कोटा. राजस्थान तकनीकी विश्वविद्यालय (RTU Case) में पास करने के एवज में छात्राओं के अस्मत मांगने के मामले में नए खुलासे हो रहे हैं. जांच में सामने आया है कि परमार जिन स्टूडेंट्स पर मेहरबान रहता था, उन्हें परीक्षा में बिना कुछ लिखे भी पास कर देता था. ये पूरा खेल लंबे समय से चल रहा था. फिलहाल, इलेक्ट्रॉनिक्स डिपार्टमेंट के निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार और छात्र अर्पित अग्रवाल पुलिस रिमांड में है.
पुलिस उप अधीक्षक प्रथम अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि गिरीश परमार के घर पर मंगलवार (RTU Associate Professor Case) को तलाशी ली गई. यहां पर फाइनल ईयर के सातवें सेमेस्टर की मिड टर्म एग्जाम की 32 कॉपियां मिली हैं. इनमें कई कॉपियां खाली थी. उनमें स्टूडेंट्स ने कुछ नहीं लिखा था, लेकिन कॉपी पर स्टूडेंट्स को नंबर दिए हुए थे. इस मामले में पहले यह भी सामने आ चुका है कि गिरीश परमार अपने कुछ चहेते स्टूडेंट्स से पेपर सेट करवाता और कॉपियां भी चेक करवाता था. कुछ छात्राओं को पहले फेल कर दोबारा पास करने की एवज में उनसे अस्मत मांग रहा था.
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अपने चेंबर में नहीं बैठता था परमार : निलंबित एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार को भी अन्य फैकल्टी (Girish Parmar used to give marks on Blank Copies) की तरह ही एक कमरा विश्वविद्यालय प्रबंधन ने एलॉट किया हुआ था, लेकिन वो इस चेंबर में कभी नहीं बैठता था. वर्तमान में इस कमरे के बाहर गिरीश परमार की नेमप्लेट को भी किसी ने तोड़ दिया है. कमरे को देखकर ऐसा लगता है कि कमरे का ताला ही कई महीनों से नहीं खुला हो. दरवाजे की कांच से कमरे में रखे फर्नीचर से लेकर टेबल पर जाले और धूल दिखती है. हालांकि, पुलिस अपनी तहकीकत में इसके कमरे को भी खुलवा सकती है. गिरीश परमार अपने अन्य साथियों के चेंबर में ही जाकर बैठ जाता था. कुछ लोगों के साथ उसके दोस्ती के चर्चे भी पूरे यूनिवर्सिटी कैंपस में हैं, जिनके साथ में वो नजर आता था.
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छात्रों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा सलूक : सामाजिक कार्यकर्ता प्रतिभा सामरिया ने आरोप (RTU Associate Professor Blackmailed Students) लगाया है कि छात्रों के साथ बंधुआ मजदूरों जैसा बर्ताव आरटीयू में किया जा रहा है. इनमें ब्लैकमेलिंग, डिग्री रोकना, पार्टिकल और आंसर कॉपी में कम नंबर देना, बेहूदा बातें व बच्चों का अपमान करना शामिल है. हमारे पास कई शिकायतें आई हैं, जिन्हें राजभवन को भेजा गया है. इनमें एकेडमिक कैलेंडर को फॉलो नहीं करना, एनसीसी के कैंप के समय एग्जाम, स्कॉलरशिप, कैंपस में स्ट्रीट लाइट व खराब रोड होना शामिल है.
फैकल्टी बच्चों के साथ पिटाई करती है. यहां तक कि फैकल्टी भी सुरक्षित नहीं है. आज जैसा माहौल आरटीयू का बना हुआ है, यह रातों रात नहीं हुआ है. पूरा माहौल पहले से बनाया हुआ है. इसी के चलते ये शिकायत को दबाने में कामयाब हो जाते हैं. किसी ने कोई कार्रवाई नहीं की. सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के तहत विशाखा समिति बनानी चाहिए. वह भी ठीक से काम नहीं कर रही है. पहले आई शिकायतों को जिस तरह से दबाया गया और उन पर कार्रवाई नहीं हुई. इसमें प्रशासन, राज्यपाल और पुलिस महकमे ने भी एक जैसा ही रवैया निभाया है. अब एक नए अध्याय की शुरुआत होनी चाहिए. इसका पावर राज्यपाल महोदय के पास है.