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कोटा रिवरफ्रंट को गैर-कानूनी बता एनजीटी से ध्वस्त करने की मांग... यूआईटी, कलेक्टर व आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया को नोटिस

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने कोटा के चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट के मामले में राजस्थान सरकार के कई विभागों पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूआईटी और कोटा कलेक्टर सहित कई लोगों को नोटिस जारी किए हैं.

Kota heritage riverfront
चंबल हेरिटेज रिवरफ्रंट
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 10, 2023, 9:21 PM IST

कोटा. नगर विकास न्यास ने 1400 करोड़ से कोटा में हेरिटेज रिवरफ्रंट तैयार करवाया है. स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल इसकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं. वे साबरमती के रिवर फ्रंट से बेहतर बता रहे हैं. इसे आमजन के लिए खोल दिया गया है, लेकिन अब इसको लेकर ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल हुई है. इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने राजस्थान सरकार के कई विभागों पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूआईटी और कोटा कलेक्टर सहित कई लोगों को नोटिस जारी किए है.

इस मामले में गत 27 सितंबर को द्रुपद मलिक, अशोक मलिक और गिरिराज अग्रवाल ने एक याचिका एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट 1986 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दाखिल की थी. इसमें राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में निर्माण, जलीय जीवन पर संकट, नदी की चौड़ाई कम करना और बफर जोन में निर्माण से लेकर तीनों परिवादियों ने रिवर फ्रंट के निर्माण को गैरकानूनी बताते हुए ध्वस्त करवाने की मांग की है. हालांकि पूरे मामले पर नगर विकास न्यास कोटा के सचिव मानसिंह मीणा ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी नोटिस की भी जानकारी नहीं है. साथ ही उन्हें यह भी नहीं पता कि कोई एनजीटी में गया है या नहीं.

पढ़ें: बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट को बताया गैर-कानूनी,कहा-सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हुआ उल्लंघन

आर्किटेक्ट से लेकर कोटा कलेक्टर और यूआईटी सचिव तक पार्टी: इस याचिका में प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग राजस्थान, सदस्य सचिव राजस्थान स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड, सचिव नगर विकास न्यास कोटा, कमिश्नर व एसीईओ स्मार्ट सिटी लिमिटेड कोटा, जिला कलेक्टर व यूआईटी चेयरमैन, राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीनियर टाउन प्लानर कोटा रीजन, चीफ टाउन प्लानर और रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया के खिलाफ एनजीटी में 27 सितंबर दाखिल की है. जिसमें इस मामले में जस्टिस शिवकुमार सिंह और अफरोज अहमद ने आज सुनवाई एनजीटी ने की थी. इसके बाद ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें: गुंजल का धारीवाल पर आरोप, बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए 40 करोड़ के फ्लाईओवर व अंडरपास

6 सप्ताह में मांगी है पूरी रिपोर्ट: न्यायालय ने आज जारी किए गए आदेश में इस मामले में एक संयुक्त कमेटी बनाकर पूरी रिपोर्ट मांगी गई. जिसमें जिला कलेक्टर, केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, जल संसाधन विभाग, राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधि शामिल किए है. इस कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि वह 6 सप्ताह के अंदर रिवरफ्रंट का दौरा करें और पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें. इसके लिए राजस्थान राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कमेटी से समन्वय व लॉजिस्टिक्स हेल्प के लिए नोडल एजेंसी बनाई है. इस मामले में जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उन्हें 6 सप्ताह का समय दिया गया है. साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

याचिका में दिए गए ये तर्क:

  1. राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल परियोजना के बफर एरिया में यह निर्माण करवाया गया है. इसका एनवायरमेंटल इंपैक्ट एसेसमेंट भी नहीं करवाया गया. जबकि यह जरूरी था और इसके बिना ही निर्माण करवा दिया गया है. यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन है.
  2. परियोजना अभयारण्य में रहने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा करती है. यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 29 और 35 का उल्लंघन करती है.
  3. चम्बल नदी के किनारों का व्यवसायिकरण किया है. यह प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न करेगा. यह प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 24(1)(बी) का उल्लंघन है. नदी की चौड़ाई कम करने पर भी आपत्ति जताई है.
  4. नदी के किनारे उच्च तीव्रता वाली रोशनी और फव्वारे की स्थापना से पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव होगा.
  5. यह परियोजना सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी उठाती है. कोटा बैराज से पानी छोड़ने से बाढ़ का खतरा होता है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से साफ निर्देश प्राप्त करने और आवेदक से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, प्रतिवादी इन अनधिकृत गतिविधियों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.

पढ़ें: Chambal Heritage Riverfront: गुंजल का दावा: सीएम का दौरा रद्द करने का मतलब सरकार ने रिवरफ्रंट को माना नियम विरुद्ध

मुख्यमंत्री गहलोत ने एनमौके पर टाला था दौरा: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 12 सितंबर को कोटा के हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट के इनॉगरेशन के लिए कोटा आने वाले थे, लेकिन उन्होंने 11 सितंबर की देर रात करीब 2:30 बजे के आसपास ट्वीट करते हुए अपरिहार्य कारणों से आने से दौरा रद्द कर दिया था. जबकि इस मामले में 11 सितंबर को ही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने पत्रकार वार्ता आयोजित की थी. इसमें गुंजल ने रिवरफ्रंट निर्माण पर आपत्ति जता कई दावे किए थे.

कोटा. नगर विकास न्यास ने 1400 करोड़ से कोटा में हेरिटेज रिवरफ्रंट तैयार करवाया है. स्वायत्त शासन एवं नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल इसकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं. वे साबरमती के रिवर फ्रंट से बेहतर बता रहे हैं. इसे आमजन के लिए खोल दिया गया है, लेकिन अब इसको लेकर ही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में याचिका दाखिल हुई है. इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की सेंट्रल जोन बेंच भोपाल ने राजस्थान सरकार के कई विभागों पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूआईटी और कोटा कलेक्टर सहित कई लोगों को नोटिस जारी किए है.

इस मामले में गत 27 सितंबर को द्रुपद मलिक, अशोक मलिक और गिरिराज अग्रवाल ने एक याचिका एनवायरमेंटल प्रोटक्शन एक्ट 1986 के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए दाखिल की थी. इसमें राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी में निर्माण, जलीय जीवन पर संकट, नदी की चौड़ाई कम करना और बफर जोन में निर्माण से लेकर तीनों परिवादियों ने रिवर फ्रंट के निर्माण को गैरकानूनी बताते हुए ध्वस्त करवाने की मांग की है. हालांकि पूरे मामले पर नगर विकास न्यास कोटा के सचिव मानसिंह मीणा ने कहा कि उन्हें इस तरह के किसी नोटिस की भी जानकारी नहीं है. साथ ही उन्हें यह भी नहीं पता कि कोई एनजीटी में गया है या नहीं.

पढ़ें: बीजेपी नेता प्रहलाद गुंजल ने चंबल रिवर फ्रंट को बताया गैर-कानूनी,कहा-सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हुआ उल्लंघन

आर्किटेक्ट से लेकर कोटा कलेक्टर और यूआईटी सचिव तक पार्टी: इस याचिका में प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन विभाग राजस्थान, सदस्य सचिव राजस्थान स्टेट बायोडायवर्सिटी बोर्ड, सचिव नगर विकास न्यास कोटा, कमिश्नर व एसीईओ स्मार्ट सिटी लिमिटेड कोटा, जिला कलेक्टर व यूआईटी चेयरमैन, राजस्थान स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सीनियर टाउन प्लानर कोटा रीजन, चीफ टाउन प्लानर और रिवरफ्रंट के आर्किटेक्ट अनूप भरतरिया के खिलाफ एनजीटी में 27 सितंबर दाखिल की है. जिसमें इस मामले में जस्टिस शिवकुमार सिंह और अफरोज अहमद ने आज सुनवाई एनजीटी ने की थी. इसके बाद ही प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं.

पढ़ें: गुंजल का धारीवाल पर आरोप, बेटे को फायदा पहुंचाने के लिए बनाए 40 करोड़ के फ्लाईओवर व अंडरपास

6 सप्ताह में मांगी है पूरी रिपोर्ट: न्यायालय ने आज जारी किए गए आदेश में इस मामले में एक संयुक्त कमेटी बनाकर पूरी रिपोर्ट मांगी गई. जिसमें जिला कलेक्टर, केंद्रीय पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, जल संसाधन विभाग, राजस्थान राज्य जैव विविधता बोर्ड से एक-एक प्रतिनिधि शामिल किए है. इस कमेटी को निर्देश दिए गए हैं कि वह 6 सप्ताह के अंदर रिवरफ्रंट का दौरा करें और पूरी रिपोर्ट प्रस्तुत करें. इसके लिए राजस्थान राज्य पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड कमेटी से समन्वय व लॉजिस्टिक्स हेल्प के लिए नोडल एजेंसी बनाई है. इस मामले में जिन लोगों को नोटिस जारी किए गए हैं, उन्हें 6 सप्ताह का समय दिया गया है. साथ ही इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी.

याचिका में दिए गए ये तर्क:

  1. राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल परियोजना के बफर एरिया में यह निर्माण करवाया गया है. इसका एनवायरमेंटल इंपैक्ट एसेसमेंट भी नहीं करवाया गया. जबकि यह जरूरी था और इसके बिना ही निर्माण करवा दिया गया है. यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का उल्लंघन है.
  2. परियोजना अभयारण्य में रहने वाली लुप्तप्राय प्रजातियों के लिए खतरा पैदा करती है. यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 29 और 35 का उल्लंघन करती है.
  3. चम्बल नदी के किनारों का व्यवसायिकरण किया है. यह प्राकृतिक प्रवाह में बाधा उत्पन्न करेगा. यह प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1974 की धारा 24(1)(बी) का उल्लंघन है. नदी की चौड़ाई कम करने पर भी आपत्ति जताई है.
  4. नदी के किनारे उच्च तीव्रता वाली रोशनी और फव्वारे की स्थापना से पारिस्थितिकी तंत्र पर हानिकारक प्रभाव होगा.
  5. यह परियोजना सार्वजनिक सुरक्षा संबंधी चिंताओं को भी उठाती है. कोटा बैराज से पानी छोड़ने से बाढ़ का खतरा होता है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) से साफ निर्देश प्राप्त करने और आवेदक से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, प्रतिवादी इन अनधिकृत गतिविधियों को रोकने के लिए कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहे हैं.

पढ़ें: Chambal Heritage Riverfront: गुंजल का दावा: सीएम का दौरा रद्द करने का मतलब सरकार ने रिवरफ्रंट को माना नियम विरुद्ध

मुख्यमंत्री गहलोत ने एनमौके पर टाला था दौरा: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 12 सितंबर को कोटा के हेरिटेज चंबल रिवरफ्रंट के इनॉगरेशन के लिए कोटा आने वाले थे, लेकिन उन्होंने 11 सितंबर की देर रात करीब 2:30 बजे के आसपास ट्वीट करते हुए अपरिहार्य कारणों से आने से दौरा रद्द कर दिया था. जबकि इस मामले में 11 सितंबर को ही यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने पत्रकार वार्ता आयोजित की थी. इसमें गुंजल ने रिवरफ्रंट निर्माण पर आपत्ति जता कई दावे किए थे.

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