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Special: पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब, इस बार किसानों को बीज दे रहा दुख - Rajasthan agriculture news

हाड़ौती में पिछले साल सोयाबीन की फसल खराब हो गई थी. जिससे इस साल बीज की कमी हो गई है. ऐसे में किसान परेशान हैं. किसानों को महंगा बीज खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

seed shortage of soyabean in Kota, कोटा न्यूज
हाड़ौती के किसान परेशान
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Published : Jun 22, 2020, 3:56 PM IST

कोटा. हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 6 लाख 65 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसके लिए 5 लाख 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता है लेकिन बीज की कमी है. जिस कारण अब किसान परेशान हैं.

मानसून की पहली बारिश के बाद ही आमतौर पर सोयाबीन की बुवाई 1 से 10 जुलाई के बीच होती है. किसान पहले से ही बीज जतन कर रखते हैं. बीते साल सोयाबीन की फसल काफी खराब हो गई थी. इसके चलते जो किसान अपना बीज घर पर ही तैयार करते हैं, उन्हें खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे फसल खराब होने के कारण बीज तैयार नहीं कर पाए. दूसरी तरफ बाजार में भी बीज की कमी है.

हाड़ौती के किसान परेशान

कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 66 लाख 5 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसकी एवज में अभी वर्तमान 2 लाख 40 हजार क्विंटल बीज ही उपलब्ध है. इनमें 1 लाख 70 हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग ने किसानों से तैयार करवाया है. जबकि 75 हजार क्विंटल बाजार में उपलब्ध है. इस कारण किसानों को भी महंगा बीज मिल रहा है.

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बीज के लिए भी नहीं बची फसल

पिछले साल 6 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन का रकबा था. वहीं उत्पादन का लक्ष्य 11 लाख 41 हजार मीट्रिक टन था, लेकिन फसल खराब होने के कारण उत्पादन महज 35 फीसदी रह गया. जिसमें 42 लाख 5 हजार मीट्रिक टन ही उत्पादन हुआ. बता दें कि अधिकांश किसानों की फसल 70 से 90 फीसदी तक खराब हो गई.

seed shortage of soyabean in Kota, कोटा न्यूज
5 लाख 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता

यह भी पढ़ें. Special : खेल और खिलाड़ियों पर कोरोना का 'ग्रहण', टूर्नामेंट पर प्रतिबंध होने से नहीं है उत्साह

उनके पास बीज के लिए भी सोयाबीन नहीं बची है. इसके चलते ही हाड़ौती में अब सोयाबीन के बीज का संकट खड़ा हो गया है. जिन दूसरे राज्यों मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भी बीज उपलब्ध हो जाता था. वहां भी फसलें अतिवृष्टि के कारण खराब हो गई. ऐसे में वहां भी उन्नत बीज नहीं मिल पा रहा है.

संकट में मिल रहा महंगा बीज

बीते साल जहां पर किसानों को बाजार में 44 से 50 रुपए किलो सोयाबीन का बीज मिल रहा था. अब इस बार यह दाम बढ़कर 63 पर पहुंच गया है. ऐसे में बीजों के दाम महंगे हो गए हैं. वहीं जो किसान अपने पड़ोसी या दूसरे किसानों से भी बीज ले रहे हैं. उन्हें भी महंगी दर पर बीज मिल रहा है. किसानों का कहना है कि अगर फसल पैदा करनी है तो महंगा बीज ही लेना पड़ेगा. इसे मजबूरी में ही ले रहे हैं.

बीज के लिए सरकार ने टेंडर निकाले नहीं हुए सफल

कृषि विभाग के आंकड़ों की बात की जाए तो 27 फीसदी किसान बाजार का प्रमाणित बीज ही उपयोग करते हैं. जबकि 73 फीसदी किसान अपना स्वयं का बीज बुवाई में उपयोग लेते हैं. सरकारी स्तर पर दो बार बीज खरीदने के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन दोनों बार ही निविदा में किसी ने भी भाग नहीं लिया. इसके चलते सरकारी स्तर पर बीज अनुपलब्ध है.

seed shortage of soyabean in Kota, कोटा न्यूज
महंगे दामों पर बीज खरीदने को मजबूर

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सब्सिडी पर भी नहीं मिल रहा बीज

राज्य व केंद्र सरकार अपने सरकारी बीज उत्पादक कंपनियों के जरिए किसानों को बीज उपलब्ध करवाती है. इसमें उन्हें सब्सिडी भी दी जाती है, लेकिन इस बार सब्सिडी की घोषणा अभी तक नहीं की गई है. तिलम संघ, राजस्थान स्टेट और नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन के जरिए यह बीज किसानों को मिलता है. इस बार यहां सोयाबीन का बीज 84 रुपए किलो मिल रहा है. जबकि बीते साल 40 रुपए की सब्सिडी मिली थी. ऐसे में किसानों को करीब 44 रुपए किलो ही बीज मिला था.

बाजार में उपलब्ध महज 75 हजार क्विंटल

हाड़ौती की दुकानों की बात की जाए तो 40 हजार क्विंटल ही बीज दुकानों पर उपलब्ध है. यह बीज भी मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से हाड़ौती के जिलों में आया है. इसके अलावा सरकारी बीज उत्पादक कंपनियों के पास 35 हजार क्विंटल बीज है. जबकि बीते साल ही करीब 1 लाख 65 हजार क्विंटल बीज किसानों ने बाजार से खरीदा था. इसकी तुलना में इस बार महज 75000 क्विंटल बीजी बाजार में किसानों के लिए उपलब्ध है.

पड़ोसी किसान से उपलब्ध करवा रहे बीज

कोटा जोन के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि बाजार में बीज की अनुपलब्धता के बाद सरकार ने निर्देश दिए हैं कि विभाग पंचायत गोष्ठी करें. किसान जिनके पास में सोयाबीन है. उनसे उत्तम किस्म का बीज तैयार करवाए.

यह भी पढ़ें. ग्रामीणों की कोरोना से जंग: 4 संक्रमित मरीज मिलने के बाद तिलोरा ग्राम पंचायत के लोग अब ऐसे लड़ रहे लड़ाई

इसके लिए अनुदान पर बीज उपलब्ध करवाने के लिए ग्रेडिंग मशीन लगाकर उत्पादित किया जा रहा है. इसमें पड़ोसी किसानों से बीज दूसरे किसानों को दिलाया जा रहा है. जिससे उनको कुछ आय भी हो रही है.

35 हजार किसानों को गोष्ठी से जोड़ा

ज्वाइंट डायरेक्टर शर्मा के अनुसार अभी तक 35 हजार किसानों को उन्होंने जोड़ा है. इसके तहत अब तक 1 लाख 70 हजार क्विंटल बीज गोष्ठी के जरिए तैयार करवा चुके हैं. जो कि 40 से 50 रुपए किलो किसानों को दिया जा रहा है. उन्होंने दावा किया है कि किसानों को बुवाई के पहले पूरा बीच उपलब्ध कराया जाएगा, क्योंकि हाड़ौती में 3 लाख किसान हैं. ऐसे में सभी किसानों तक पहुंच बीज के लिए गोष्ठी करेंगे.

किसानों का कहना है कि सरकार से सब्सिडी भी नहीं मिली. दूसरी तरफ महंगा बीज खरीदना पड़ रहा है. ये सरकार की पूरी तरह से नाकामी है. सरकार ने किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दिया है.

कोटा. हाड़ौती के चारों जिले कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 6 लाख 65 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसके लिए 5 लाख 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता है लेकिन बीज की कमी है. जिस कारण अब किसान परेशान हैं.

मानसून की पहली बारिश के बाद ही आमतौर पर सोयाबीन की बुवाई 1 से 10 जुलाई के बीच होती है. किसान पहले से ही बीज जतन कर रखते हैं. बीते साल सोयाबीन की फसल काफी खराब हो गई थी. इसके चलते जो किसान अपना बीज घर पर ही तैयार करते हैं, उन्हें खासी समस्या का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वे फसल खराब होने के कारण बीज तैयार नहीं कर पाए. दूसरी तरफ बाजार में भी बीज की कमी है.

हाड़ौती के किसान परेशान

कोटा, बारां, बूंदी और झालावाड़ में सरकारी आंकड़े के अनुसार करीब 66 लाख 5 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई होनी है. हालांकि, यह बढ़कर करीब सात लाख हेक्टेयर पहुंच सकती है. इसकी एवज में अभी वर्तमान 2 लाख 40 हजार क्विंटल बीज ही उपलब्ध है. इनमें 1 लाख 70 हजार क्विंटल बीज कृषि विभाग ने किसानों से तैयार करवाया है. जबकि 75 हजार क्विंटल बाजार में उपलब्ध है. इस कारण किसानों को भी महंगा बीज मिल रहा है.

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बीज के लिए भी नहीं बची फसल

पिछले साल 6 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन का रकबा था. वहीं उत्पादन का लक्ष्य 11 लाख 41 हजार मीट्रिक टन था, लेकिन फसल खराब होने के कारण उत्पादन महज 35 फीसदी रह गया. जिसमें 42 लाख 5 हजार मीट्रिक टन ही उत्पादन हुआ. बता दें कि अधिकांश किसानों की फसल 70 से 90 फीसदी तक खराब हो गई.

seed shortage of soyabean in Kota, कोटा न्यूज
5 लाख 60 हजार क्विंटल बीज की आवश्यकता

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उनके पास बीज के लिए भी सोयाबीन नहीं बची है. इसके चलते ही हाड़ौती में अब सोयाबीन के बीज का संकट खड़ा हो गया है. जिन दूसरे राज्यों मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भी बीज उपलब्ध हो जाता था. वहां भी फसलें अतिवृष्टि के कारण खराब हो गई. ऐसे में वहां भी उन्नत बीज नहीं मिल पा रहा है.

संकट में मिल रहा महंगा बीज

बीते साल जहां पर किसानों को बाजार में 44 से 50 रुपए किलो सोयाबीन का बीज मिल रहा था. अब इस बार यह दाम बढ़कर 63 पर पहुंच गया है. ऐसे में बीजों के दाम महंगे हो गए हैं. वहीं जो किसान अपने पड़ोसी या दूसरे किसानों से भी बीज ले रहे हैं. उन्हें भी महंगी दर पर बीज मिल रहा है. किसानों का कहना है कि अगर फसल पैदा करनी है तो महंगा बीज ही लेना पड़ेगा. इसे मजबूरी में ही ले रहे हैं.

बीज के लिए सरकार ने टेंडर निकाले नहीं हुए सफल

कृषि विभाग के आंकड़ों की बात की जाए तो 27 फीसदी किसान बाजार का प्रमाणित बीज ही उपयोग करते हैं. जबकि 73 फीसदी किसान अपना स्वयं का बीज बुवाई में उपयोग लेते हैं. सरकारी स्तर पर दो बार बीज खरीदने के लिए टेंडर निकाले गए, लेकिन दोनों बार ही निविदा में किसी ने भी भाग नहीं लिया. इसके चलते सरकारी स्तर पर बीज अनुपलब्ध है.

seed shortage of soyabean in Kota, कोटा न्यूज
महंगे दामों पर बीज खरीदने को मजबूर

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सब्सिडी पर भी नहीं मिल रहा बीज

राज्य व केंद्र सरकार अपने सरकारी बीज उत्पादक कंपनियों के जरिए किसानों को बीज उपलब्ध करवाती है. इसमें उन्हें सब्सिडी भी दी जाती है, लेकिन इस बार सब्सिडी की घोषणा अभी तक नहीं की गई है. तिलम संघ, राजस्थान स्टेट और नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन के जरिए यह बीज किसानों को मिलता है. इस बार यहां सोयाबीन का बीज 84 रुपए किलो मिल रहा है. जबकि बीते साल 40 रुपए की सब्सिडी मिली थी. ऐसे में किसानों को करीब 44 रुपए किलो ही बीज मिला था.

बाजार में उपलब्ध महज 75 हजार क्विंटल

हाड़ौती की दुकानों की बात की जाए तो 40 हजार क्विंटल ही बीज दुकानों पर उपलब्ध है. यह बीज भी मध्य प्रदेश व महाराष्ट्र से हाड़ौती के जिलों में आया है. इसके अलावा सरकारी बीज उत्पादक कंपनियों के पास 35 हजार क्विंटल बीज है. जबकि बीते साल ही करीब 1 लाख 65 हजार क्विंटल बीज किसानों ने बाजार से खरीदा था. इसकी तुलना में इस बार महज 75000 क्विंटल बीजी बाजार में किसानों के लिए उपलब्ध है.

पड़ोसी किसान से उपलब्ध करवा रहे बीज

कोटा जोन के संयुक्त निदेशक रामावतार शर्मा का कहना है कि बाजार में बीज की अनुपलब्धता के बाद सरकार ने निर्देश दिए हैं कि विभाग पंचायत गोष्ठी करें. किसान जिनके पास में सोयाबीन है. उनसे उत्तम किस्म का बीज तैयार करवाए.

यह भी पढ़ें. ग्रामीणों की कोरोना से जंग: 4 संक्रमित मरीज मिलने के बाद तिलोरा ग्राम पंचायत के लोग अब ऐसे लड़ रहे लड़ाई

इसके लिए अनुदान पर बीज उपलब्ध करवाने के लिए ग्रेडिंग मशीन लगाकर उत्पादित किया जा रहा है. इसमें पड़ोसी किसानों से बीज दूसरे किसानों को दिलाया जा रहा है. जिससे उनको कुछ आय भी हो रही है.

35 हजार किसानों को गोष्ठी से जोड़ा

ज्वाइंट डायरेक्टर शर्मा के अनुसार अभी तक 35 हजार किसानों को उन्होंने जोड़ा है. इसके तहत अब तक 1 लाख 70 हजार क्विंटल बीज गोष्ठी के जरिए तैयार करवा चुके हैं. जो कि 40 से 50 रुपए किलो किसानों को दिया जा रहा है. उन्होंने दावा किया है कि किसानों को बुवाई के पहले पूरा बीच उपलब्ध कराया जाएगा, क्योंकि हाड़ौती में 3 लाख किसान हैं. ऐसे में सभी किसानों तक पहुंच बीज के लिए गोष्ठी करेंगे.

किसानों का कहना है कि सरकार से सब्सिडी भी नहीं मिली. दूसरी तरफ महंगा बीज खरीदना पड़ रहा है. ये सरकार की पूरी तरह से नाकामी है. सरकार ने किसानों की समस्याओं की तरफ ध्यान नहीं दिया है.

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