कोटा. राजस्थान का सबसे बड़ा चुनावी मुद्दा पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) बना हुआ है. इस परियोजना के जरिए प्रदेश के 13 जिलों में सिंचाई और पेयजल के लिए पानी पहुंचाने का मकसद है. इसके लिए चम्बल नदी के सहायक नदी बेसिनों से पानी आगे पहुंचाया जाएगा. इसमें हाड़ौती भागीरथी बनेगा, क्योंकि यहां कि कूल, पार्वती, कालीसिंध और मेज नदियों के अधिशेष जल को बनास, मोरेल, बाणगंगा और गंभीरी के बेसिनों में भेजा जाएगा.
इन जिलों को होगा फायदा : बारिश के समय में हाड़ौती की नदियों में बड़ी मात्रा में पानी आता है, जो बहकर चला जाता है. हाड़ौती में अतिरिक्त पानी प्रदेश के दूसरे हिस्सों में 'अमृत' बनकर न सिर्फ फसलों को संजीवनी देगी, बल्कि लोगों की प्यास भी बुझाएगा. यह योजना साल 2017 में भाजपा के शासनकाल में तैयार हुई थी, जिसे साल 2051 तक बनकर पूरी तरह से तैयार होना है. यह करीब 40 हजार करोड़ रुपए की योजना है और वर्तमान में राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने के लिए दिल्ली के केन्द्रीय जल आयोग में विचाराधीन है. इस ईआरसीपी से हाड़ौती के चारों जिलों बारां, बूंदी, कोटा और झालावाड़ के अलावा सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर को फायदा होने की बात कही जा रही है.
बारां में खड़गे और गहलोत करेंगे संबोधित : पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत बारां जिले में 16 अक्टूबर को कांग्रेस की जन जागरण यात्रा की शुरुआत होगी. यह ईआरसीपी यात्रा 13 जिलों में जाएगी. इसमें कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता शामिल होंगे. बारां जिले में मंत्री प्रमोद जैन भाया इसकी तैयारी कर रहे हैं. कॉलेज मैदान में यह सभा आयोजित की जाएगी. इसके बाद इसी यात्रा के तहत दौसा में भी सभा होगी, जिसे प्रियंका गांधी संबोधित कर सकतीं हैं.
लगा रहे हैं एक-दूसरे पर आरोप : ईआरसीपी से लाखों क्यूसेक पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध होगा, जिससे करीब 2 लाख हेक्टेयर जमीन सिंचित होगी. यहां तक की सैकड़ों कस्बे में और करीब 62 लाख ग्रामीण आबादी को पेयजल भी उपलब्ध करवाया जाएगा. इस प्रोजेक्ट के तहत कई उद्योगों और दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर डीएमआईसी तक पानी पहुंचाया जाना है. इसको लेकर ही कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हैं. भाजपा का कहना है कि इसमें जल बंटवारे को लेकर मध्य प्रदेश से अनुमति नहीं ली गई है, जबकि कांग्रेस का कहना है कि सरकार कांग्रेस की होने के चलते राजनीतिक फायदा कांग्रेस को न मिले, इसलिए भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार इसे अटका रही है. आरोप है कि दो बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में आकर इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने का वादा किया था, जिसे पूरा नहीं कर रहे हैं.
भाजपा शासन में बनी थी योजना : ईआरसीपी के मुद्दे पर कांग्रेस ज्यादा आक्रामक हो रही है और भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार को घेर रही है, लेकिन इस पूरे प्रोजेक्ट को ही सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे सिंधिया ने तैयार करवाया था. इसकी शुरुआत भी उन्हीं के शासन में हुई थी, जिसमें कोटा जिले में नोनेरा और टोंक जिले में ईसरदा बांध निर्माण की घोषणा की गई थी. इन दोनों बांधों का निर्माण अंतिम चरण में है. करीब 90 फीसदी कार्य पूरा हो चुका है.
दो डैम की टेंडर प्रक्रिया अटकी : ईआरसीपी में राज्य सरकार की ओर से कोटा जिले के नोनेरा में 226.65 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता के बैराज का निर्माण करवाया जा रहा है. इसी तरह से टोंक जिले में उनियारा के नजदीक ईसरदा में 10.77 हजार मिलियन क्यूबिक फीट क्षमता का बांध तैयार करवाया जा रहा है. वहीं, ईआरसीपी के तहत बारां जिले में कूल नदी पर रामगढ़ 50.49 मिलियन क्यूबिक मीटर और पार्वती नदी पर महलपुर में 162. 20 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता का बैराज बनाया जाना है. दोनों के लिए राज्य सरकार ने टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी थी, लेकिन वह पूरी नहीं हो पाई है. वर्तमान में आचार संहिता के चलते अभी यह अटक गया है.