कोटा. जिले के उम्मेदगंज इलाके में चंबल नदी की दाईं मुख्य नहर में कार गिरने का मामला सामने आया है, जिसमें सवार एक युवक तो कार के डूबने के तुरंत बाद बाहर आ गया था, जबकि दूसरे की तलाश की जा रही है. उसका पता नहीं लग पा रहा है. वहीं, देर रात को 5 घंटे तक चले रेस्क्यू में कोटा नगर निगम उत्तर की टीम और एसडीआरएफ ने कार को बाहर निकाल लिया, लेकिन युवक के संबंध में पड़ताल नहीं हुई है. यह हादसा कोटा शहर की सीमा के नजदीक ग्रामीण पुलिस के कैथून थाना इलाके में हुआ है. कार सवार कोटा जिले के देवली मांझी थाना इलाके के निवासी है और वह कोटा से अपने गांव जा रहे थे.
कैथून थानाधिकारी रामनारायण भांवरिया का कहना है कि हादसा रात में करीब 8 से 9 के बीच में हुआ है. इस संबंध में पहले कोटा शहर पुलिस के कंट्रोल रूम को सूचना मिली थी, जिसके बाद नगर निगम उत्तर की गोताखोर टीम मौके पर पहुंच गई और उन्होंने रेस्क्यू शुरू करवा दिया था. इसके बाद एसडीआरएफ की टीम को भी बुलाया गया और उन्होंने भी रेस्क्यू किया था. कोटा से उम्मेदगंज होते हुए कैथून जाने वाले रास्ते पर यह हादसा हुआ है, जिसमें नहर के नजदीक चल रही कार अनियंत्रित होकर नहर में जा गिरी. इसमें दो चचेरे भाई अनिल मीणा और मनोज मीणा सवार थे.
हादसे के समय कार अनिल चला रहा था. अनिल कार के डूबते ही तुरंत बाहर आ गया था, जबकि मनोज अंदर रह गया. देर रात 1:15 बजे कर को बाहर निकाल लिया, लेकिन मनोज की तलाश नहीं हो पाई, जिसकी तलाश आज फिर नहर में की जाएगी और रेस्क्यू लगातार जारी रहेगा.
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कार से मनोज भी निकल गया था बाहर : नगर निगम कोटा उत्तर के गोताखोर चंगेज खान ने बताया कि कार ड्राइव कर रहे अनिल ने मनोज को बचाने के लिए काफी कोशिश की थी. हालांकि अंधेरे होने और कार के नहर के बीचो-बीच चले जाने से कोशिश सफल नहीं हो सकी. कार पूरी डूब गई थी और करीब 12 फीट नीचे चली गई थी. इसके चलते कार में भी पानी भर गया था और बाद में जब रेस्क्यू टीम पहुंची, तब बड़ी मुश्किल से कार की तलाश हो पाई, लेकिन उसमें कार सवार मनोज मीणा नहीं था. कार के आगे, पीछे व और साइड के कांच भी टूटे हुए थे. नहर में पानी का बहाव भी ज्यादा है. ऐसे में संभवत मनोज कार से जैसे ही बाहर निकला, पानी के बहाव में आगे चला गया होगा.
जान जोखिम में डाल किया रेस्क्यू : चंगेज खान का कहना है कि रात में 1:15 बजे उन्होंने कार निकाली. उनको बुखार आ रही थी. इसके बावजूद उन्होंने स्कूबा ड्राइविंग की. रात में रिस्की काम था लेकिन मनोज मीणा के परिजन अड़े हुए थे. पहले डूबी हुई कार को स्कूबा ड्राइविंग के जरिए नीचे जाकर बांधा. फिर उसे स्थानीय लोगों और जेसीबी की मदद से खिंचवाया गया. एक पत्थर किनारे पर मौजूद था. इसके चलते रस्सी भी टूट गई और कार आगे नहीं आ रही थी. बाद में दोबारा जाकर टायर के पास से रस्सी को बांध और फिर कार को बाहर निकलवाया गया.