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ASI कंपनी के खिलाफ दलित मजदूरों को प्रताड़ना का मुकदमा दर्ज, दिलावर ने दी चेतावनी...

लीज पर जमीन लेकर खनन करने वाली एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज (एएसआई) कंपनी के खिलाफ सुकेत थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है. यह मामला कंपनी के मालिक सहित 6 अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है, जिसमें मजदूरों ने प्रताड़ना का आरोप लगाया है. मदन दिलावर ने अधिकारियों की लापरवाही बताई है.

Madan Dilawar
मदन दिलावर...
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Published : Nov 4, 2022, 8:00 PM IST

कोटा. जिले के रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र में लीज पर जमीन लेकर खनन करने वाली एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज (एएसआई) कंपनी के खिलाफ सुकेत थाने में (FIR Against ASI Company) मुकदमा दर्ज हुआ है. इस दौरान विधायक दिलावर भी थाने में उपस्थित हुए थे. कोटा में इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए मदन दिलावर ने कहा है कि 10 लोगों ने शिकायत अलग-अलग दी थी, लेकिन पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है.

दिलावर ने संभाग और जिले के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन लोगों को सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई व उचित कार्रवाई नहीं हुई है. इस मामले में पवन सोनी, सुधीर दीपक, वासु, एससी गुप्ता व गोविंद गुप्ता शामिल हैं. दिलावर ने आरोप लगाया है कि इस कंपनी ने राज्य सरकार से लीज पर खनन करने के लिए जगह ली है, लेकिन इस एरिया में पहले से रह रहे मजदूरों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

पढ़ें : दुष्कर्म और गैंगरेप की घटनाओं से प्रदेश शर्मसारः मदन दिलावर

भाजपा नेता ने यह भी कहा कि नियमानुसार इन्हें हटाया नहीं जा सकता है, जबकि ये एक छोटे से कमरे में ही (Dalit Laborers Tortured Case) रहने को मजबूर हैं, जिसमें माता, पिता, बेटे व बहू सहित बच्चे भी शामिल हैं. इन लोगों को बिजली और नल का कनेक्शन नहीं लेने दिया जाता है. रात को ही बिजली मिलती है. दिलावर ने कहा कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों को भी एएसआई कंपनी की वीसीआर भरनी चाहिए. जेवीवीएनएल से बिजली लेकर बेचना अपराध है. यह कानूनन गलत है और हजारों रुपए महीने के इन लोगों से वसूले जा रहे हैं. इन लोगों को कच्ची रसीद दी जा रही है.

दिलावर का कहना है कि वर्तमान में 10 लोगों ने ही हिम्मत दिखाई है, लेकिन करीब 30 से 40 परिवार इस बस्ती में रहते हैं. एएसआई कंपनी से प्रताड़ित करीब 300 परिवार हैं, यह सभी लोग दलित वर्ग से हैं. इन लोगों को ना पीने का पानी है ना एरिया में आंगनबाड़ी है. चिकित्सा सुविधाओं के अलावा स्कूल और कोई भवन निर्माण भी होने दी जाती है. यहां तक कि मंदिर या कुछ और बनाना चाहे तो भी इंकार कर दिया जाता है. दिलावर का कहना है कि उन्होंने विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया है. उच्चाधिकारियों को भी कई बार अवगत कराया है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

कोटा. जिले के रामगंजमंडी विधानसभा क्षेत्र में लीज पर जमीन लेकर खनन करने वाली एसोसिएट स्टोन इंडस्ट्रीज (एएसआई) कंपनी के खिलाफ सुकेत थाने में (FIR Against ASI Company) मुकदमा दर्ज हुआ है. इस दौरान विधायक दिलावर भी थाने में उपस्थित हुए थे. कोटा में इस मामले में मीडिया से बातचीत करते हुए मदन दिलावर ने कहा है कि 10 लोगों ने शिकायत अलग-अलग दी थी, लेकिन पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज की है.

दिलावर ने संभाग और जिले के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर इन लोगों को सुविधाएं मुहैया नहीं कराई गई व उचित कार्रवाई नहीं हुई है. इस मामले में पवन सोनी, सुधीर दीपक, वासु, एससी गुप्ता व गोविंद गुप्ता शामिल हैं. दिलावर ने आरोप लगाया है कि इस कंपनी ने राज्य सरकार से लीज पर खनन करने के लिए जगह ली है, लेकिन इस एरिया में पहले से रह रहे मजदूरों को प्रताड़ित किया जा रहा है.

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भाजपा नेता ने यह भी कहा कि नियमानुसार इन्हें हटाया नहीं जा सकता है, जबकि ये एक छोटे से कमरे में ही (Dalit Laborers Tortured Case) रहने को मजबूर हैं, जिसमें माता, पिता, बेटे व बहू सहित बच्चे भी शामिल हैं. इन लोगों को बिजली और नल का कनेक्शन नहीं लेने दिया जाता है. रात को ही बिजली मिलती है. दिलावर ने कहा कि जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के अधिकारियों को भी एएसआई कंपनी की वीसीआर भरनी चाहिए. जेवीवीएनएल से बिजली लेकर बेचना अपराध है. यह कानूनन गलत है और हजारों रुपए महीने के इन लोगों से वसूले जा रहे हैं. इन लोगों को कच्ची रसीद दी जा रही है.

दिलावर का कहना है कि वर्तमान में 10 लोगों ने ही हिम्मत दिखाई है, लेकिन करीब 30 से 40 परिवार इस बस्ती में रहते हैं. एएसआई कंपनी से प्रताड़ित करीब 300 परिवार हैं, यह सभी लोग दलित वर्ग से हैं. इन लोगों को ना पीने का पानी है ना एरिया में आंगनबाड़ी है. चिकित्सा सुविधाओं के अलावा स्कूल और कोई भवन निर्माण भी होने दी जाती है. यहां तक कि मंदिर या कुछ और बनाना चाहे तो भी इंकार कर दिया जाता है. दिलावर का कहना है कि उन्होंने विधानसभा में भी यह मुद्दा उठाया है. उच्चाधिकारियों को भी कई बार अवगत कराया है, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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