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केंद्र की नई गाइडलाइन से कोटा कोचिंग संस्थानों को लग सकता है झटका, 16 से कम उम्र के यहां 30 फीसदी स्टूडेंट

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 19, 2024, 9:50 AM IST

Updated : Jan 19, 2024, 11:18 AM IST

न्यू एजुकेशन पॉलिसी 2000 के तहत गाइडलाइन फॉर रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन कोचिंग सेंटर 2024 जारी की गई है, जिसके तहत 16 की उम्र से कम के स्टूडेंट्स को कोचिंग में प्रवेश नहीं देने और कक्षा दसवीं के बाद ही विद्यार्थियों को संस्थानों में प्रवेश के लिए निर्देशित किया है. इससे कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को झटका लग सकता है. जानिए कैसे...

Central Government New guideline
केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन

कोटा. केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2000 के तहत गाइडलाइन फॉर रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन कोचिंग सेंटर-2024 जारी की है, जिसके तहत 16 साल की उम्र से कम आयु के विद्यार्थियों को कोचिंग में प्रवेश नहीं देने और कक्षा दसवीं के बाद ही विद्यार्थियों को संस्थानों में प्रवेश देने के लिए निर्देशित किया है. हालांकि इसके बाद कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को झटका लग सकता है, क्योंकि कोटा में कक्षा 6 से 10 तक के ही कई विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं. मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करने के लिए कक्षा 9 से ही स्टूडेंट यहां पर पढ़ने आते हैं, जिनकी उम्र 16 साल से भी कम होती है. ऐसे में ऐसे बच्चों की संख्या करीब 30 फीसदी के आसपास होती है. यह कोटा के 10 बड़े कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले करीब एक लाख स्टूडेंट हैं.

केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के तहत इन सबको झटका लग सकता है. सरकार ने नई गाइडलाइन में दसवीं पास करने वाले बच्चों को ही कोचिंग संस्थानों में प्रवेश की अनुमति दी है, जबकि ये स्टूडेंट कक्षा 9 और 10 में भी कोटा से ही पढ़ते हैं. यहां के स्कूलों में इनका एडमिशन होता है, वहीं पूरी पढ़ाई कोचिंग के जरिए ही करवाई जाती है. कोटा की कोचिंग संस्थानों ने नई गाइडलाइन को बारीकी से अध्ययन करना शुरू कर दिया है. दूसरी तरफ गाइडलाइन आने के बाद हॉस्टल संचालकों में भी एक डर खड़ा हो गया है, क्योंकि उनके यहां भी 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट रहते हैं. ये सभी स्टूडेंट कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं.

बीते साल सितंबर माह में राज्य सरकार की जारी की गई गाइडलाइन के जैसी ही ये नई गाइडलाइन है. उस गाइडलाइन में 5 दिन पढ़ाई, त्योहार पर छुट्टी, कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं, सिलेक्शन के दावे पर रोक, इन हाउस टेस्ट का परिणाम सार्वजनिक नहीं करना, गेटकीपर ट्रेनिंग, हर 3 महीने में पेरेंट्स टीचर मीटिंग, सीसीटीवी सर्विलेंस, स्टूडेंट की अटेंडेंस पर पूरी नजर, स्क्रीनिंग टेस्ट से एडमिशन व फीस रिफंड सहित कई नियम थे. केंद्र सरकार की इस गाइडलाइन में भी इनमें से कई नियम शामिल किए गए हैं. हालांकि इस गाइडलाइन की भी पूरी पालना कुछ कोचिंग संस्थान फिलहाल नहीं कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Kota Businessmen Worried : कोटा कोचिंग के लखनऊ और पटना में खुले सेंटर, बढ़ी शहर के व्यापारियों की टेंशन

क्या बंद होंगे PNCF कोर्स ? : कोचिंग संस्थानों में कक्षा 6 से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्री नर्चर कॅरियर फाउंडेशन कोर्स (PNCF) में शामिल किया जाता है. ये कोर्स कोटा के लगभग सभी बड़े कोचिंग संस्थान संचालित करते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में स्टूडेंट पढ़ भी रहे हैं. ये स्टूडेंट या तो अपने माता-पिता के साथ ही कोटा में रहते हैं, या फिर हॉस्टल या पीजी में रेंट से रूम लेकर भी रह रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के तहत इन विद्यार्थियों को पढ़ाना भी अब कोचिंग संस्थानों के लिए चुनौती भरा हो सकता है.

एक्सपर्ट ने उठाए सवाल : कोटा कोचिंग के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि कक्षा 9 से पढ़ने वाले विद्यार्थी पहले ही तय कर चुके होते हैं कि उन्हें मेडिकल या इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करनी है. ऐसे में मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थियों का बेस कोचिंग संस्थानों में तैयार किया जाता है, ताकि मेडिकल और एंट्रेंस परीक्षा जब भी देने जाएं, तब लाखों परीक्षार्थियों में वे अलग हो और उनका चयन भी हो जाए. इस पढ़ाई से एनसीईआरटी के कोर्स के तहत सब कुछ क्लियर हो जाता है और उनका फाउंडेशन भी मजबूत हो जाता है, लेकिन सरकार ने जब पॉलिसी बदल दी है, तब समस्या आ सकती है. स्टूडेंट भी पढ़ाई में पिछड़ सकते हैं.

कमजोर स्कूली शिक्षा वाले स्टूडेंट्स के लिए वरदान : देव शर्मा का यह भी तर्क है कि जहां पर स्कूली शिक्षा मजबूत नहीं है, ऐसे विद्यार्थी कोचिंग में प्रवेश लेकर अपना बेस मजबूत करते हैं, ताकि वो बड़े एक्जाम में फाइट करने के लिए तैयार हो जाए और उनके अच्छे नंबर भी इसमें आए. भारत में मेडिकल की एक सीट के लिए जहां पर 38 स्टूडेंट कंपटीशन करते हैं, इसी तरह से इंजीनियरिंग की सीट के लिए भी यह संख्या 25 के आसपास है. वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सीट के लिए जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन को पास करने के बाद जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड को क्लियर करना होता है. यह एडवांस्ड टेस्ट विश्व की सबसे कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल है.

कोटा. केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने न्यू एजुकेशन पॉलिसी-2000 के तहत गाइडलाइन फॉर रजिस्ट्रेशन रेगुलेशन कोचिंग सेंटर-2024 जारी की है, जिसके तहत 16 साल की उम्र से कम आयु के विद्यार्थियों को कोचिंग में प्रवेश नहीं देने और कक्षा दसवीं के बाद ही विद्यार्थियों को संस्थानों में प्रवेश देने के लिए निर्देशित किया है. हालांकि इसके बाद कोटा की कोचिंग इंडस्ट्री को झटका लग सकता है, क्योंकि कोटा में कक्षा 6 से 10 तक के ही कई विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं. मेडिकल और इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करने के लिए कक्षा 9 से ही स्टूडेंट यहां पर पढ़ने आते हैं, जिनकी उम्र 16 साल से भी कम होती है. ऐसे में ऐसे बच्चों की संख्या करीब 30 फीसदी के आसपास होती है. यह कोटा के 10 बड़े कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले करीब एक लाख स्टूडेंट हैं.

केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के तहत इन सबको झटका लग सकता है. सरकार ने नई गाइडलाइन में दसवीं पास करने वाले बच्चों को ही कोचिंग संस्थानों में प्रवेश की अनुमति दी है, जबकि ये स्टूडेंट कक्षा 9 और 10 में भी कोटा से ही पढ़ते हैं. यहां के स्कूलों में इनका एडमिशन होता है, वहीं पूरी पढ़ाई कोचिंग के जरिए ही करवाई जाती है. कोटा की कोचिंग संस्थानों ने नई गाइडलाइन को बारीकी से अध्ययन करना शुरू कर दिया है. दूसरी तरफ गाइडलाइन आने के बाद हॉस्टल संचालकों में भी एक डर खड़ा हो गया है, क्योंकि उनके यहां भी 16 साल से कम उम्र के स्टूडेंट रहते हैं. ये सभी स्टूडेंट कोचिंग संस्थानों में पढ़ाई करते हैं.

बीते साल सितंबर माह में राज्य सरकार की जारी की गई गाइडलाइन के जैसी ही ये नई गाइडलाइन है. उस गाइडलाइन में 5 दिन पढ़ाई, त्योहार पर छुट्टी, कम उम्र के बच्चों को प्रवेश नहीं, सिलेक्शन के दावे पर रोक, इन हाउस टेस्ट का परिणाम सार्वजनिक नहीं करना, गेटकीपर ट्रेनिंग, हर 3 महीने में पेरेंट्स टीचर मीटिंग, सीसीटीवी सर्विलेंस, स्टूडेंट की अटेंडेंस पर पूरी नजर, स्क्रीनिंग टेस्ट से एडमिशन व फीस रिफंड सहित कई नियम थे. केंद्र सरकार की इस गाइडलाइन में भी इनमें से कई नियम शामिल किए गए हैं. हालांकि इस गाइडलाइन की भी पूरी पालना कुछ कोचिंग संस्थान फिलहाल नहीं कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें- Kota Businessmen Worried : कोटा कोचिंग के लखनऊ और पटना में खुले सेंटर, बढ़ी शहर के व्यापारियों की टेंशन

क्या बंद होंगे PNCF कोर्स ? : कोचिंग संस्थानों में कक्षा 6 से पढ़ने वाले विद्यार्थियों को प्री नर्चर कॅरियर फाउंडेशन कोर्स (PNCF) में शामिल किया जाता है. ये कोर्स कोटा के लगभग सभी बड़े कोचिंग संस्थान संचालित करते हैं, जिनमें हजारों की संख्या में स्टूडेंट पढ़ भी रहे हैं. ये स्टूडेंट या तो अपने माता-पिता के साथ ही कोटा में रहते हैं, या फिर हॉस्टल या पीजी में रेंट से रूम लेकर भी रह रहे हैं. ऐसे में केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के तहत इन विद्यार्थियों को पढ़ाना भी अब कोचिंग संस्थानों के लिए चुनौती भरा हो सकता है.

एक्सपर्ट ने उठाए सवाल : कोटा कोचिंग के एक्सपर्ट देव शर्मा का कहना है कि कक्षा 9 से पढ़ने वाले विद्यार्थी पहले ही तय कर चुके होते हैं कि उन्हें मेडिकल या इंजीनियरिंग एंट्रेंस की तैयारी करनी है. ऐसे में मेडिकल और इंजीनियरिंग संस्थानों में प्रवेश के इच्छुक विद्यार्थियों का बेस कोचिंग संस्थानों में तैयार किया जाता है, ताकि मेडिकल और एंट्रेंस परीक्षा जब भी देने जाएं, तब लाखों परीक्षार्थियों में वे अलग हो और उनका चयन भी हो जाए. इस पढ़ाई से एनसीईआरटी के कोर्स के तहत सब कुछ क्लियर हो जाता है और उनका फाउंडेशन भी मजबूत हो जाता है, लेकिन सरकार ने जब पॉलिसी बदल दी है, तब समस्या आ सकती है. स्टूडेंट भी पढ़ाई में पिछड़ सकते हैं.

कमजोर स्कूली शिक्षा वाले स्टूडेंट्स के लिए वरदान : देव शर्मा का यह भी तर्क है कि जहां पर स्कूली शिक्षा मजबूत नहीं है, ऐसे विद्यार्थी कोचिंग में प्रवेश लेकर अपना बेस मजबूत करते हैं, ताकि वो बड़े एक्जाम में फाइट करने के लिए तैयार हो जाए और उनके अच्छे नंबर भी इसमें आए. भारत में मेडिकल की एक सीट के लिए जहां पर 38 स्टूडेंट कंपटीशन करते हैं, इसी तरह से इंजीनियरिंग की सीट के लिए भी यह संख्या 25 के आसपास है. वहीं, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी की सीट के लिए जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम मेन को पास करने के बाद जॉइंट एंट्रेंस एग्जाम एडवांस्ड को क्लियर करना होता है. यह एडवांस्ड टेस्ट विश्व की सबसे कठिन इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा में शामिल है.

Last Updated : Jan 19, 2024, 11:18 AM IST
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