कोटा. भामाशाह कृषि उपज मंडी में धान खरीद का सीजन परवान पर चढ़ गया है. आलम यह है कि किसानों को अपना माल बेचने के लिए 4 से 5 दिन का इंतजार करना पड़ रहा है. मंडी के बाहर एक तरफ जहां ट्रकों की लंबी कतारें लगी हुई हैं, वहीं, दूसरी तरफ छोटे लोडिंग वाहन और ट्रैक्टर ट्रॉली की कतारें लगी हैं. मंडी के बाहर जिन वाहनों की कतारें लगी हैं वे अधिकतर मध्यप्रदेश के हैं.
ये किसान पांच दिन से इंतजार करने के बाद अपनी उपज को बेच नहीं पाएं हैं, लेकिन उनके माथे पर कोई चिंता नहीं है. इसका कारण मंडी में व्यापारियों की साख और उपज का मिलने वाला ज्यादा दाम है. किसानों का कहना है कि कोटा मंडी में अच्छे दाम मिल जाते हैं, दूसरी तरफ यहां पर एकमुश्त पैसा भी मिल रहा है. कोटा मंडी समिति और ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन का कहना है कोटा के व्यापारियों ने जो साख बनाई है, उसी के चलते किसान वेटिंग होने पर भी परेशान नहीं हो रहे हैं.
हमारे यहां नहीं होती इतनी धान की खरीदः किसानों का कहना है कि मध्य प्रदेश में अधिकांश जगहों पर मंडी नहीं है. अशोकनगर, गुना, शिवपुरी, श्योपुर और ग्वालियर जिलों से भी बड़ी संख्या में किसान यहां पर धान की फसल बेचने आते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे यहां एक साथ इतनी धान की बिक्री भी नहीं होती है. कोटा में एक बार नंबर आने के बाद फसल बिक जाती है, इसलिए वे कोटा को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं.
हर किसान को 1000 का अतिरिक्त खर्च रोजः किसानों का कहना है कि यहां पर केवल एक ही समस्या है, वह यह कि धान के सीजन में फसल बेचने के लिए तीन से चार-पांच दिन तक इंतजार करना पड़ता है. इस दौरान कुछ रुपए ज्यादा खर्च हो जाते हैं. साथ ही ट्रकों में हम माल लेकर आते हैं, ऐसे में इनका भाड़ा भी हमें ज्यादा भुगतना पड़ता है. साथ ही धान की सुरक्षा भी ट्रक के साथ करनी होती है, क्योंकि इस इलाके में शराबी और स्मैकची घूमते रहते हैं. यहां पर 4 से 5 दिन इंतजार करने में प्रत्येक किसान का 5 से 6 हजार रुपए ज्यादा खर्च होता है.
ज्यादा दाम कर देता है भरपाईः मध्य प्रदेश से आए किसान मुकेश कुशवाहा का कहना है कि मंडी में उनकी अच्छी क्वालिटी के धान का 3400 के आसपास पैसा मिल रहा है. वहीं, कोटा की कृषि उपज मंडी में यह दाम 4000 के आसपास है. ऐसे में 500 से 600 रुपए प्रति क्विंटल ज्यादा दाम यहां पर मिल रहा है. इससे किसान को फायदा होता है. किसानों को यहां पर माल बेचने के बाद पैसे के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता, तुरंत व्यापारी पैसा दे देते हैं, जबकि मध्य प्रदेश में कुछ इलाकों में तो मंडी ही नहीं है. वहीं जिन इलाकों में मंडी है, वहां भी नकदी की जगह कुछ दिन बाद भुगतान मिलता है.
रोज मंडी में ढाई लाख बोरी की आवकः भामाशाह कृषि उपज मंडी की सचिव डॉ. हेमलता मीणा का कहना है कि वर्तमान में करीब 2.5 लाख बोरी जिंस की आवक रोज हो रही है. इसके चलते मंडी पूरी तरह से फुल हो जाती है, इसलिए माल बेचने आने वाले किसानों के वाहनों को तय समय पर ही एंट्री दी जाती है. दोपहर 3 से रात 11 बजे तक पूरी तरह से मंडी में वाहनों की एंट्री बंद रहती है. रात 11 बजे वाहनों की एंट्री शुरू की जाती है. इसके साथ ही कुछ वाहनों की एंट्री सुबह भी की जाती है. छोटे और बड़े वाहनों को आने जाने के लिए अलग-अलग रास्ता दिया हुआ है. इसके अलावा अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी लगाकर भी व्यवस्था बनाई जा रही है.
माल पहुंचने के बाद चंद घंटों में भुगतानः भामाशाह कृषि उपज मंडी में ग्रेन एवं सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि अधिकांश किसान मध्य प्रदेश के इलाकों से आता है. किसान का एक बार माल मंडी यार्ड में नीलामी के लिए उतरने के बाद कुछ घंटे में ही उसके हाथ में भुगतान आ जाता है. यहां पर तुलाई भी पूरी ईमानदारी से की जाती है, इसलिए किसानों का विश्वास लगातार बढ़ता जा रहा है.
व्यापारियों की खरीद क्षमता काफी ज्यादाः अविनाश राठी का यह भी कहना है कि कोटा संभाग में धान की खपत भी ज्यादा है, क्योंकि यहां पर बड़ी मात्रा में चावल मिल लगी हुई हैं. ऐसे में यहां के व्यापारियों की खरीद क्षमता भी काफी ज्यादा है. दूसरी तरफ यहां से बड़ी मात्रा में माल एक्सपोर्ट होता है, इसलिए भी किसानों को अच्छे दाम यहां पर मिलते हैं. साथ यहां के व्यापारियों की साख काफी अच्छी है. ग्रेन एवं सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन किसानों का पूरा ध्यान रखती है. मंडी का इतिहास रहा है कि यहां 1 रुपया भी किसी किसान का नहीं डूबा है.
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कतार में खड़े हैं 4000 से ज्यादा वाहनः भामाशाह कृषि उपज मंडी के गेट नंबर 1 से ट्रक और भारी वाहनों की लंबी कतार लगी हुई है. यह कतार मंडी गेट से लेकर मंडी तिराहे होती हुई प्रेम नगर फ्लाईओवर तक पहुंच जाती है. इसकी व्यवस्था बनाने के लिए यातायात पुलिस मंडी गेट से मंडी तिराहे तक 1 किलोमीटर के एरिया की पूरी सड़क को एक लेन में संचालित करती है. दूसरी लाइन में 7 से 8 कतारों में ट्रक खड़े हो जाते हैं. इनमें करीब 4000 से ज्यादा ट्रक खड़े हुए हैं. यही हालत करीब 20 से 25 दिन तक मंडी के बाहर रहने वाले हैं.
राज्य सरकार को भी मिलेगा ज्यादा राजस्वः अविनाश राठी का यह भी कहना है कि मंडी में एक्सटेंशन की काफी ज्यादा आवश्यकता है. मंडी के विस्तार के लिए प्रयास भी किए हैं. इस संबंध में मंडी समिति की तरफ से राज्य सरकार प्रक्रिया कर रही थी. वन विभाग की भूमि मंडी को अलॉट की जा रही है, वन विभाग को कन्वर्ट कर दूसरी भूमि दी जा रही है. उन्होंने कहा कि मंडी विस्तार होने के बाद किसानों को कोई इंतजार नहीं करना पड़ेगा. एक दिन में उनका माल बिक जाएगा. इससे कोटा मंडी और राज्य सरकार का भी राजस्व बढ़ेगा. राठी ने कहा कि यहां का सालाना टर्न ओवर करीब 6 से 8 हजार करोड़ का है. विस्तार के बाद यह बढ़कर 15 से 16 हजार करोड़ हो जाएगा.