कोटा. कोटा नगर निगम दक्षिण की सोमवार को बोर्ड बैठक वर्चुअल (Virtual meeting in Kota South Municipal Corporation) हुई. वर्चुअल रूप से हुई ये बैठक भी हंगामेदार रही और किसी भी पार्षद को ठीक तरह से दूसरे पार्षदों ने बोलने नहीं दिया. इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के पार्षद शामिल थे. जैसे ही बैठक शुरू हुई सभी सदस्यों ने अपने माइक चालू कर अपने अपने मुद्दे उठाने शुरू कर दिए. दोपहर 3:00 बजे शुरू हुई बैठक केवल डेढ़ घंटे में ही पूरी हो गई.
बैठक में अधिकांश समय बतौर सचिव मौजूद उपायुक्त अंबा लाल मीणा ही बोल रहे थे. इस बैठक में किस पार्षद ने क्या मुद्दा उठाया ना तो वह नोट हो पाया है, ना ही अधिकारी और महापौर सुन पाए हैं. अधिकारियों ने क्या अनुमोदन करवाया, वह एक भी पार्षद नहीं सुन पाया है.
महापौर ने भी माना मीटिंग में कौन बोल रहा नहीं सुन पाए
महापौर राजीव अग्रवाल का कहना है कि हो सकता है कि वर्चुअली मीटिंग में कुछ कमियां रही हों. क्योंकि एक साथ चार आदमी बोलते हैं, तब वर्चुअल ही सुनाई नहीं देता है. स्क्रीन पर सभी के चेहरे भी नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन कौन व्यक्ति बोल रहा था, यह भी नहीं समझ आ रहा था. बजट की बैठक भी 15 फरवरी के पहले होगी. सभी पार्षदों को लैपटॉप उपलब्ध कराए और शालीनता से समझा कर मीटिंग की जाएगी. सब का टाइम फिक्स कर दिया जाए कि दो-दो मिनट बोलना है. उन्होंने कहा कि हालांकि इस मीटिंग को सफल माना जाएगा.
कांग्रेसी पार्षद जुड़ने के लिए लगाते रहे गुहार
इस मीटिंग के लिए अधिकांश कांग्रेसी पार्षद जिला कांग्रेस कमेटी के दफ्तर पर एकत्रित हुए थे. जहां पर मीटिंग शुरू होने के समय 3:00 बजे के बाद ही वे लोग मीटिंग में जुड़ने के लिए गुहार लगाने लगे. हालांकि एक एक करके सभी पार्षदों को इस मीटिंग के लिए वर्चुअल जोड़ दिया गया.
विधायक दिलावर को भी नहीं बोलने दिया
इतिहास में पहली बार वर्चुअल तरीके से हुई इस बैठक में जुड़े भारतीय जनता पार्टी के रामगंजमंडी सीट से विधायक मदन दिलावर को भी कांग्रेस के पार्षदों ने बोलने नहीं दिया. दिलावर सफाई के मुद्दे पर बोलना चाह रहे थे. उन्होंने वार्ड नंबर 31 का उदाहरण देना शुरू ही किया था कि इस दौरान कांग्रेसी पार्षदों ने एक साथ सभी माइक को चालू करके बोलना शुरू कर दिया. जिसके बाद हंगामा हो गया और इस दौरान भाजपा के पार्षद भी अपने विधायक को बोलने देने की मांग करने लगे. जिसके बाद नाराज होकर रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर वर्चुअल मीटिंग से बाहर निकल गए.
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भाजपा पार्षद बोले नहीं मानेंगे किसी भी तरह का अनुमोदन
भारतीय जनता पार्टी के पार्षद विवेक राजवंशी का कहना है कि उन्होंने कोविड-19 के प्रोटोकॉल को देखते हुए सभी भाजपा के पार्षदों को एक जगह एकत्रित किया था. जहां पर एक एक को मुद्दा उठाने के लिए तैयार कर लिया था और माइक की व्यवस्था भी उन्होंने की थी. जिसमें एक-एक पार्षद को बोलना था, लेकिन कांग्रेसी पार्षदों को वर्चुअल तरीके से मीटिंग में शामिल होना ही नहीं आता है. वह बार-बार अपने माइक को चालू कर बोल रहे थे. इससे बैठक में काफी व्यवधान हुआ है. हम इस पूरी बैठक में हुए अनुमोदन को अस्वीकार करते हैं. क्योंकि इन पर चर्चा नहीं हो पाई है.
आईटी के क्षेत्र में नगर निगम 25 साल पीछे
भाजपा के पार्षद गोपाल राम मंडा का कहना है कि जिस तरह से कांग्रेसी पार्षद बोल रहे थे. इससे बैठक में ना तो अधिकारी क्या बोल रहे हैं वह समझ में आया और ना अध्यक्षता कर रहे महापौर राजीव अग्रवाल क्या कह रहे थे, वह भी सुनने में नहीं आया. पार्षद ने कहा कि नगर निगम आईटी के क्षेत्र में 25 साल पीछे है. ऐसे में इस तरह से मीटिंग आयोजित करने का कोई मतलब नहीं है. ऐसी मीटिंग के लिए पहले पार्षदों को ट्रेनिंग देनी चाहिए. आयुक्त कीर्ति राठौड़ भी कोविड-19 पॉजिटिव होने के बाद में मीटिंग में शामिल नहीं हुई. इस पर उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कोविड-19 होने के बाद में वर्चुअल मीटिंग में शामिल हो रहे हैं, तो आयुक्त भी हो सकती थी.
रिकॉर्डिंग को सुन कर निकालेंगे मुद्दे, बनाएंगे मीटिंग के मिनट्स
वर्चुअल बैठक में न तो मिनिट्स बन पाए हैं और न ही इसकी कोई प्रोसीडिंग लिखी गई है. इस पर महापौर राजीव अग्रवाल का कहना है कि पूरी मीटिंग की रिकॉर्डिंग है जिसे अधिकारी और कर्मचारी सुनेंगे और इसकी पूरी तरह प्रोसीडिंग लिखी जाएगी. साथ ही बैठक के मिनिट्स बनाए जाएंगे. आयुक्त कीर्ति राठौड़ के बैठक में शामिल नहीं होने पर महापौर राजीव अग्रवाल ने कहा कि उन्हें वर्चुअल ही बैठक में जुड़ना चाहिए था. इसके साथ ही राजीव अग्रवाल ने बताया कि जिन 16 मुद्दों का अनुमोदन कराया है उनमें एक भी ऐसा नहीं जिस पर पार्षद असहमत हों. पार्षदों की सैलरी भी 25 हजार रुपए मासिक करने का अनुमोदन किया गया है जिसे राज्य सरकार को भेजा जाएगा.