कोटा. शहर में दो मेयर और दो नगर निगम होंगे. जिसका समर्थन कांग्रेस के नेता तो करते नजर आ रहे हैं, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के नेता इसे राज्य सरकार की हार के डर से बौखलाहट बता रहे हैं. वहीं होने वाले नगरीय निकाय चुनाव 6 महीने के लिए टल गए हैं.
बड़े वार्ड के चलते विकास कार्य नहीं हो पाते
कांग्रेस नेता रविंद्र त्यागी का कहना है कि वार्ड बड़े होने के चलते विकास कार्य नहीं हो पाते थे, अब पार्षद अपने एरिया का ज्यादा ध्यान रख पाएंगे. क्योंकि वार्ड छोटे हिस्से में होने से विकास कार्य भी होंगे और लोगों से उसका सतत संपर्क भी बना रहेगा. जिससे वार्ड में आने वाली समस्याओं का त्वरित समाधान निकल सके. साथ ही उन्होंने कहना है कि नए महापौर के चयन तरीके का समर्थन करते हैं.
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नगरीय निकाय चुनाव हार रहे
भाजपा के जिलाध्यक्ष हेमंत विजयवर्गीय का कहना है कि पहले वार्डों का पुनः सीमांकन किया गया, फिर महापौर का चुनाव प्रत्यक्ष हो या अप्रत्यक्ष उसमें सरकार उलझी रही. महापौर का चुनाव करवाने का फैसला बदल दिया. फिर दो मेयर बनाने का फैसला किया, इस बहाने से सरकार चुनाव को 6 महीने डालना चाह रही है, क्योंकि उन्हें सर्वे में साफ दिख रहा है कि वे नगरीय निकाय चुनाव हार रहे हैं. इसीलिए लगातार फैसले बदले जा रहे हैं.
65 से सीधे पहुंचेंगे 150 वार्ड पर
राज्य सरकार ने कोटा शहर को दो हिस्सों में विभाजित कर दो नगर निगम बना दिए हैं, ऐसे में कोटा शहर में जहां पर वर्तमान बोर्ड में 65 वार्ड थे, लेकिन हाल ही में हुए परिसीमन में इन्हें 100 कर दिया गया था. जिन पर आगामी शहरी सरकार के चुनाव होने थे, लेकिन राज्य सरकार ने शहर के दो हिस्से कर देने के बाद डेढ़ सौ वार्ड हो जाएंगे.वहीं दो नगर निगम बन जाने के बाद में नए निगम के लिए भवन और बजट कब तैयार होगा. पार्षदों की संख्या अधिक होने से अधिक लोगों को इसका लाभ मिलेगा, लेकिन पैसा नहीं होने से विकास कैसे होगा. इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ेगा, वाहनों की संख्या बढ़ेगी, बिजली से लेकर रखरखाव तक खर्च बढ़ेगा. अधिकारियों की संख्या बढ़ने से उनके वेतन पर खर्च बढ़ेगा.