कोटा. गुरुवार को कोटा के निजी कोचिंग संस्थान से मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम नीट यूजी की तैयारी कर रही यूपी निवासी छात्रा की आत्महत्या का मामला सामने आया था. तीन दिन के भीतर दो स्टू़डेंट्स की आत्महत्याओं के बाद जिला प्रशासन भी सख्त कार्रवाई के मूड में आ गया है. इसी के चलते आनन-फानन में जिला कलेक्टर ने हॉस्टल और कोचिंग संचालकों के साथ बैठक की. उन्होंने साफ दिशा निर्देश जारी किए हैं कि जिला प्रशासन की जारी की गई गाइडलाइन की अवहेलना करने पर सख्ती से कार्रवाई की जाएगी.
जिला कलेक्टर महावीर प्रसाद मीणा का कहना है कि नोडल ऑफिसर लगातार हॉस्टल और कोचिंग संस्थानों में विजिट कर रिपोर्ट बनाएं और संबंधित कमियों को दूर करें. कुछ हॉस्टल्स में एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगी हुई है. साथ ही अन्य कमियां भी, जिसको लेकर हॉस्टल और कोचिंग संस्थानों के नोडल ऑफिसर और पुलिस अधिकारी मिलकर सघन निरीक्षण करेंगे. उन पर एक्शन लिया जाएगा. इधर, हॉस्टल संचालकों ने कहा है कि बड़ी संख्या में पीजी हैं, लेकिन उन पर किसी तरह की कोई मॉनिटरिंग नहीं है. इस पर कलेक्टर ने कहा कि उन पीजी के बारे में भी हम सर्वे करवा रहे हैं और वहां की सुविधाओं की भी जांच की जाएगी.
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3 महीने से छात्रा नहीं जा रही थी कोचिंग : कलेक्टर महावीर प्रसाद मीणा का कहना है कि यूपी निवासी कोचिंग छात्रा निशा की आत्महत्या के मामले में फैक्ट सामने आए हैं. इसमें पता चला है कि वह बीते तीन महीनों से कोचिंग संस्थान से नदारद थी. वह अपने गांव भी गई थी. इसके बाद अचानक से उसके पिता औसान सिंह उसे लेकर कोटा पहुंचे थे. वह कुछ दिन यहां उसके साथ रहे और उसके हॉस्टल को बदलते हुए उन्होंने महावीर नगर प्रथम के एक हॉस्टल में उसका दाखिला करवाया था. वह 21 नवम्बर के बाद से ही कोचिंग जाने लगी थी. इस संबंध में कोचिंग को भी नोटिस जारी किया गया है कि 3 महीने नदारद रहने के बाद अचानक से छात्रा को एडमिशन कैसे दिया गया. साथ ही छात्रा के अनुपस्थित होने की जानकारी भी जिला प्रशासन को नहीं दी गई है.