : तीन से ज्यादा बार चुनाव जीतने वाले नेताओं की संख्या 23 है. ये 23 मिलाकर ही 86 बार चुनाव जीते हैं. इनमें से 16 नेता भाजपा से है तो शेष 7 कांग्रेस के हैं. भाजपा के नेताओं में वसुंधरा राजे सिंधिया, प्रताप सिंह सिंघवी, मदन दिलावर, चंद्रकांता मेघवाल, अशोक डोगरा, ओम बिरला, भवानी सिंह राजावत, रघुवीर सिंह कौशल, ललित किशोर चतुर्वेदी, जगन्नाथ वर्मा, बालचंद आर्य, मांगीलाल मेघवाल, हीरालाल आर्य, नरेंद्र नागर व दाऊ दयाल जोशी शामिल हैं. कांग्रेस के नेताओं में शांति धारीवाल, भरत सिंह कुंदनपुर, प्रमोद जैन भाया, रामकिशन वर्मा, शिवनारायण नागर, हीरालाल सहरिया और रामनारायण मीणा का नाम शामिल है.
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6 बार विधायक बने सिंघवी, एक बार हारे, एक बार कटा टिकट : प्रताप सिंह सिंघवी सर्वाधिक छह बार चुनाव लड़ चुके हैं. उनकी सीट भी कभी उन्होंने नहीं बदली. हमेशा वो छबड़ा से ही प्रतिनिधित्व करते आए हैं. पहली बार वो 1985 में चुनाव लड़े. उसके बाद 1993, 1998 और 2003 में भी जीत दर्ज करने में कामयाब रहे. वहीं, 2008 में उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था. यहां से करण सिंह कांग्रेस के प्रत्याशी जीते थे. इसके बाद 2013 और 2018 में दोबारा छबड़ा से वो चुनाव जीतकर विधायक बने. हालांकि, वो लगातार छह बार विधायक नहीं रहे हैं. साल 1985 में विधायक बने, लेकिन 1990 में उन्हें टिकट नहीं मिला था और 2008 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
दिलावर चार बार लगातार एमएलए रहे : हाड़ौती की सीटों से पांच बार विधायक रहे नेताओ में भाजपा से मदन दिलावर का नाम भी सामने आता है. वो बारां जिले की अटरू सीट से 1990 से 2008 तक लगातार विधायक रहे. साल 1990, 1993, 1998 और 2003 में वो चुनाव जीते थे. परिसीमन के बाद यह सीट बारां अटरू हो गई थी, जहां से दिलावर 2008 में कांग्रेस के पानाचंद मेघवाल से चुनाव हार गए थे. इसके बाद 2013 में उन्हें टिकट नहीं मिला. पार्टी ने 2018 में रामगंज मंडी से उन्हें मौका दिया और वो चुनाव जीत के फिर से विधायक बने.
चतुर्वेदी और वर्मा ने बनाया लगातार 5 बार एमएलए रहने का रिकॉर्ड : हाड़ौती से लगातार पांच बार एमएलए रहने का रिकॉर्ड ललित किशोर चतुर्वेदी और जगन्नाथ वर्मा के नाम है. ललित किशोर चतुर्वेदी कोटा सीट से साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी से जीते थे. उसके बाद 1980, 1985, 1990 और 1993 में वो भाजपा से लगातार विधायक रहे. दूसरी तरफ जगन्नाथ वर्मा झालावाड़ जिले की मनोहरथाना सीट से लगातार पांच बार भाजपा के विधायक रहे हैं. उन्होंने पहला चुनाव साल 1985 में लड़ा था. उसके बाद साल 1990, 1993, 1998 और 2003 में भी विधायक बने.
मीणा भी 5 बार जीते चुनाव : हाड़ौती से ही आने वाले रामनारायण मीणा भी पांच बार विधायक चुने गए हैं. मीणा साल 1990, 1993 और 2003 में बूंदी जिले की नैनवा विधानसभा से एमएलए रहे. उसके बाद परिसीमन में यह सीट खत्म हो गई. उन्होंने 2008 में चुनाव देवली उनियारा सीट से लड़ा, जहां से वो जीते थे. इसके बाद साल 2018 में कोटा जिले की पीपल्दा सीट से उन्हें उतारा गया, जहां से वो एमएलए बने.
चार बार एमएलए रहे नेताओं में 6 नाम शामिल : चार बार एमएलए रहे लोगों की सूची में चार नाम शामिल हैं, जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा के दिवंगत नेता रघुवीर सिंह कौशल, प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल, कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे रामकिशन वर्मा और पीपल्दा सीट से एमएलए रहे हीरालाल आर्य का नाम शामिल है. तीन बार चुनाव जीते नेताओं की सूची में 12 नाम शामिल हैं. इनमें चंद्रकांता मेघवाल, नरेंद्र नागराज बालचंद आर्य, हीरालाल सहरिया, प्रमोद जैन भाया, मांगीलाल मेघवाल, शिवनारायण नागर, भवानी सिंह राजावत, दाऊ दयाल जोशी, बाबूलाल वर्मा, ओम बिड़ला और अशोक डोगरा शामिल हैं.
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वसुंधरा, भरत सिंह और धारीवाल भी इस सूची में : चार बार विधायक रहे हाड़ौती के नेताओं की सूची में रघुवीर सिंह कौशल का भी नाम है. ये बारां सीट से भाजपा विधायक रहे हैं, जो 1993, 1998, 2008 और 2018 में चुनाव जीते हैं. इसके साथ ही रामकिशन वर्मा भी चार बार कांग्रेस के विधायक रहे. वो साल 1980 और 1985 में लाडपुरा और साल 1993 और 1998 में रामगंज मंडी से चुनाव जीते थे. वसुंधरा राजे सिंधिया की बात करें तो साल 2003 से लगातार 2018 तक वो झालरापाटन सीट से विधायक रही हैं. इसी तरह से हीरालाल आर्य भी पीपल्दा विधानसभा सीट से 1977 में जनता पार्टी से एमएलए रहे. उसके बाद 1980, 1985 और 1990 में पीपल्दा से भाजपा के विधायक बने थे.
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल पहला चुनाव 1993 में बूंदी जिले की हिंडोली सीट से जीते थे. उसके बाद साल 1998 में कोटा सीट से विधायक बने. परिसीमन के बाद कोटा सीट दो हिस्सों में विभाजित हो गई. इसमें कोटा उत्तर से वे 2008 और 2018 में विधायक बने. इसी तरह से भारत सिंह कुंदनपुर भी चार बार विधायक चुने गए. उन्होंने पहला चुनाव साल 1993 में खानपुर विधानसभा सीट से जीता था. उसके बाद 2003 में दीगोद से एमएलए बने. वहीं, 2008 और 2018 में सांगोद से चुनाव जीते.
13 नेता अभी भी सियासत में सक्रिय : 23 नेताओं में वर्तमान में 13 नेता सियासत में सक्रिय हैं. इनमें प्रताप सिंह सिंघवी, रामनारायण मीणा, मदन दिलावर, वसुंधरा राजे सिंधिया, शांति धारीवाल, भरत सिंह कुंदनपुर, चंद्रकांता मेघवाल, नरेंद्र नागर, प्रमोद जैन भाया, भवानी सिंह राजावत, ओम बिरला, अशोक डोगरा और बाबूलाल वर्मा शामिल हैं. जबकि शेष नेता में ललित किशोर चतुर्वेदी, जगन्नाथ वर्मा, दाऊ दयाल जोशी, रघुवीर सिंह कौशल, मांगीलाल मेघवाल, बालचंद आर्य, हीरालाल आर्य, रामकिशन वर्मा, हीरालाल सहरिया व शिवनारायण नागर का नाम है. इनमें से ज्यादातर का देहांत हो गया है और कुछ सक्रिय सियासत से दूरी बने लिए हैं.