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श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केन्द्र है डाढ़ देवी माता का मंदिर

कोटा के डाढ़ माता मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे हैं. शहर से 18 किलोमीटर दूर स्थित इस पवित्र स्थान पर मत्था टेकने से भक्तों की मनोंकामनाएं पूरी हो जाती है.

devotee of Maan Dad Devi
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Published : Apr 7, 2019, 6:33 AM IST

कोटा. चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. देश के सभी शक्ति पीठों और देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ है. आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसे ही मां के सच्चे दरबार का दर्शन कराएगा जिसके अनेक चमत्कार हैं. जहां मां के दर पर मत्था टेकने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध डाढ़ देवी माता के मंदिर में दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. ये मंदिर आठवीं से नवीं शताब्दी में बना है. तब माताजी का नाम रक्तदंतिका था. बताया जाता है कि माताजी की एक डाढ़ बाहर की तरफ से निकली हुई थी. ऐसे में लोगों ने इनका नाम डाढ़ देवी रख दिया.

देकें वीडियो.

तंवर राजपूत वंश ने स्थापित किया था मंदिर
जानकारी के अनुसार तंवर राजपूत वंश के समय इस मंदिर में माताजी की प्रतिमा को विराजित किया गया था. इसलिए यह तंवर राजपूत वंश की कुलदेवी भी कही जाती है. इसके बाद जब बूंदी के महाराजा ने कोटा को बसाया, तब तंवर राजपूत वंश के लोगों ने इस मंदिर को कोटा दरबार को सौंप दिया. जब राजस्थान का एकीकरण हुआ तो ये मंदिर राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन हो गया और अभी इसका जिम्मा देवस्थान विभाग ही संभाले हुए है.

कुण्ड के पानी से फसलों में कीड़ों से मिलती है मुक्ति
मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यहां मौजूद कुंड के पानी का नीम की पत्तियों से अपनी फसल पर छिड़काव करने पर फसल कीड़ों से मुक्त हो जाती है. वहीं मंदिर के पुजारी का कहना है कि जिन महिलाओं को मातृत्व सुख नहीं मिलता है. वो माता को चुनरी और नारियल चढ़ाती है. इससे माता उन्हें आशीर्वाद देती है और उनकी मन्नत पूरी होती है.

हर साल आते हैं लाखों श्रद्धालु
मंदिर में हर साल नवरात्र के समय मेला लगता है. मंदिर की मान्यताओं के चलते हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों का कहना है कि जो भी मन्नत माता रानी से मांगी जाती है. वो पूरा कर देती है.

कोटा. चैत्र नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है. देश के सभी शक्ति पीठों और देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ है. आज ईटीवी भारत आपको एक ऐसे ही मां के सच्चे दरबार का दर्शन कराएगा जिसके अनेक चमत्कार हैं. जहां मां के दर पर मत्था टेकने वाले हर भक्त की मनोकामना पूरी हो जाती है. पढ़िए पूरी रिपोर्ट...

शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित प्रसिद्ध डाढ़ देवी माता के मंदिर में दर्शन करने दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. ये मंदिर आठवीं से नवीं शताब्दी में बना है. तब माताजी का नाम रक्तदंतिका था. बताया जाता है कि माताजी की एक डाढ़ बाहर की तरफ से निकली हुई थी. ऐसे में लोगों ने इनका नाम डाढ़ देवी रख दिया.

देकें वीडियो.

तंवर राजपूत वंश ने स्थापित किया था मंदिर
जानकारी के अनुसार तंवर राजपूत वंश के समय इस मंदिर में माताजी की प्रतिमा को विराजित किया गया था. इसलिए यह तंवर राजपूत वंश की कुलदेवी भी कही जाती है. इसके बाद जब बूंदी के महाराजा ने कोटा को बसाया, तब तंवर राजपूत वंश के लोगों ने इस मंदिर को कोटा दरबार को सौंप दिया. जब राजस्थान का एकीकरण हुआ तो ये मंदिर राजस्थान सरकार के देवस्थान विभाग के अधीन हो गया और अभी इसका जिम्मा देवस्थान विभाग ही संभाले हुए है.

कुण्ड के पानी से फसलों में कीड़ों से मिलती है मुक्ति
मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यहां मौजूद कुंड के पानी का नीम की पत्तियों से अपनी फसल पर छिड़काव करने पर फसल कीड़ों से मुक्त हो जाती है. वहीं मंदिर के पुजारी का कहना है कि जिन महिलाओं को मातृत्व सुख नहीं मिलता है. वो माता को चुनरी और नारियल चढ़ाती है. इससे माता उन्हें आशीर्वाद देती है और उनकी मन्नत पूरी होती है.

हर साल आते हैं लाखों श्रद्धालु
मंदिर में हर साल नवरात्र के समय मेला लगता है. मंदिर की मान्यताओं के चलते हर साल लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लोगों का कहना है कि जो भी मन्नत माता रानी से मांगी जाती है. वो पूरा कर देती है.

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devotees of dhad devi worshipped in temple at kota




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