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Purchase on MSP : महज 15 फीसदी केंद्र ही खुले, एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए किसान नहीं आए आगे - गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य

गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होनी है. इसी के साथ चना और सरसों के भाव मंडी में एमएसपी से कम हैं. इसीलिए इनकी भी खरीद के आदेश हुए हैं, लेकिन अधिकांश जगह या तो केंद्र शुरू नहीं हो पाए हैं या फिर जिस जगह पर केंद्र शुरू हो गए, वहां पर किसानों की रुचि कम है और माल की तुलाई के लिए के किसान नहीं पहुंच रहे हैं.

Purchase on MSP
एमएसपी पर गेहूं बेचने के लिए किसान नहीं आए आगे
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Published : Apr 7, 2023, 3:00 PM IST

कोटा. केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होनी है, लेकिन चना और सरसों के भाव मंडी में एमएसपी से कम है. जबकि खरीद के आदेश के बावजूद अधिकांश जगह या तो केंद्र शुरू नहीं हो पाए हैं या फिर जिस जगह पर केंद्र शुरू हो गए वहां पर किसानों की रुचि कम है और माल की तुलाई के लिए के किसान नहीं पहुंच रहे हैं. इसी कारण खरीद ठीक से शुरू नहीं हो पाई है.

गेहूं की बात की जाए तो 57 केंद्रों पर गेहूं की खरीद हाड़ौती के चारों जिले में बारां, बूंदी, कोटा व झालावाड़ में होनी है, लेकिन महज सात जगह ही खरीद शुरू हो पाई है. यह सभी केंद्र फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के हैं, जबकि राजफैड और तिलम संघ के केंद्रों पर तो अभी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. इधर, चना और सरसों की बात की जाए तो 8 केंद्र शुरू हुए हैं. हालांकि, खरीद केवल 5 केंद्र पर हुई है. कुल मिलाकर बात की जाए तो महज 15 फीसदी केंद्र भी अभी शुरू नहीं हो पाए. हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया है कि किसान भी अपनी उपज को लेकर नहीं पहुंच रहे हैं.

चना-सरसों की खरीद केवल 8 केंद्र पर हो गई शुरू : राजफैड के चना और सरसों के खरीद केंद्र भी महज आठ ही खुल पाए हैं. इनमें सात कोटा जिले में और एक बारां जिले में ही चालू हुआ है, जबकि पूरे हाड़ौती में 52 केंद्र स्वीकृत हुए है, लेकिन इन सभी के टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. इसी के चलते कार्य शुरू नहीं हो पाया है. हालांकि, राजफैड के अधिकारियों के अधिकारियों का यह भी कहना है कि जिन केंद्रों पर खरीद शुरू होनी है.

पढे़ं : Alwar Onion Mandi : किसानों के लिए प्याज बना घाटे का सौदा, बंपर पैदावार से दाम में गिरावट

ऐसे कई के डरो पर रजिस्ट्रेशन भी किसानों ने नहीं करवाया है. कई जगह तो इक्के दुक्के ही रजिस्ट्रेशन हुए हैं. चना और सरसों के रजिस्ट्रेशन की बात की जाए तो अभी तक 25908 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इनमें सरसों के लिए 9325 और चने के लिए 19853 रजिस्ट्रेशन है. इनमें से 1182 किसानों को टोकन जारी कर दिए गए हैं, जबकि महज 50 किसान ही अपना माल बेचने के लिए पहुंचे हैं.

मजदूरी और ट्रांसपोर्टेशन का ठेका स्वीकृत नहीं होना बताया कारण : कोटा जिले में इटावा, सुल्तानपुर, खातोली, कुंदनपुर, बपावर, सांगोद और भगवानपुरा के साथ कोटा भामाशाह मंडी के केंद्र को ही शुरू राजफैड करवा पाया है. दूसरी तरफ बारां जिले में केवल अटरू का ही केंद्र शुरू हो पाया है. शेष बचे 44 केंद्र अभी शुरू में ही हुए हैं. इसका मुख्य कारण केंद्र शुरू नहीं होने का कारण मजदूरी और ट्रांसपोर्टेशन का ठेका स्वीकृत नहीं होना है. जबकि हाड़ौती में करीब 52 केंद्र इसके लिए स्वीकृत किए गए थे. इनमें बारां और झालावाड़ जिले में 17-17, बूंदी जिले में सात व कोटा जिले में 11 केंद्र शामिल है.

धीरे-धीरे शुरू करवा रहे हैं केंद्र : राजफैड के क्षेत्रीय अधिकारी गुलाब चंद मीणा ने बताया कि बूंदी और कोटा के केंद्र अगले सप्ताह की शुरुआत में शुरू कर दिए जाएंगे. वहीं, बारां और झालावाड़ के केंद्रों को भी जल्द शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए टेंडर कर दिए थे, जिनकी स्वीकृति आने के साथ की इन केंद्रों को धीरे-धीरे शुरू करवाया जा रहा है. गेहूं की खरीद के लिए टेंडर किए हुए हैं. यह टेंडर भी 11 से लेकर 17 अप्रैल के बीच में खुलेंगे, इनके बाद वर्क ऑर्डर जारी होगा. जिसके बाद ही गेहूं की खरीद के केंद्र शुरू हो पाएंगे.

हमने टोकन जारी कर दी है, किसान माल लेकर नहीं पहुंच रहे : एफसीआई के डिविजनल मैनेजर सतीश कुमार का कहना है कि उनके 25 केंद्र हाड़ौती में गेहूं की तुलाई के लिए शुरू होने हैं. इनमें से 22 के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिए हैं. इनमें से 7 जगह ठेकेदार ने काम भी संभाल लिया है, लेकिन अभी गेहूं की तुलाई नहीं हुई है. क्योंकि किसान गेहूं को लेकर नहीं पहुंच रहा है. उनका तो यह भी कहना है कि जिस स्टैंडर्ड का माल एफसीआई को खरीदना है, उसका दाम खुले बाजार में एमएसपी से ज्यादा है. इसी के चलते किसान लेकर नहीं पहुंच रहा है. उनका कहना है कि 4700 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इनमें ज्यादातर रजिस्ट्रेशन बूंदी जिले का है, लेकिन बारां, कोटा और झालावाड़ में किसानों की रूचि कम है. इसीलिए खरीद अभी बिल्कुल भी नहीं हुई है. किसानों को टेंडर भी जारी कर दिए हैं.

कोटा. केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद शुरू होनी है, लेकिन चना और सरसों के भाव मंडी में एमएसपी से कम है. जबकि खरीद के आदेश के बावजूद अधिकांश जगह या तो केंद्र शुरू नहीं हो पाए हैं या फिर जिस जगह पर केंद्र शुरू हो गए वहां पर किसानों की रुचि कम है और माल की तुलाई के लिए के किसान नहीं पहुंच रहे हैं. इसी कारण खरीद ठीक से शुरू नहीं हो पाई है.

गेहूं की बात की जाए तो 57 केंद्रों पर गेहूं की खरीद हाड़ौती के चारों जिले में बारां, बूंदी, कोटा व झालावाड़ में होनी है, लेकिन महज सात जगह ही खरीद शुरू हो पाई है. यह सभी केंद्र फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआई) के हैं, जबकि राजफैड और तिलम संघ के केंद्रों पर तो अभी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो पाई है. इधर, चना और सरसों की बात की जाए तो 8 केंद्र शुरू हुए हैं. हालांकि, खरीद केवल 5 केंद्र पर हुई है. कुल मिलाकर बात की जाए तो महज 15 फीसदी केंद्र भी अभी शुरू नहीं हो पाए. हालांकि, अधिकारियों ने दावा किया है कि किसान भी अपनी उपज को लेकर नहीं पहुंच रहे हैं.

चना-सरसों की खरीद केवल 8 केंद्र पर हो गई शुरू : राजफैड के चना और सरसों के खरीद केंद्र भी महज आठ ही खुल पाए हैं. इनमें सात कोटा जिले में और एक बारां जिले में ही चालू हुआ है, जबकि पूरे हाड़ौती में 52 केंद्र स्वीकृत हुए है, लेकिन इन सभी के टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है. इसी के चलते कार्य शुरू नहीं हो पाया है. हालांकि, राजफैड के अधिकारियों के अधिकारियों का यह भी कहना है कि जिन केंद्रों पर खरीद शुरू होनी है.

पढे़ं : Alwar Onion Mandi : किसानों के लिए प्याज बना घाटे का सौदा, बंपर पैदावार से दाम में गिरावट

ऐसे कई के डरो पर रजिस्ट्रेशन भी किसानों ने नहीं करवाया है. कई जगह तो इक्के दुक्के ही रजिस्ट्रेशन हुए हैं. चना और सरसों के रजिस्ट्रेशन की बात की जाए तो अभी तक 25908 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इनमें सरसों के लिए 9325 और चने के लिए 19853 रजिस्ट्रेशन है. इनमें से 1182 किसानों को टोकन जारी कर दिए गए हैं, जबकि महज 50 किसान ही अपना माल बेचने के लिए पहुंचे हैं.

मजदूरी और ट्रांसपोर्टेशन का ठेका स्वीकृत नहीं होना बताया कारण : कोटा जिले में इटावा, सुल्तानपुर, खातोली, कुंदनपुर, बपावर, सांगोद और भगवानपुरा के साथ कोटा भामाशाह मंडी के केंद्र को ही शुरू राजफैड करवा पाया है. दूसरी तरफ बारां जिले में केवल अटरू का ही केंद्र शुरू हो पाया है. शेष बचे 44 केंद्र अभी शुरू में ही हुए हैं. इसका मुख्य कारण केंद्र शुरू नहीं होने का कारण मजदूरी और ट्रांसपोर्टेशन का ठेका स्वीकृत नहीं होना है. जबकि हाड़ौती में करीब 52 केंद्र इसके लिए स्वीकृत किए गए थे. इनमें बारां और झालावाड़ जिले में 17-17, बूंदी जिले में सात व कोटा जिले में 11 केंद्र शामिल है.

धीरे-धीरे शुरू करवा रहे हैं केंद्र : राजफैड के क्षेत्रीय अधिकारी गुलाब चंद मीणा ने बताया कि बूंदी और कोटा के केंद्र अगले सप्ताह की शुरुआत में शुरू कर दिए जाएंगे. वहीं, बारां और झालावाड़ के केंद्रों को भी जल्द शुरू किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इसके लिए टेंडर कर दिए थे, जिनकी स्वीकृति आने के साथ की इन केंद्रों को धीरे-धीरे शुरू करवाया जा रहा है. गेहूं की खरीद के लिए टेंडर किए हुए हैं. यह टेंडर भी 11 से लेकर 17 अप्रैल के बीच में खुलेंगे, इनके बाद वर्क ऑर्डर जारी होगा. जिसके बाद ही गेहूं की खरीद के केंद्र शुरू हो पाएंगे.

हमने टोकन जारी कर दी है, किसान माल लेकर नहीं पहुंच रहे : एफसीआई के डिविजनल मैनेजर सतीश कुमार का कहना है कि उनके 25 केंद्र हाड़ौती में गेहूं की तुलाई के लिए शुरू होने हैं. इनमें से 22 के लिए वर्क ऑर्डर जारी कर दिए हैं. इनमें से 7 जगह ठेकेदार ने काम भी संभाल लिया है, लेकिन अभी गेहूं की तुलाई नहीं हुई है. क्योंकि किसान गेहूं को लेकर नहीं पहुंच रहा है. उनका तो यह भी कहना है कि जिस स्टैंडर्ड का माल एफसीआई को खरीदना है, उसका दाम खुले बाजार में एमएसपी से ज्यादा है. इसी के चलते किसान लेकर नहीं पहुंच रहा है. उनका कहना है कि 4700 किसानों ने रजिस्ट्रेशन करवाया है. इनमें ज्यादातर रजिस्ट्रेशन बूंदी जिले का है, लेकिन बारां, कोटा और झालावाड़ में किसानों की रूचि कम है. इसीलिए खरीद अभी बिल्कुल भी नहीं हुई है. किसानों को टेंडर भी जारी कर दिए हैं.

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