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Rajasthan Assembly Election 2023 : हाड़ौती में नहीं गलती तीसरे मोर्चे और निर्दलीयों की 'दाल', कांग्रेस-भाजपा में है सीधा मुकाबला - Rajasthan Hindi news

राजस्थान में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. सभी पार्टियां अपने मजबूत दावेदार को चुनावी मैदान में उतारने में जुटी हुई है. वहीं, हाड़ौती को देखा जाए तो यहां की धरती पर कांग्रेस और भाजपा का ही कब्जा रहा है, कोई भी तीसरा मोर्चा या निर्दलीय यहां पर सफल नहीं हो पाया है. पढ़ें ये रिपोर्ट...

Rajasthan Assembly Election 2023
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Sep 30, 2023, 5:07 PM IST

Updated : Sep 30, 2023, 9:40 PM IST

भाजपा और कांग्रेस की राय

कोटा. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. जल्द ही प्रदेश में आचार संहिता लग जाएगी, ऐसे में दोनों ही पार्टियां कांग्रेस-भाजपा टिकट फाइनल करने की जगत में जुटी हुई हैं. दावेदारों पर मंथन चल रहा है. इस बीच बात करें हाड़ौती की तो यहां की धरती पर कांग्रेस और भाजपा ही अब तक अपना करिश्मा दिखा पाई हैं, कोई भी तीसरा मोर्चा यहां पर सफल नहीं हो पाया है. यहां तक कि निर्दलीयों की दाल भी हाड़ौती में नहीं गलती है.

जीत का प्रतिशत आधा भी नहीं : साल 2000 के बाद चार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें 70 विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं, जिनमें से महज दो ही विधायक निर्दलीय थे. यह भी 2003 के चुनाव में बारां जिले से ही चुने गए. दोनों निर्दलीय विधायक भाजपा और कांग्रेस के बागी थे. इनमें कांग्रेस से बागी होकर प्रमोद जैन भाया ने बारां विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसी तरह से भाजपा से बागी होकर हेमराज मीणा ने किशनगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को भी शिकस्त दी थी. इसके बाद एक भी निर्दलीय विधायक या तीसरे मोर्चे का उम्मीदवार हाड़ौती से जीत नहीं पाया है. निर्दलीयों के जीत का प्रतिशत यहां आधा भी नहीं है.

पढ़ें. RAJASTHAN SEAT SCAN : शेरगढ़ सीट पर भाजपा और कांग्रेस में होगा सियासी मुकाबला, यहां समझिए सियासी समीकरण

बागियों को वापस अपनाया था पार्टी ने : साल 2003 के चुनाव में जहां 18 सीट हाड़ौती में थी, उनमें से 12 पर भाजपा और 4 पर कांग्रेस आई थी, जबकि दो सीट पर अपनी पार्टियों से बागी होकर निर्दलीय जीते थे. इसके बाद 2008 के चुनाव से पहले दोनों निर्दलीय वापस अपनी पार्टियों में लौट गए. बारां से प्रमोद जैन भाया कांग्रेस से और किशनगंज से हेमराज मीणा भाजपा से जुड़ गए थे. इसके बाद दोनों को पार्टियों ने टिकट भी दिया था. प्रमोद जैन भाया बारां जिले की अंता सीट से विधायक चुने गए और अशोक गहलोत के दूसरे शासन में मंत्री भी बने, जबकि हेमराज मीणा किशनगंज से चुनाव हार गए थे.

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यहां देखें आकंड़े

पढे़ं. RAJASTHAN SEAT SCAN : जयपुर के आदर्श नगर सीट पर अंतिम समय में होता है हार-जीत का फैसला, RSS और AIMIM का भी रहेगा असर

432 निर्दलीय लगा चुके हैं दाव : हाड़ौती की विधानसभा सीटों से 2003 के बाद 570 कैंडिडेट दावेदारी जाता चुके हैं. इनमें साल 2013 में कोटा दक्षिण विधानसभा में हुए उपचुनाव के दावेदार भी शामिल हैं. इनमें से 70 विधायक चुने गए हैं, जिसमें महज दो ही निर्दलीय उम्मीदवार हैं. निर्दलीय या छोटी पार्टी के दावेदारों की संख्या 430 है, जबकि भाजपा और कांग्रेस की तरफ से घोषित कैंडिडेट की संख्या की बात की जाए तो वह 140 है. साल 2003 में 87 प्रत्याशी मैदान में थे, इसी तरह 2008 में ये संख्या 152 थी. साल 2013 में भी 150 और 2014 के उपचुनाव में 7 दावेदार कोटा दक्षिण से उतरे थे. इसी तरह से 2018 के चुनाव में 174 दावेदार मैदान में थे.

पढ़ें. RAJASTHAN SEAT SCAN : लूणी में फिर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर, RLP बनाएगी त्रिकोणीय मुकाबला, यहां समझिए सियासी समीकरण

दोनों ही दलों के नेता कर रहे ये दावा : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री और पूर्व विधायक हीरालाल नागर का कहना है कि हाड़ौती की जनता सीधा मैंडेट देती है. यह मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है, लेकिन हमेशा बीजेपी यहां पर आगे रही है. जनसंघ के जमाने से ही बीजेपी का दीपक यहां जल रहा है, जो आगे भी जलेगा. दूसरी तरफ, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता का कहना है कि इस बार कांग्रेस आगे रहेगी. सरकार की योजनाओं का फायदा लोगों को मिला है, इसीलिए मैंडेट कांग्रेस को मिलेगा. उन्होंने कहा कि यहां तीसरा मोर्चा सफल नहीं हो पाया, क्योंकि बड़े नेता इन दोनों दलों में ही शामिल थे. आम आदमी पार्टी ही नहीं कोई भी अन्य दलों को यहां मौका नहीं मिलेगा.

भाजपा और कांग्रेस की राय

कोटा. प्रदेश में विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है. जल्द ही प्रदेश में आचार संहिता लग जाएगी, ऐसे में दोनों ही पार्टियां कांग्रेस-भाजपा टिकट फाइनल करने की जगत में जुटी हुई हैं. दावेदारों पर मंथन चल रहा है. इस बीच बात करें हाड़ौती की तो यहां की धरती पर कांग्रेस और भाजपा ही अब तक अपना करिश्मा दिखा पाई हैं, कोई भी तीसरा मोर्चा यहां पर सफल नहीं हो पाया है. यहां तक कि निर्दलीयों की दाल भी हाड़ौती में नहीं गलती है.

जीत का प्रतिशत आधा भी नहीं : साल 2000 के बाद चार विधानसभा चुनाव हुए हैं. इनमें 70 विधायक चुनकर विधानसभा में पहुंचे हैं, जिनमें से महज दो ही विधायक निर्दलीय थे. यह भी 2003 के चुनाव में बारां जिले से ही चुने गए. दोनों निर्दलीय विधायक भाजपा और कांग्रेस के बागी थे. इनमें कांग्रेस से बागी होकर प्रमोद जैन भाया ने बारां विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. इसी तरह से भाजपा से बागी होकर हेमराज मीणा ने किशनगंज विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ दूसरी पार्टी के उम्मीदवार को भी शिकस्त दी थी. इसके बाद एक भी निर्दलीय विधायक या तीसरे मोर्चे का उम्मीदवार हाड़ौती से जीत नहीं पाया है. निर्दलीयों के जीत का प्रतिशत यहां आधा भी नहीं है.

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बागियों को वापस अपनाया था पार्टी ने : साल 2003 के चुनाव में जहां 18 सीट हाड़ौती में थी, उनमें से 12 पर भाजपा और 4 पर कांग्रेस आई थी, जबकि दो सीट पर अपनी पार्टियों से बागी होकर निर्दलीय जीते थे. इसके बाद 2008 के चुनाव से पहले दोनों निर्दलीय वापस अपनी पार्टियों में लौट गए. बारां से प्रमोद जैन भाया कांग्रेस से और किशनगंज से हेमराज मीणा भाजपा से जुड़ गए थे. इसके बाद दोनों को पार्टियों ने टिकट भी दिया था. प्रमोद जैन भाया बारां जिले की अंता सीट से विधायक चुने गए और अशोक गहलोत के दूसरे शासन में मंत्री भी बने, जबकि हेमराज मीणा किशनगंज से चुनाव हार गए थे.

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यहां देखें आकंड़े

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432 निर्दलीय लगा चुके हैं दाव : हाड़ौती की विधानसभा सीटों से 2003 के बाद 570 कैंडिडेट दावेदारी जाता चुके हैं. इनमें साल 2013 में कोटा दक्षिण विधानसभा में हुए उपचुनाव के दावेदार भी शामिल हैं. इनमें से 70 विधायक चुने गए हैं, जिसमें महज दो ही निर्दलीय उम्मीदवार हैं. निर्दलीय या छोटी पार्टी के दावेदारों की संख्या 430 है, जबकि भाजपा और कांग्रेस की तरफ से घोषित कैंडिडेट की संख्या की बात की जाए तो वह 140 है. साल 2003 में 87 प्रत्याशी मैदान में थे, इसी तरह 2008 में ये संख्या 152 थी. साल 2013 में भी 150 और 2014 के उपचुनाव में 7 दावेदार कोटा दक्षिण से उतरे थे. इसी तरह से 2018 के चुनाव में 174 दावेदार मैदान में थे.

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दोनों ही दलों के नेता कर रहे ये दावा : भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश मंत्री और पूर्व विधायक हीरालाल नागर का कहना है कि हाड़ौती की जनता सीधा मैंडेट देती है. यह मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच होता है, लेकिन हमेशा बीजेपी यहां पर आगे रही है. जनसंघ के जमाने से ही बीजेपी का दीपक यहां जल रहा है, जो आगे भी जलेगा. दूसरी तरफ, राजस्थान खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के उपाध्यक्ष पंकज मेहता का कहना है कि इस बार कांग्रेस आगे रहेगी. सरकार की योजनाओं का फायदा लोगों को मिला है, इसीलिए मैंडेट कांग्रेस को मिलेगा. उन्होंने कहा कि यहां तीसरा मोर्चा सफल नहीं हो पाया, क्योंकि बड़े नेता इन दोनों दलों में ही शामिल थे. आम आदमी पार्टी ही नहीं कोई भी अन्य दलों को यहां मौका नहीं मिलेगा.

Last Updated : Sep 30, 2023, 9:40 PM IST
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