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स्पेशल स्टोरी: कोटा में 'बाढ़' बहा ले गई सैकड़ों आशियाने

चंबल नदी के दोनों छोर पर बसी किनारे की बस्तियां पूरी तरह से उजाड़ हो गई हैं. हालात यह है कि अब जब पानी उतरा है तो बस्तियों में जिनके मकान थे. वे सब बह गए हैं उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.

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Published : Sep 19, 2019, 2:40 PM IST

कोटा. मध्य प्रदेश में हुई तेज बारिश के चलते चंबल नदी में लगातार पानी की भारी मात्रा में आवक हुई. जिसके चलते कोटा बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया. यह पानी आज तक चंबल नदी में कोटा बैराज से छोड़ा गया पानी में सबसे ज्यादा था. ऐसे में चंबल नदी के दोनों छोर पर बसी किनारे की बस्तियां पूरी तरह से उजाड़ हो गई हैं. हालात यह है कि अब जब पानी उतरा है तो बस्तियों में जिनके मकान थे. वह सब बह गए हैं, उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.

चंबल नदी का जल स्तर हुआ कम

हालात ऐसे हैं कि चंबल नदी में जहां पर किनारे पर सैकड़ों मकान नजर आते थे. आज वह जगह बिल्कुल सपाट नजर आ रही है. केवल मलबा ही वहां पर पड़ा हुआ है. जो टूटे हुए मकानों का है. लोगों का कहना है कि जैसे जलस्तर बढ़ा. वे अपने घरों से सामान भी नहीं निकाल पाए. कुछ लोग तो ऐसे थे. जिन्होंने छत के सहारे दूसरे की छतों पर जाकर बाहर निकलकर अपनी जान बचाई है. अब जब पानी उतर गया है, तब वह वापस घर लौट रहे हैं तो उनका घर कहीं नजर नहीं आ रहा है. केवल कुछ मलबा ही उन्हें मिल रहा है. सैकड़ों ऐसे घर है जो चंबल नदी के बहाव के साथ ही बह गए.

पढे़ं- स्पेशल स्टोरीः सांसद 'दीया कुमारी' के 100 दिन का लेखा-जोखा

पानी के बहाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चंबल की रियासत कालीन पुलिया की कई स्लैब जो करीब 2 फीट मोटी और 40 फीट लंबी थी. पानी की लहरें उन्हें दूर तक ले गई है. पूरी रियासत कालीन पुलिया उखड़ कर तबाह हो गई है. अब तो यहां से निकलने का रास्ता भी बंद हो गया है. यहां मौजूद लोगों का कहना है कि उनका सब कुछ खाने-पीने के सामान सहित सब बाढ़ में बह गया है.

कोटा. मध्य प्रदेश में हुई तेज बारिश के चलते चंबल नदी में लगातार पानी की भारी मात्रा में आवक हुई. जिसके चलते कोटा बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया. यह पानी आज तक चंबल नदी में कोटा बैराज से छोड़ा गया पानी में सबसे ज्यादा था. ऐसे में चंबल नदी के दोनों छोर पर बसी किनारे की बस्तियां पूरी तरह से उजाड़ हो गई हैं. हालात यह है कि अब जब पानी उतरा है तो बस्तियों में जिनके मकान थे. वह सब बह गए हैं, उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.

चंबल नदी का जल स्तर हुआ कम

हालात ऐसे हैं कि चंबल नदी में जहां पर किनारे पर सैकड़ों मकान नजर आते थे. आज वह जगह बिल्कुल सपाट नजर आ रही है. केवल मलबा ही वहां पर पड़ा हुआ है. जो टूटे हुए मकानों का है. लोगों का कहना है कि जैसे जलस्तर बढ़ा. वे अपने घरों से सामान भी नहीं निकाल पाए. कुछ लोग तो ऐसे थे. जिन्होंने छत के सहारे दूसरे की छतों पर जाकर बाहर निकलकर अपनी जान बचाई है. अब जब पानी उतर गया है, तब वह वापस घर लौट रहे हैं तो उनका घर कहीं नजर नहीं आ रहा है. केवल कुछ मलबा ही उन्हें मिल रहा है. सैकड़ों ऐसे घर है जो चंबल नदी के बहाव के साथ ही बह गए.

पढे़ं- स्पेशल स्टोरीः सांसद 'दीया कुमारी' के 100 दिन का लेखा-जोखा

पानी के बहाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चंबल की रियासत कालीन पुलिया की कई स्लैब जो करीब 2 फीट मोटी और 40 फीट लंबी थी. पानी की लहरें उन्हें दूर तक ले गई है. पूरी रियासत कालीन पुलिया उखड़ कर तबाह हो गई है. अब तो यहां से निकलने का रास्ता भी बंद हो गया है. यहां मौजूद लोगों का कहना है कि उनका सब कुछ खाने-पीने के सामान सहित सब बाढ़ में बह गया है.

Intro:चंबल नदी के दोनों छोर पर बसी किनारे की बस्तियां पूरी तरह से उजाड़ हो गई है. हालात यह है कि अब जब पानी उतरा है, तो बस्तियों में जिनके मकान थे. वह सब बह गए हैं उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.
हालात ऐसे हैं कि चंबल नदी में जहां पर किनारे पर सैकड़ों मकान नजर आते थे आज वह जगह बिल्कुल सपाट नजर आ रही है. केवल मलबा ही वहां पर पड़ा हुआ है. जो टूटे हुए मकानों का है.



Body:कोटा.
मध्य प्रदेश में हुई तेज बारिश के चलते चंबल नदी में लगातार पानी की भारी मात्रा में आवक हुई. जिसके चलते कोटा बैराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा गया. यह पानी आज तक चंबल नदी में कोटा बैराज से छोड़ा गया पानी में सबसे ज्यादा था. ऐसे में चंबल नदी के दोनों छोर पर बसी किनारे की बस्तियां पूरी तरह से उजाड़ हो गई है. हालात यह है कि अब जब पानी उतरा है, तो बस्तियों में जिनके मकान थे. वह सब बह गए हैं उनके हाथ कुछ नहीं लगा है.
हालात ऐसे हैं कि चंबल नदी में जहां पर किनारे पर सैकड़ों मकान नजर आते थे आज वह जगह बिल्कुल सपाट नजर आ रही है. केवल मलबा ही वहां पर पड़ा हुआ है. जो टूटे हुए मकानों का है.

लोगों का कहना है कि जैसे जलस्तर बढ़ा वे अपने घरों से सामान भी नहीं निकाल पाए. कुछ लोग तो ऐसे थे. जिन्होंने छत के सहारे दूसरे की छतों पर जाकर बाहर निकले हैं और अपनी जान बचाई है. अब जब पानी उतर गया है, तब वह वापस घर लौट रहे हैं तो उनका घर कहीं नजर नहीं आ रहा है. केवल कुछ मलबा ही उन्हें मिल रहा है. सैकड़ों ऐसे घर है जो चंबल नदी के बहाव के साथ ही बह गए.



Conclusion:पानी के बहाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि चंबल की रियासत कालीन पुलिया की कई स्लैब जो करीब 2 फीट मोटी और 40 फीट लंबी थी, उन्हें थी पानी की लहरें दूर तक ले गई है. पूरी की पूरी रियासत कालीन पुलिया उखड़ कर तबाह हो गई है. अब तो यहां से निकलने का रास्ता भी बंद हो गया है. यहां मौजूद लोगों का कहना है कि उनका सब कुछ खाने पीने के सामान सहित सब बाढ़ में बह गया है.

-- वॉक थ्रू चम्बल की रियासत कालीन पुलिया से
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