कोटा. आखिरकर 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद ठेकेदार को न्याय मिला है. मामला 1994 का है, जब सड़क निर्माण का भुगतान नहीं करने पर ठेकेदार परमानंद को राहत मिली है. कोर्ट ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के कोटा शहर के अधिशाषी अभियंता के दफ्तर की कुर्की के आदेश जारी किए हैं. कोर्ट के आदेश के बाद पूरे सार्वजनिक निर्माण विभाग के दफ्तर में हड़कंप मच गया.शुक्रवार को अमीन कुर्की के लिए पीडब्ल्यूडी(PWD) के एक्सईएन (XEn) ऑफिस पहुंचकर, दफ्तर को सीज कर दिया.ये कुर्की संवेदक को न्यायालय के आदेश पर पेनल्टी रद्द कर राशि वापस लौटने के निर्देश की पालना नहीं करने के एवज में की गई है.
इस मामले में स्पेशल सेल की अमीन सतवींदर कौर कोर्ट के कुर्की आदेश लेकर पहुंचीं. सतविंदर कौर ने बताया कि उन्होंने पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों से बात की थी, जिसमें कार्रवाई का आश्वासन तो अधिकारियों ने दिया, हालांकि कोई स्थगन आदेश में पेश नहीं किया. इसके चलते ऑफिस को सीज करवा दिया गया है.
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क्या है पूरा मामला: ठेकेदार परमानंद ने बताया उनका फर्म परमानंद प्रोपराइटर नाम से है. 1994 में मेडिकल कॉलेज में सड़क बनाने का कांट्रेक्ट 22 लाख में लिया था. पीडब्ल्यूडी के वर्क ऑर्डर पर उन्होंने सड़क बनाने का काम शुरू किया. ठेकेदार के अनुसार एक व्यक्ति ने सुप्रीम कोर्ट(SC) का स्टे आर्डर दिखा कर काम बंद करवा दिया. काम बंद होने की वजह से उनके मजदूर और मशीनरी मौके पर रहे. आरोप लगाया कि पीडब्ल्यूडी की गलती से ही काम नहीं हुआ, लेकिन उसके बावजूद भी पीडब्ल्यूडी ने 10 फीसदी की दर से पेनल्टी लगा दी.
30 साल तक किया न्याय का इंतजार: ठेकेदार ने पीडब्ल्यूडी के रवैए के खिलाफ स्टैंडिग कमेटी में याचिका दाखिल की.जिसके बाद उसके 2.2 लाख रुपए की पेनल्टी माफ कर दी गई. ठेकेदार पर पीडब्ल्यूडी ने दोबारा पेनल्टी लगा दी, जिससे परेशान होकर उसने एडीजे क्रम संख्या तीन न्यायालय में न्याय की गुहार लगाई थी. परमानंद ने बताया कि उसे ये राहत करीब 30 साल बाद मिली है, इसमें पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की गलती थी. ऐसे में अब न्यायालय ने उनके पैसे को ब्याज समेत लौटाने के लिए निर्देश दिया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारी पैसा नहीं दे रहे हैं, इसीलिए कुर्की के आदेश हुए हैं.