कोटा. राजस्थान में हाड़ौती सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक क्षेत्र है. यहां बड़ी मात्रा में लहसुन की खेती किसान करते हैं, लेकिन लहसुन के भावों में रहने वाले उतार-चढ़ाव के कारण किसानों को नुकसान भी होता है. कई बार भाव इतना ज्यादा गिर जाता है कि किसानों के सामने फसल फेंकने जैसी स्थिति आ जाती है. हालांकि, इस साल लहसुन उत्पादक किसानों को अच्छा मुनाफा मिला है. इस साल लहसुन की फसल भी कम थी, साथ ही उत्पादन भी कम हुआ था. इसके चलते भाव आसमान पर रहे. वहीं, लहसुन का लगातार निर्यात भी हो रहा है, इसका लाभ किसानों को मिल रहा है.
लहसुन करीब 160 से लेकर 200 रुपए किलो तक बिक रहा है, जबकि साल 2022 में भाव कम थे और मंडी में 2 से लेकर 10 रुपए किलो तक के भाव में लहसुन बिका था. किसान संगठनों और मंडी व्यापारियों का का कहना है कि अगर लहसुन की प्रोसेसिंग यूनिट लगेगी, तो किसानों को लंबे समय तक फायदा मिलेगा. लहसुन को स्टोरेज करके भी रखा जा सकेगा.
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1 साल से ज्यादा नहीं रख सकते स्टोरेजः किसानों का कहना है कि लहसुन को स्टोरेज करके नहीं रखा जा सकता है. मंडी में जैसे ही खेत से लहसुन निकाला जाता है, उसे तैयार कर बोरी में पैक करके मंडी में बेचना होता है. ज्यादा लंबे समय तक फसल को रखने से वह सूख जाती है और उसका वजन कम हो जाता है. साथ ही उसकी नमी खत्म होने से लहसुन सूख जाता है. भारतीय किसान संघ के जिला प्रचार मंत्री रूपनारायण यादव का कहना है कि खेत से लहसुन निकालने के बाद तुरंत उसे मंडी में बेचना ही पड़ता है, जबकि अन्य फसल को दो से तीन साल तक स्टोरेज करके रखा जा सकता है.
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मुनाफे की उम्मीद में 75 फीसदी बढ़ गया रकबाः इस बार भी लहसुन का रकबा हाड़ौती में बढ़ गया है. कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक खेमराज शर्मा का कहना है कि बीते साल 2022 में जहां 51 हजार हेक्टेयर में लहसुन चारों जिलों में बोया गया था. साल 2023 में यह रकबा 90 हजार से ज्यादा हो गया है. ऐसे में करीब 75 फीसदी रकबा बीते साल से बढ़ गया है. चंद्रसेल इलाके के किसान कमलेश नगर का कहना है कि बीते साल ढाई बीघा में उन्होंने लहसुन बोया था, फायदा अच्छा हुआ. इसलिए इस बार 4 बीघा में लहसुन बोया है. इसी तरह से कालातालाब इलाके के किसान महेंद्र का कहना है कि बीते साल जहां पर 4 बीघा में लहसुन बोया था, इस बार 10 बीघा में फसल बोया है.
दाम ही तय करते हैं अगले साल क्या होगा रकबाः एशिया की सबसे बड़ी लहसुन मंडी भामाशाह कृषि उपज मंडी कोटा के ग्रेन एंड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अविनाश राठी का कहना है कि लहसुन को प्रोसेसिंग यूनिट के जरिए ही लंबे समय तक स्टोर रखा जा सकता है. इससे किसानों को भी फायदा होगा, उनकी फसल के दाम प्रोसेसिंग यूनिट की खरीद के चलते कम नहीं होंगे. जब दाम कम होंगे, तब लहसुन को खरीद करके भी रखा जा सकेगा. हाड़ौती में बीते 7 से 8 सालों से ही लहसुन का उत्पादन बढ़ा है. जब उत्पादन को ज्यादा हो जाता है, तब किसान अपना रकबा कम कर लेते हैं, क्योंकि उन्हें दाम नहीं मिल पाते हैं.
डिहाइड्रेट कर फ्लेक्स या पाउडर में कर सकते हैं स्टोरः अविनाश राठी का कहना है कि जब मंडी में अच्छे दाम किसानों को मिल जाते हैं, तब रकबा अगले साल बढ़ जाता है, फिर दाम कंट्रोल में आ जाते हैं. यह चक्र लगातार चलता रहा है. ऐसा ही इस साल भी हुआ है, क्योंकि लहसुन को स्टोरेज करके नहीं रखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि लहसुन को डिहाइड्रेट करके फ्लेक्स या फिर पाउडर बनाकर रख सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार को इस तरह के प्लांट लगाने चाहिए, ताकि किसानों को बराबर एक समान दाम मिलते रहे. दाम में उतार-चढ़ाव होने से किसानों को काफी नुकसान हो जाता है.