कोटा. चंबल नदी में 2019 में भारी मात्रा में गांधी सागर डैम से पानी छोड़ा गया था. ऐसे में अचानक पानी छोड़े जाने से राणा प्रताप सागर बांध ओवरफ्लो हो गया था और वहां स्थित हाइड्रो पावर प्लांट पूरी तरह से डूब गया था. साथ ही इसमें लगी सभी मशीनरी पूरी तरह से खराब हो गई थी. जिसे दुरुस्त करने के लिए कोई भी कंपनी तैयार नहीं हो रही थी. ऐसे में इस पावर प्लांट को पूरी तरह से रिफर्बिश्ड के लिए फाइल सरकार के पास भेज दी गई थी. जिसमें करीब 250 से 300 करोड़ के खर्च की बात कही गई थी. वहीं, भारी खर्च की वजह से इस फाइल को दो साल तक आगे नहीं बढ़ाया गया. इसके बाद अधिकारी उच्च स्तर पर बदले और इस पावर प्लांट को दोबारा दुरुस्त करवा कर चालू करने पर सहमति बनी. लेकिन इन सब के बीच सबसे खास बात यह है कि इस यूनिट्स को महज 2 करोड़ रुपए में ही दुरुस्त करवा कर शुरू कर दिया गया. बीते एक साल में इन यूनिट्स से 4094 लाख यूनिट बिजली बनाई गई, जिससे 200 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ है.
टेंडर के जरिए किए प्रयास में मिली असफलता - राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने हाइड्रो पावर प्लांट की यूनिट को रिवाइव करने के लिए साल 2020 में टेंडर निकाला गया था. जिसमें साउथ की फर्म ने टेंडर लिया. मशीनरी को सुखाकर दोबारा चालू किया जाना था. साउथ की एक फर्म ने यह टेंडर लिया और कार्य भी शुरू कर दिया. जिसमें मशीनरी को सुखाकर दोबारा शुरू कर दिया, इसमें यूनिट नंबर 2 को चलाया गया. यह कुछ दिन तक तो चली, लेकिन इसके बाद ब्लास्ट होकर यह पूरी तरह से खराब हो गई. जनरेटर की वाइंडिंग पूरी तरह से जल गई. जिससे सभी अधिकारियों के प्रयास को धक्का लगा.
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कोटा की फर्म से करवाया काम - पहला प्रयास असफल रहने के बाद यहां पर तैनात अधिकारी बदल गए. अधिकांश का स्थानांतरण हो गया साथ ही दूसरे अधिकारी यहां पर आए. इसके अलावा साल 2021 में सीएमडी भी बदल गए. जिन्होंने सेक्रेटरी स्तर पर प्रकृति लेने के बाद लोकल फर्म से ही मशीनरी को दुरुस्त करवाने का तय किया. स्थानीय फर्म पंजाब इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्री से संपर्क किया. इस फर्म ने विजिट करने के बाद काम काम को अपने हाथ में लेने की बात कही, लेकिन बिना टेंडर के ही काम करने की शर्त लगाई. अधिकारियों ने इसके लिए उच्च अधिकारियों से फिर अनुमति ली और काम शुरू हुआ. जिसके बाद फर्म ने पहली यूनिट को दिसंबर 2021 में चालू कर दिया. सीएमडी आरके शर्मा का कहना है कि इस पूरे काम में महज दो करोड़ के आसपास का खर्चा हुआ है. जबकि शुरुआत में सभी यूनिट स्कोर रिफर्बिश्ड करने तक की बात आ गई थी, जिसमें 200 करोड़ से भी ज्यादा का खर्चा होता.
भीगी कॉइल को ओवन में सुखाया - पंजाब इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज के मालिक जसविंदर सिंह ने बताया कि हम टेंडर के जरिए काम नहीं कर सकते थे. इसके लिए हमने पहले ही आरवीयूएनएल के अधिकारियों को कह दिया था. उन्होंने बिना टेंडर के काम करवाने की सहमति जताई. इसके बाद हमने करीब 12 से अधिक स्टॉफ को वहां डिप्लॉय किया. वहीं, वहां लगे चारों यूनिट के जनरेटर की कॉइल पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. जिन्हें सुखाकर दुरुस्त किया जाना था. ऐसे में प्रत्येक जनरेटर में लगी 396 कॉइल को निकाला गया और फिर उसे ओवन में सुखाया गया. इसके साथ ही कुछ कॉइल नई भी लगाई गई और पूरी तरह से कॉइल की वाइंडिंग बदली गई. उन्होंने बतया कि वो हर यूनिट्स को दुरुस्त करने के लिए लाखों रुपए लिए.
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एक जनरेटर को दुरुस्त करने में लगे 3 महीने - जसविंदर सिंह ने बताया कि जनरेटर में वाइंडिंग हो रखी थी. इस वाइंडिंग के लिए अभ्रक यानी माइका लगा होता है. यह बाहर से तो सूख जाता है, लेकिन इन्हें अंदर से गीला होने के चलते प्लांट नहीं चल पा रहा था. ऐसे में सबसे पहले एक नंबर यूनिट के जनरेटर को दुरुस्त करने का काम शुरू किया, जिसे 29 दिसंबर 2021 को पूरा कर लिया गया. इसके बाद यूनिट नंबर 4 का जनरेटर 7 जून, 2022 और तीसरे यूनिट के जनरेटर को 21 जनवरी 2023 को दुरुस्त कर दिया गया. ऐसे में हर एक जनरेटर को दुरुस्त करने में उन्हें 3 महीने का वक्त लगा. इसके अलावा पैनल से लेकर अन्य पार्ट को दुरुस्त करने का काम आरवीयूएनएल के अधिकारियों ने अलग से करवाया.
सीएमडी से लेकर एक्सईएन व एईएन तक जुटे रहे प्लांट दुरुस्त कराने में - इस पूरे कार्य में आरवीयूएनएल के सीएमडी आरके शर्मा, तत्कालीन चीफ इंजीनियर और वर्तमान में बोर्ड ऑफ मेंबर देवेंद्र श्रृंगी, सुपरिटेंडेंट इंजीनियर कोटा एनएस खंगारोत व अधिशासी अभियंता आशीष जैन सहित कई अधिकारियों की टीम शामिल थी. इनके अलावा एक्सईएन धीरज गुप्ता भी इसमें शामिल थे. इसके लिए आरपीएस प्लांट और कोटा ऑफिस में लगे कर्मचारी भी पूरी तरह से जुटे हुए थे और किसी भी तरह से इस प्लांट को चालू करना चाह रहे थे. यहां तक कि दुरुस्त करने के काम की मॉनिटरिंग भी सीएमडी से लेकर निचले स्तर तक रोज होने लगी.
एक यूनिट में लगेंगे करोड़ों रुपए - आरपीएस डैम की 3 यूनिट तो चालू हो गई है. उनसे उत्पादन भी करोड़ों का किया जा चुका है. जबकि यूनिट नंबर दो अभी चालू नहीं है. उसके अंदर जनरेटर के अधिकांश उपकरण जल गए हैं. उसकी वाइंडिंग भी पूरी तरह से जल गई है. ऐसे में उसे बदला जाना है. इसके लिए करीब 45 से 50 करोड़ रुपए का खर्च है. वहीं, सीएमडी आरके शर्मा ने कहा कि इस यूनिट के जनरेटर को रिवाइव करना संभव नहीं हो पा रहा है. इसीलिए चीफ इंजीनियर स्तर पर इसे बदलने का काम चल रहा है.
अनुमति लेकर प्रायोगिक तौर पर शुरू किया, सफल रहे - आरवीयूएनएल के सीएमडी आरके शर्मा ने कहा कि आरपीएस डैम स्थित हाइड्रो पावर प्लांट की इकाइयां पूरी तरह से पानी में डूब गई थी और चारों यूनिट को रिवाइव किया जाना था. इसमें पूरी तरह से कंप्लीट रिनोवेशन और मॉडर्नाइजेशन किया जाएगा. उसमें 200 करोड़ की लागत का एनालिसिस किया गया था. इसके चलते दो साल तक काम नहीं हुआ. लेकिन हमारे आने के बाद कोशिशें शुरू हुई. हमने एक्सपेरिमेंट बेसिस पर किया. इसमें भी हमने सेक्रेटरी स्तर पर अनुमति लेकर बात की. साथ ही बताया कि इसमें एक से दो करोड़ रुपए की लागत आ सकती है. वहीं, अनुमति मिलने पर हमने काम शुरू किया और आखिरकार हम सफल रहे.