कोटा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण भारतमाला परियोजना के तहत हो रहा है. एक्सप्रेस-वे के एक हिस्से पर गुड़गांव से लेकर दौसा तक आवागमन शुरू कर दिया है, साथ ही यह अलग-अलग टुकड़ों में इसका निर्माण जारी है. कई पैकेज पूरी तरह से कंप्लीट स्टेज पर हैं, आने वाले 3 से 4 माह में यह निर्माण हो जाएगा. इन सबके विपरीत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के नीचे बन रही 4.9 किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण मोदी सरकार के वर्तमान कार्यकाल में पूरा होना मुश्किल है. वर्तमान में करीब 8 से 9 महीने देरी से निर्माण चल रहा है.
कुछ महीने गुजरना होगा पुराने रास्ते से - एक्सप्रेस-वे के निर्माण में देरी की वजह से कोटा जिले में मंडाना तक वाहन आ जाएंगे. इसके बाद इन वाहनों को दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे से नीचे उतरकर मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पुराने रास्ते से होकर भी गुजरना होगा. जिसमें दरा की नाल से वाहन गुजरेंगे, फिर वापस वे टनल के बाद वाले हिस्से में चेचट के नजदीक से एक्सप्रेस-वे पर चढ़ जाएंगे. ये सिलसिला करीब 7 से 8 महीने तक जारी रह सकता है.
दिसंबर 2023 तक हो जाएगा इन चार पैकेज का कामः नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट डायरेक्टर सवाई माधोपुर मनोज शर्मा के पास में 11 से लेकर पैकेज 14 तक का काम है. उनका कहना है कि पैकेज 11 का काम लगभग 95 फीसदी पूरा हो गया है. वहीं, पैकेज 12 में भी काफी ज्यादा काम हो गया है. इसमें चंबल के दो पुल हैं, जिनका 60 फीसदी काम हो गया है. पैकेज 13 में कोटा जिले में चंबल नदी से सुल्तानपुर और दीगोद का एरिया है, इसका करीब 70 फीसदी काम पूरा हो गया है, जबकि पैकेज 14 में कोटा जिले का कराडिया से मंडाना तक का एरिया है. इसका 60 फीसदी काम हुआ है. सभी को डेडलाइन दिसंबर 2023 दी हुई है. चंबल की पुलिया का काम बारिश की वजह से फरवरी 2024 तक पूरा हो सकता है, जबकि अन्य सभी काम दिसंबर तक पूरे हो जाएंगे.
दिसंबर में पूरा हो जाएगा निर्माणः एमएचटीआर टनल के बाद में कोटा जिले के चेचट से लेकर मध्य प्रदेश बॉर्डर तक पैकेज 16 के तहत निर्माण हो रहा है. इस पैकेज का निर्माण कर रही कंपनी के जनरल मैनेजर राजेश रॉय का कहना है कि उनका काम वर्तमान में 80 फीसदी हो गया है और उनकी डेड लाइन ने 31 दिसंबर 2023 है. सभी मेजर स्ट्रक्चर लगभग बन चुके हैं, जिनमें रेस्ट एरिया और ब्रिज शामिल है. बारिश की वजह से थोड़ा सा काम बाधित होगा, अन्यथा अगले एक-दो महीने में ही पूरे हो जाते.
स्पीकर बिरला और गडकरी कर रहे हैं मॉनिटरिंगः लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने 27 अप्रैल को कोटा में केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एक्सप्रेस-वे निर्माण के अधिकारियों की बैठक ली थी. इसमें कोटा और बूंदी जिले के निर्माण को दिसंबर 2023 में निर्माण पूरा करने का टारगेट दिया था. साथ ही कहा था कि नए साल में कोटा से दिल्ली और चेचट से गोधरा तक का मार्ग भी जल्द पूरा हो जाएगा. केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी इसकी पूरी मॉनिटरिंग करें रहे हैं. इसीलिए कंपनी और अधिकारी समय से निर्माण पूरा करने में जुटे हुए हैं.
चेचट की तरफ से मिट्टी की चट्टाने आने से खतराः चेचट की तरफ से भी टनल की दोनों ट्यूब की खुदाई करीब 200 मीटर के आसपास की गई है. इस तरफ काफी धीमी गति से काम चल रहा है. निर्माण में जुटी कंपनी के इंजीनियर और टनल एक्सपर्ट दुर्गा कुमार का कहना है कि चेचट की तरफ से टनल की खुदाई में मिट्टी की चट्टानें आ रही हैं. इसके चलते धीमी गति से काम चल रहा है. विस्फोट के साथ मिट्टी के गिरने का खतरा ज्यादा होता है. इसीलिए कम विस्फोटक और मशीनों के जरिए इस मिट्टी को खोदा जा रहा है. निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि चट्टान की क्वालिटी अच्छी होने पर ज्यादा विस्फोट कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हो पा रहा है. कई जगह पर पानी का सीपेज भी आ रहा है. इसके चलते काम को धीमी गति से और सावधानी से करना पड़ रहा है.
आधी ही हुई है खुदाई, बाकी में लगेगा समयः सुरंग 4.9 किलोमीटर लंबी है, जिसमें दो अलग-अलग ट्यूब बनाई जा रही है. इस सुरंग को मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के पहाड़ी इलाके में करीब 3.3 किलोमीटर खोदना है. शेष 1.6 किमी जगह पर सीमेंट कंक्रीट की सुरंग बनाई जाएगी. जिस 3.3 किलोमीटर की खुदाई होनी है, उसमें कोटा की तरफ से दोनों ट्यूब में 1.4 किलोमीटर खुदाई हो चुकी है, जबकि चेचट की तरफ से महज 200 मीटर की खुदाई ही इन दोनों ट्यूब में हुई है. जितनी खुदाई अभी हुई है, इतनी ही खुदाई और होनी शेष है.
अनुमति नहीं मिलने के चलते बंद हुआ था कामः एनएचएआई की कंसल्टेंसी कंपनी के टनल एक्सपर्ट एलपी साहू का कहना है कि 5 जुलाई 2021 को एक काम अलॉट हुआ था. हालांकि, निर्माण कुछ दिन ही चल पाया. इसमें अगस्त 2021 में अप्रूवल नहीं मिलने के चलते काम बंद हो गया. फॉरेस्ट की वजह से 7 से 8 महीने काम बंद रहा. इसके बाद मार्च 2022 में अप्रूवल मिली और काम दोबारा शुरू हुआ है. इस निर्माण को जनवरी 2024 में पूरा करना था.
15 महीने में हुई है 1.6 किमी की खुदाईः टनल का निर्माण दिलीप बिल्डकॉन कर रही है और 15 महीने में अभी 1.6 किमी की खुदाई हुई है. ऐसे में शेष 1.7 किलोमीटर की खुदाई होना बाकी है. इसके अलावा टनल में जेट फैन से लेकर लाइटिंग और सड़क निर्माण के साथ-साथ कई सुविधाएं स्थापित करनी है. इसके अलावा स्काडा सिस्टम भी इसमें लगाया जाएगा और ड्रेनेज की भी व्यवस्था की जाएगी, जिसमें समय लगेगा. ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि अभी भी इसके निर्माण में करीब 2 साल का समय लग जाएगा. इसके अनुसार यह दिसंबर 2025 में ही बनकर तैयार होगी. निर्माण कर रही कंपनी के अधिकारियों का भी कहना है कि वर्तमान में 7 से 8 महीने देरी से काम चल रहा है.
रोज केवल 7 से 8 मीटर हो पा रही खुदाईः टनल इंजीनियर दुर्गा नारायण कुमार का कहना है कि खुदाई रोज करीब 7 से 8 मीटर ही हो पा रही है. इसके लिए ब्लास्टिंग की जा रही है. सुरंग की खुदाई के लिए दिन में 16 ब्लास्ट किए जा रहे हैं, जिसमें एक ट्यूब में एक तरफ से चार ब्लास्ट हो रहे हैं. इसी तरह से दूसरी तरफ से भी चार ब्लास्ट किए जा रहे हैं. यह मल्टी ड्रिप्टिंग मेथड से टनल की खुदाई की जा रही है. कोटा की तरफ से खुदाई करीब 5 मीटर रोज हो रही है, जबकि चेचट की तरफ से खुदाई कम हो रही है. क्योंकि वहां पर चट्टान थोड़ी कमजोर है, जिसमें मिट्टी जैसी चट्टाने आ रही है. इससे मलबा ज्यादा गिरने का खतरा है, इसीलिए धीरे-धीरे खुदाई की जा रही है.