कोटा. राजस्थान में राजस्थान में बिजली संकट चल रहा है. इसको लेकर राज्य की गहलोत सरकार सवालों के घेरे में है तो वहीं विपक्षी भाजपा भी लगातार इस मुद्दे को लेकर सरकार पर निशाना साध रही है. साथ ही मौजूदा समस्या के लिए सीएम गहलोत और उनकी सरकार की कुव्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. दूसरी ओर हाड़ौती संभाग बिजली उत्पादन के लिए जाना जाता है और यहां पर कई तरीके से बिजली बनती है. इसमें कोयला, पानी, गैस, भूसा, परमाणु व सोलर शामिल हैं. साथ ही कोयले से बिजली उत्पादन में भी कोटा संभाग प्रदेश में सबसे आगे है. यहां राज्य सरकार के चार पावर प्लांट स्थापित हैं, जिनकी क्षमता 4760 मेगावाट है. लेकिन ये 55 फीसदी क्षमता से ही काम कर रहे हैं.
यही वजह है कि यहां वर्तमान में महज 2600 मेगावाट का ही उत्पादन हो पा रहा है. अगर इन्हें पूरी क्षमता से चलाया जाए तो प्रदेश में व्याप्त बिजली संकट से निपटा जा सकता है, हालांकि, अधिकांश यूनिट्स तकनीकी वजहों से बंद हैं. अगर इन्हें पूरी क्षमता से चलाया जाए तो 2100 मेगावाट से ज्यादा का उत्पादन हो सकता है.
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1315 मेगावाट क्षमता की 4 यूनिट बंद - कोटा संभाग में कोयला आधारित पावर प्लांट हैं, जिनमें कोटा थर्मल पावर प्लांट में 7 यूनिट्स हैं. इनमें से दो यूनिट्स में उत्पादन बंद है, जिन दो यूनिट में उत्पादन बंद है. उनमें तीन नंबर यूनिट 210 और 7 नंबर 195 मेगावाट की है. इसी तरह से छबड़ा सुपरक्रिटिकल में 660 मेगावाट के दो यूनिट है. इनमें दो नंबर यूनिट बंद हैं. इसी तरह से छबड़ा ऑपरेशन एंड मेंटिनेस प्लांट में 250 मेगावाट की चार यूनिट हैं. इनमें तीन नंबर यूनिट बंद है. जबकि शेष 11 यूनिट्स भी 80 फीसदी क्षमता से संचालित हो रही है.
कालीसिंध पावर प्लांट में कोयला सप्लाई में आ रही दिक्कत - थर्मल प्लांट की बात की जाए तो छबड़ा और कोटा में कोयला सप्लाई सुचारू रूप से चल रही है. जबकि कालीसिंध पावर प्लांट झालावाड़ में दिक्कत आ रही है. वहां पर स्टॉक 78000 टन है. बीते तीन दिनों में केवल एक रैक आई है और वो भी गुरुवार पहुंची है, हालांकि, आने वाले दिन में चार रैक आने की उम्मीद है. रोजाना इस प्लांट को 15 से 16 हजार टन कोयला चाहिए, जबकि वर्तमान में इतना नहीं आ रहा है. कालीसिंध के चीफ इंजीनियर केएल मीणा का कहना है कि कोयले की समस्या भी आने वाले दिनों में ठीक हो जाएगी. हम अपनी पूरी क्षमता से उत्पादन कर रहे हैं.
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कोटा व छबड़ा में 10 दिन का कोयला - कोटा के सुपर थर्मल पावर प्लांट में 1.78 लाख टन कोयला है, जबकि चार से पांच रैक औसत यहां प्रतिदिन आ रही है, लेकिन 5 यूनिट चल रही है तो 14000 टन रोज कोयला चाहिए, जबकि सातों यूनिट्स को चलाने के लिए 19000 टन कोयले की जरूरत है. इसी तरह से छबड़ा थर्मल की ऑपरेशन एंड मेंटिनेस प्लांट को रोज सभी यूनिट चलने के लिए 11 से 12 हजार टन कोयले की जरूरत है, जबकि अभी 8 से 9 हजार टन कोयले में उनका काम हो रहा है. रोज दो से तीन रैक ही आ पा रही है और वर्तमान में यहां 1.25 लाख टन कोयला है. वहीं, छबड़ा सुपरक्रिटिकल के पास 1.82 लाख टन कोयला है और रोजाना दो से तीन रैक ही आ पा रही है. यहां खपत एक यूनिट बंद होने के चलते 4000 टन है, जबकि दोनों यूनिट चलने पर 8000 टन कोयले की जरूरत होती है.
सालाना मेंटेनेंस के चलते बंद - छबड़ा सुपर क्रिटिकल पावर प्लांट के चीफ इंजीनियर उमेश गोयल का कहना है कि उनकी 1 यूनिट बंद है. जिसकी क्षमता 660 मेगावाट है. यह 26 जुलाई से शटडाउन के चलते बंद थी. ऐसे में इसमें सालाना मेंटेनेंस वर्क एक महीने से चल रहा था. ऐसे में पूरी यूनिट का काम इसमें करवाया है, जिसको जल्द चालू करने की तैयारी है. उसे एक दो दिन में ही चालू कर दिया जाएगा. कोटा थर्मल के चीफ इंजीनियर एके आर्य का कहना है कि उनकी दो यूनिट बंद है. जिनकी कैपेसिटी 405 मेगावाट है. इसमें 195 मेगावाट की 7 नंबर यूनिट में बॉयलर के ट्यूब लीकेज हो गई, जिसके कारण उसे दो दिन पहले बंद किया है. वहीं, 3 नंबर यूनिट 210 मेगावाट की है, इसके हाइड्रोजन सील सिस्टम में गड़बड़ी आने के कारण, ये एक सप्ताह से बंद है. इसका मेंटेनेंस बीएचईएल (भेल) कर रही है.
कोयला खानों में पानी भरने से पेश आ रही दिक्कत - छबड़ा ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस थर्मल प्लांट के चीफ इंजीनियर विजय कुमार वाजपेयी ने बताया कि वर्तमान में चिपकने वाला कोयला आ रहा है. इसका कारण कोयला की खानों में बारिश के पानी का लगना है. इसके चलते बॉयलर में हीट भी पूरी तरह से नहीं मिल पाती है. ऐसे में यूनिट की क्षमता कम हो जाती है, जबकि तीन नंबर यूनिट ओवर रोलिंग वर्क के चलते बंद है, जिसे बीएचईएल संचालित कर रहा है. इसे भी जल्द शुरू किया जाएगा, बाकी सभी यूनिट पार्शियल लोड पर चल रही है.