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हाड़ौती में कम हुआ उड़द और सोयाबीन का रकबा, चावल और मक्का पर जोर

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Published : Aug 1, 2023, 7:55 PM IST

Updated : Aug 1, 2023, 8:09 PM IST

हाड़ौती संभाग में इस बार सोयाबीन और उड़द की बुवाई कम होने से रकबा भी कम हुआ है. उड़द में टारगेट का आधा ही रकबा रहा है, जबकि मक्का और चावल का रकबा बढ़ा है. पढ़िए क्यों इस बार किसानों ने उड़द और सोयाबीन को छोड़ मक्का और चावल पर जोर दिया है...

Kharif Crops in Hadoti
Kharif Crops in Hadoti
हाड़ौती में कम हुआ उड़द और सोयाबीन का रकबा

कोटा. हाड़ौती संभाग में खरीफ की फसल की बुवाई लगभग समाप्ति की ओर है. इस बार कृषि विभाग को प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार सोयाबीन और उड़द की बुवाई किसानों ने कम की है. ऐसे में हाड़ौती में दोनों फसलों का रकबा कम हुआ है, जबकि मक्का और धान यानी चावल पर किसानों का ज्यादा जोर रहा है. इस तरह मक्का और धान के रकबे में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक पीके गुप्ता ने बताया कि किसानों को बीते साल चावल (धान) और मक्का के अच्छे भाव मिले थे. इस बार भी इनके भाव में बढ़ोतरी की संभावना है. इन फसलों में उत्पादन भी अच्छा होने की किसानों को उम्मीद है. हाड़ौती में अधिकांश किसान पानी की उपलब्धता के अनुसार ही फसलों की बुवाई करते हैं. हाड़ौती में 4 फसलों की बुवाई प्रमुखता से होती है. शेष फसलों का रकबा काफी कम रहता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, मूंगफली, तिल, मोठ और चोला शामिल हैं.

पढ़ें. Rajasthan Garlic Farmers : लहसुन के दामों ने किसानों की उम्मीदों को दी नई 'ऊंचाई', 15 दिन में दुगने हुए भाव

उड़द में टारगेट का आधा रह गया रकबा : एडिशनल डायरेक्टर गुप्ता के अनुसार वर्तमान में उड़द की बुवाई 110356 हेक्टेयर में हुई है, जबकि इसका टारगेट 252000 हेक्टेयर था. यह टारगेट से करीब 44 फीसदी कम है. बीते साल 138044 हेक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई थी. दूसरी तरफ बीते साल 767807 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी. इस बार का टारगेट भी 767000 हेक्टेयर था, लेकिन बुवाई 712266 हेक्टेयर में ही हुई है.

कुल बुवाई के 60 फीसदी में सोयाबीन : हाड़ौती में सर्वाधिक फसल सोयाबीन की ही होती है, इस बार भी सात लाख से ज्यादा हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल है. यह करीब कुल बुवाई के 60 फीसदी के आसपास है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसमें तीन से चार हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी होगी, लेकिन बीते सालों से रकबा कम ही रहेगा. बीते सालों में सोयाबीन और उड़द के दामों में भी मंडी में गिरावट रही है. दोनों ही फसलों में रोग का खतरा रहता है.

rice and maize Production
इस बार चावल और मक्के पर जोर

पढ़ें. Special: देश की सबसे बड़ी मंडी कोटा को चला रहे बिहारी मजदूर, लाखों बोरी लोडिंग-अनलोडिंग कर रहे रोज

लगातार जारी है धान की बुवाई : बीते साल 136653 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी. इस बार टारगेट 158000 था, लेकिन अब तक 119558 हेक्टेयर एरिया में ही बुवाई हुई है. यह बुवाई लगातार जारी है और यह आंकड़ा बीते साल के आसपास रहेगा. इसी तरह से मक्का में बीते साल 104587 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. इस बार का टारगेट 109000 था, जबकि 110345 हेक्टेयर में अब तक बुवाई हो चुकी है. इसमें ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है.

rice and maize Production
लगातार जारी है धान की बुवाई

टारगेट की 85 फीसदी बुवाई : हाड़ौती में टारगेट की 85 फीसदी बुवाई हुई है. बुवाई में 12 लाख 89 हजार 610 हेक्टेयर का टारगेट मिला था, हालांकि इसकी अपेक्षा में अभी तक 1095569 हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है. कृषि विभाग के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो बीते साल भी खरीफ के सीजन में 1172371 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. ऐसे में उम्मीद है कि इस साल भी करीब 12 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई होने की उम्मीद है. ऐसे में बीते साल की अपेक्षा 94 फीसदी की बुवाई हुई है.

देरी से बुवाई कर रहे किसान : कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक गुप्ता का कहना है कि अधिकांश बुवाई 15 जुलाई के आसपास तक पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन कई किसान देरी से बुवाई कर रहे हैं. ऐसे में उनके आंकड़ों का आना अभी बाकी है. 15 जून से 15 जुलाई के बीच की बुवाई का सही समय रहता है. देरी से बुआई करने वालों के उत्पादन में थोड़ा सा अंतर आ सकता है, क्योंकि उनको फसल के लिए कम समय मिल पाता है.

हाड़ौती में कम हुआ उड़द और सोयाबीन का रकबा

कोटा. हाड़ौती संभाग में खरीफ की फसल की बुवाई लगभग समाप्ति की ओर है. इस बार कृषि विभाग को प्राप्त हुए आंकड़ों के अनुसार सोयाबीन और उड़द की बुवाई किसानों ने कम की है. ऐसे में हाड़ौती में दोनों फसलों का रकबा कम हुआ है, जबकि मक्का और धान यानी चावल पर किसानों का ज्यादा जोर रहा है. इस तरह मक्का और धान के रकबे में बढ़ोतरी देखने को मिली है.

कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक पीके गुप्ता ने बताया कि किसानों को बीते साल चावल (धान) और मक्का के अच्छे भाव मिले थे. इस बार भी इनके भाव में बढ़ोतरी की संभावना है. इन फसलों में उत्पादन भी अच्छा होने की किसानों को उम्मीद है. हाड़ौती में अधिकांश किसान पानी की उपलब्धता के अनुसार ही फसलों की बुवाई करते हैं. हाड़ौती में 4 फसलों की बुवाई प्रमुखता से होती है. शेष फसलों का रकबा काफी कम रहता है, जिसमें ज्वार, बाजरा, मूंगफली, तिल, मोठ और चोला शामिल हैं.

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उड़द में टारगेट का आधा रह गया रकबा : एडिशनल डायरेक्टर गुप्ता के अनुसार वर्तमान में उड़द की बुवाई 110356 हेक्टेयर में हुई है, जबकि इसका टारगेट 252000 हेक्टेयर था. यह टारगेट से करीब 44 फीसदी कम है. बीते साल 138044 हेक्टेयर में उड़द की बुवाई हुई थी. दूसरी तरफ बीते साल 767807 हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई थी. इस बार का टारगेट भी 767000 हेक्टेयर था, लेकिन बुवाई 712266 हेक्टेयर में ही हुई है.

कुल बुवाई के 60 फीसदी में सोयाबीन : हाड़ौती में सर्वाधिक फसल सोयाबीन की ही होती है, इस बार भी सात लाख से ज्यादा हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल है. यह करीब कुल बुवाई के 60 फीसदी के आसपास है. कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार इसमें तीन से चार हजार हेक्टेयर की बढ़ोतरी होगी, लेकिन बीते सालों से रकबा कम ही रहेगा. बीते सालों में सोयाबीन और उड़द के दामों में भी मंडी में गिरावट रही है. दोनों ही फसलों में रोग का खतरा रहता है.

rice and maize Production
इस बार चावल और मक्के पर जोर

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लगातार जारी है धान की बुवाई : बीते साल 136653 हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी. इस बार टारगेट 158000 था, लेकिन अब तक 119558 हेक्टेयर एरिया में ही बुवाई हुई है. यह बुवाई लगातार जारी है और यह आंकड़ा बीते साल के आसपास रहेगा. इसी तरह से मक्का में बीते साल 104587 हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. इस बार का टारगेट 109000 था, जबकि 110345 हेक्टेयर में अब तक बुवाई हो चुकी है. इसमें ज्यादा बढ़ोतरी की उम्मीद नहीं है.

rice and maize Production
लगातार जारी है धान की बुवाई

टारगेट की 85 फीसदी बुवाई : हाड़ौती में टारगेट की 85 फीसदी बुवाई हुई है. बुवाई में 12 लाख 89 हजार 610 हेक्टेयर का टारगेट मिला था, हालांकि इसकी अपेक्षा में अभी तक 1095569 हेक्टेयर में ही बुवाई हो पाई है. कृषि विभाग के आंकड़ों पर ध्यान दें, तो बीते साल भी खरीफ के सीजन में 1172371 हेक्टेयर में ही बुवाई हुई थी. ऐसे में उम्मीद है कि इस साल भी करीब 12 लाख हेक्टेयर में ही बुवाई होने की उम्मीद है. ऐसे में बीते साल की अपेक्षा 94 फीसदी की बुवाई हुई है.

देरी से बुवाई कर रहे किसान : कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक गुप्ता का कहना है कि अधिकांश बुवाई 15 जुलाई के आसपास तक पूरी हो जानी चाहिए, लेकिन कई किसान देरी से बुवाई कर रहे हैं. ऐसे में उनके आंकड़ों का आना अभी बाकी है. 15 जून से 15 जुलाई के बीच की बुवाई का सही समय रहता है. देरी से बुआई करने वालों के उत्पादन में थोड़ा सा अंतर आ सकता है, क्योंकि उनको फसल के लिए कम समय मिल पाता है.

Last Updated : Aug 1, 2023, 8:09 PM IST
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