कोटा. जिले के जेके लोन अस्पताल में नवजातों की मौत का मामला गरमा गया है. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद से ही प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है. संभागीय आयुक्त कैलाश चंद्र मीणा, जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ विजय सरदाना जेके लोन अस्पताल पहुंचे. उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया. साथ ही दिशा निर्देश भी उन्होंने जारी किए हैं.
24 घंटे में 9 बच्चों की मौत से गरमाया मामला
जेके लोन अस्पताल में बीते 24 घंटों में 9 बच्चों की मौत के बाद एक बार फिर नवजातों की मौत का मामला गरमा गया है. प्रदेश के चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा ने इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. इसके साथ ही प्रदेश के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने भी नाराजगी जताई है. वह कोटा से ही विधायक हैं. उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से साफ कहा है कि लापरवाही किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी. इसके बाद से ही प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मच गया है.
चिकित्सा मंत्री को भेजी जाएगी रिपोर्ट
संभागीय आयुक्त कैलाश चंद्र मीणा, जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ और मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना जेके लोन अस्पताल पहुंचे. उन्होंने व्यवस्थाओं का जायजा लिया. साथ ही दिशा निर्देश भी उन्होंने जारी किए हैं. मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि एक पूरी रिपोर्ट बच्चों की मौत के मामले में बनाई जा रही है, जो कि चिकित्सा मंत्री शर्मा को भेजी जाएगी. वहीं जयपुर से इस पूरे प्रकरण में मीडिया को ब्रीफ करेंगे. उन्होंने ज्यादा कुछ कहने से मना कर दिया है.
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बढ़ाया जाएगा स्टाफ
हालांकि सुधार की बात को स्वीकारते हुए उन्होंने मीडिया से कहा है कि अस्पताल में बार-बार बच्चों को देखने के लिए स्टाफ बढ़ाया जाएगा. इसमें नर्सिंग स्टाफ और चिकित्सक दोनों शामिल होंगे. हालांकि अभी भी प्रशासनिक अधिकारियों के दौरे के बाद भी सवाल बना हुआ है कि इन बच्चों की मौत का क्या कारण है. इस संबंध में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से बच रहा है. साथ ही संभागीय आयुक्त मीणा दावा करते रहे कि बच्चों की मौत के मामले में लगातार वे सुधार कर रहे हैं.
संभागीय आयुक्त ने किया स्टाफ का बचाव
मीडिया ने जब संभागीय आयुक्त मीणा से पूछा कि नवजात बच्चों की मौत के मामले में परिजन स्टाफ की लापरवाही बता रहे हैं. बार-बार बुलाने पर भी स्टाफ नहीं आने की बात कर रहे हैं. इस पर संभाग आयुक्त मीणा ने स्टाफ को बचाते नजर आए, उन्होंने साफ इंकार कर दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह की अभी तक कोई बात सामने नहीं आई है. जिला कलेक्टर उज्जवल राठौड़ ने कहा कि बच्चों को बार बार देखने की आवश्यकता है। ऐसे में नर्सिंग स्टाफ और बढ़ाया जा रहा है। साथ ही चिकित्सकों को भी लगा रहे हैं इस संबंध में सीएमएचओ से भी उन्होंने बात की है और मीटिंग के बाद ग्रामीण इलाके में भी हालांकि की शॉर्टेज है, लेकिन वहां से कुछ चिकित्सकों के यहां नियुक्ति दी।