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स्पेशल : निगम व UIT में 150 से ज्यादा फाइलें पेंडिंग...1 साल से नहीं हुई निर्माण समिति की बैठक

कोटा नगर निगम और यूआईटी में इन दिनों स्वीकृति के लिए 150 से ज्यादा फाइलें पेंडिंग हैं. मल्टीस्टोरी या फिर जी प्लस टू निर्माण के लिए आवेदन करने वाले परेशान हैं. दूसरी तरफ शहर के जनप्रतिनिधि का आरोप है कि अधिकारियों के निर्माण स्वीकृति जारी नहीं करने के चलते अवैध निर्माण धड़ल्ले से शहर में हो रहे हैं. देखिये ये रिपोर्ट...

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Published : Sep 17, 2020, 5:27 PM IST

कोटा नगर निगम, kota news
कोटा नगर निगम और यूआईटी में फाइलें पेंडिंग

कोटा. नगर विकास न्यास में निर्माण के लिए ऑनलाइन आवेदन के जरिए ही स्वीकृति दी जाती है. इन फाइलों का निस्तारण निर्माण कमेटी करती है, लेकिन परेशानी यह है कि पिछले 1 साल से कमेटी की मीटिंग नहीं हुई है, जिससे मल्टीस्टोरी या फिर जी प्लस टू निर्माण के लिए पेंडिंग आवेदनों की भरमार हो गई है. नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की बात की जाए तो यहां पर 100 के आसपास स्वीकृति पेंडिंग है. ऐसे में आवेदक परेशान हैं.

कोटा नगर निगम और यूआईटी में फाइलें पेंडिंग...

कोटा नगर निगम और नगर विकास न्यास में करीब 150 से ज्यादा निर्माण स्वीकृति पेंडिंग हैं. इसमें नगर विकास न्यास की बात की जाए तो यहां पर ऑनलाइन आवेदन के जरिए ही स्वीकृति दी जाती है, जिसमें करीब 61 अभी बकाया है. वहीं, नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की बात की जाए तो यहां पर 100 के आसपास स्वीकृति पेंडिंग हैं. निगम में तो छोटे निर्माण स्वीकृति एकल खिड़की और बड़े निर्माण के लिए उपायुक्त के पास फाइल से आवेदन किया जाता है. ऐसे में इनका निस्तारण कमेटी ही करती है पर परेशानी यही है कि इस कमेटी की मीटिंग बीते 1 साल से नहीं हुई है. इसके चलते करीब 60 से ज्यादा आवेदन लंबित हैं, जो कि मल्टीस्टोरी या फिर जी प्लस टू निर्माण के आवेदन हैं.

Approval Pending in Kota Municipal Corporation, कोटा नगर निगम
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में 100 से अधिक फाइलें पेंडिंग...

यह भी पढ़ें. Special: झुंझुनू में राजनीतिक उपेक्षा का शिकार हुआ शौर्य उद्यान, अभी तक आम जनता के लिए है बंद

निगम के अधिकारियों का इस पर कहना है कि समिति की मीटिंग आयोजित की जाएगी. जो निर्माण स्वीकृति की फाइलें पेंडिंग हैं, उनके बारे में हाल ही में जानकारी मिली थी. जबकि शहर के जनप्रतिनिधि आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारी निर्माण स्वीकृति जारी नहीं करते हैं. इसके चलते ही अवैध निर्माण धड़ल्ले से शहर में हो जाते हैं.

कोटा नगर निगम, kota news
पिछले एक साल से नहीं हुई निर्माण कमेटी की बैठक...

निरस्त कर दिए थे पिछले बोर्ड की मीटिंग के आदेश...

बीते साल नवंबर में जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति हो गई थी. इसके पहले सितंबर महीने में निर्माण स्वीकृति के लिए बैठक आयोजित की गई थी. इसमें 45 फाइलों पर निर्णय करना था. जिनमें से अधिकांश पर समिति ने निर्णय कर दिया था, लेकिन बाद में इस बैठक को ही प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध घोषित कर दिया. जिसके बाद इन फाइलों की स्वीकृति के आदेश भी निरस्त हो गए.

कोटा नगर निगम, kota news
ई-मित्र के जरिए ऑनलाइन आवेदन फिर भी फाइल पेंडिंग...

निर्माण स्वीकृति के लिए चक्कर लगाने को मजबूर...

पूर्व पार्षद और पूर्व राजस्व समिति के अध्यक्ष महेश गौतम लल्ली का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों की कार्य नहीं करना यह दर्शाता है कि निगम बोर्ड से जो निर्माण स्वीकृति हैं, उन्हें भी निरस्त कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें. Special : संचालन के बाद भी नहीं सुधरे सीकर रोडवेज के हालात, रोजाना लाखों का नुकसान

इसके अलावा बीते 1 साल में एक भी बार निर्माण स्वीकृति के लिए बैठक नहीं हुई है. इसके चलते फाइलें लंबित हैं और लोग निर्माण स्वीकृति के लिए चक्कर लगाने को मजबूर हैं. लल्ली का यह भी कहना है कि अधिकारी काम ही नहीं करना चाहते. इसके चलते ही निर्माण स्वीकृति लोगों को नहीं मिल रही है और वे मजबूरी में अवैध निर्माण कर लेते हैं.

निगम में छोटे निर्माण के लिए एकल खिड़की, यहां भी पेंडिंग...

नगर निगम में 5400 स्क्वायर फीट का आवासीय और 1000 स्क्वायर फिट का व्यावसायिक निर्माण के लिए एकल खिड़की से आवेदन होता है. इस साल जहां पर 60 से ज्यादा आवेदन एकल खिड़की के जरिए आए हैं. उनमें से 30 लोगों को ही निर्माण स्वीकृति जारी हुई है. निगम के अधिकारियों ने निर्माण स्वीकृति के आवेदनों को निरस्त भी कमियों के चलते किया है. हालांकि, इसके बावजूद 40 के आसपास छोटी निर्माण स्वीकृति के आवेदन पेंडिंग हैं.

यूआईटी में ई-मित्र के जरिए ऑनलाइन आवेदन, 61 पेंडिंग भी...

यूआईटी में 1 मार्च 2019 से ही निर्माण स्वीकृति ऑनलाइन हो गई है, तब से अब तक 767 आवेदनों पर निर्माण स्वीकृति जारी हो गई है. इसके अलावा करीब 40 के आसपास निरस्त भी की गई है. जिनमें कमियां यूआईटी के अधिकारी बता रहे हैं. जबकि 61 अभी तक भी पेंडिंग हैं. ऐसे में करीब 870 के आसपास यूआईटी के पास बीते 2 सालों में आवेदन आए हैं.

यूआईटी के सहायक नगर निगम नियोजक बंशीधर गुनसारिया का कहना है कि जिन निर्माणों में 10 लाख रुपए से ज्यादा का खर्चा होगा, उनमें राज्य सरकार ने लेबर सेस लगाया हुआ है. ऐसे में उन लोगों को लेबर सेस की गणना करवाने के लिए ही केवल यूआईटी में आना होता है. बाकी सब काम ई-मित्र के जरिए हो जाते हैं. फाइल आवेदन के बाद कोई कमी होती है तो ऑनलाइन ही रिवर्ट कर दिया जाता है. जिसका मैसेज भी आवेदक के पास जाता है. इसकी पूर्ति भी ऑनलाइन ही उन्हें करनी होती है.

कोटा. नगर विकास न्यास में निर्माण के लिए ऑनलाइन आवेदन के जरिए ही स्वीकृति दी जाती है. इन फाइलों का निस्तारण निर्माण कमेटी करती है, लेकिन परेशानी यह है कि पिछले 1 साल से कमेटी की मीटिंग नहीं हुई है, जिससे मल्टीस्टोरी या फिर जी प्लस टू निर्माण के लिए पेंडिंग आवेदनों की भरमार हो गई है. नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की बात की जाए तो यहां पर 100 के आसपास स्वीकृति पेंडिंग है. ऐसे में आवेदक परेशान हैं.

कोटा नगर निगम और यूआईटी में फाइलें पेंडिंग...

कोटा नगर निगम और नगर विकास न्यास में करीब 150 से ज्यादा निर्माण स्वीकृति पेंडिंग हैं. इसमें नगर विकास न्यास की बात की जाए तो यहां पर ऑनलाइन आवेदन के जरिए ही स्वीकृति दी जाती है, जिसमें करीब 61 अभी बकाया है. वहीं, नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण की बात की जाए तो यहां पर 100 के आसपास स्वीकृति पेंडिंग हैं. निगम में तो छोटे निर्माण स्वीकृति एकल खिड़की और बड़े निर्माण के लिए उपायुक्त के पास फाइल से आवेदन किया जाता है. ऐसे में इनका निस्तारण कमेटी ही करती है पर परेशानी यही है कि इस कमेटी की मीटिंग बीते 1 साल से नहीं हुई है. इसके चलते करीब 60 से ज्यादा आवेदन लंबित हैं, जो कि मल्टीस्टोरी या फिर जी प्लस टू निर्माण के आवेदन हैं.

Approval Pending in Kota Municipal Corporation, कोटा नगर निगम
नगर निगम कोटा उत्तर व दक्षिण में 100 से अधिक फाइलें पेंडिंग...

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निगम के अधिकारियों का इस पर कहना है कि समिति की मीटिंग आयोजित की जाएगी. जो निर्माण स्वीकृति की फाइलें पेंडिंग हैं, उनके बारे में हाल ही में जानकारी मिली थी. जबकि शहर के जनप्रतिनिधि आरोप लगा रहे हैं कि अधिकारी निर्माण स्वीकृति जारी नहीं करते हैं. इसके चलते ही अवैध निर्माण धड़ल्ले से शहर में हो जाते हैं.

कोटा नगर निगम, kota news
पिछले एक साल से नहीं हुई निर्माण कमेटी की बैठक...

निरस्त कर दिए थे पिछले बोर्ड की मीटिंग के आदेश...

बीते साल नवंबर में जनप्रतिनिधियों के कार्यकाल की समाप्ति हो गई थी. इसके पहले सितंबर महीने में निर्माण स्वीकृति के लिए बैठक आयोजित की गई थी. इसमें 45 फाइलों पर निर्णय करना था. जिनमें से अधिकांश पर समिति ने निर्णय कर दिया था, लेकिन बाद में इस बैठक को ही प्रशासनिक अधिकारियों ने अवैध घोषित कर दिया. जिसके बाद इन फाइलों की स्वीकृति के आदेश भी निरस्त हो गए.

कोटा नगर निगम, kota news
ई-मित्र के जरिए ऑनलाइन आवेदन फिर भी फाइल पेंडिंग...

निर्माण स्वीकृति के लिए चक्कर लगाने को मजबूर...

पूर्व पार्षद और पूर्व राजस्व समिति के अध्यक्ष महेश गौतम लल्ली का कहना है कि नगर निगम के अधिकारियों की कार्य नहीं करना यह दर्शाता है कि निगम बोर्ड से जो निर्माण स्वीकृति हैं, उन्हें भी निरस्त कर दिया गया है.

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इसके अलावा बीते 1 साल में एक भी बार निर्माण स्वीकृति के लिए बैठक नहीं हुई है. इसके चलते फाइलें लंबित हैं और लोग निर्माण स्वीकृति के लिए चक्कर लगाने को मजबूर हैं. लल्ली का यह भी कहना है कि अधिकारी काम ही नहीं करना चाहते. इसके चलते ही निर्माण स्वीकृति लोगों को नहीं मिल रही है और वे मजबूरी में अवैध निर्माण कर लेते हैं.

निगम में छोटे निर्माण के लिए एकल खिड़की, यहां भी पेंडिंग...

नगर निगम में 5400 स्क्वायर फीट का आवासीय और 1000 स्क्वायर फिट का व्यावसायिक निर्माण के लिए एकल खिड़की से आवेदन होता है. इस साल जहां पर 60 से ज्यादा आवेदन एकल खिड़की के जरिए आए हैं. उनमें से 30 लोगों को ही निर्माण स्वीकृति जारी हुई है. निगम के अधिकारियों ने निर्माण स्वीकृति के आवेदनों को निरस्त भी कमियों के चलते किया है. हालांकि, इसके बावजूद 40 के आसपास छोटी निर्माण स्वीकृति के आवेदन पेंडिंग हैं.

यूआईटी में ई-मित्र के जरिए ऑनलाइन आवेदन, 61 पेंडिंग भी...

यूआईटी में 1 मार्च 2019 से ही निर्माण स्वीकृति ऑनलाइन हो गई है, तब से अब तक 767 आवेदनों पर निर्माण स्वीकृति जारी हो गई है. इसके अलावा करीब 40 के आसपास निरस्त भी की गई है. जिनमें कमियां यूआईटी के अधिकारी बता रहे हैं. जबकि 61 अभी तक भी पेंडिंग हैं. ऐसे में करीब 870 के आसपास यूआईटी के पास बीते 2 सालों में आवेदन आए हैं.

यूआईटी के सहायक नगर निगम नियोजक बंशीधर गुनसारिया का कहना है कि जिन निर्माणों में 10 लाख रुपए से ज्यादा का खर्चा होगा, उनमें राज्य सरकार ने लेबर सेस लगाया हुआ है. ऐसे में उन लोगों को लेबर सेस की गणना करवाने के लिए ही केवल यूआईटी में आना होता है. बाकी सब काम ई-मित्र के जरिए हो जाते हैं. फाइल आवेदन के बाद कोई कमी होती है तो ऑनलाइन ही रिवर्ट कर दिया जाता है. जिसका मैसेज भी आवेदक के पास जाता है. इसकी पूर्ति भी ऑनलाइन ही उन्हें करनी होती है.

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