कोटा. कोचिंग सिटी कोटा में बच्चों के अवसाद में आने और तनाव के चलते सुसाइड के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसको लेकर हर कोई चिंतित है और अब इसे रोकने के लिए प्रयास भी किए जा रहे हैं. खास बात यह है कि इसके रोकथाम के लिए अब जिला प्रशासन के साथ ही आम लोग भी सामने आए हैं. वहीं, कोचिंग संस्थान और हॉस्टल भी लगातार प्रयासरत हैं. सभी अलग-अलग तरीके से जद्दोजहद कर रहे हैं.
इसी बीच हॉस्टल एसोसिएशन ने बच्चों में तनाव की मनोवृत्ति की पहचान के लिए अभियान शुरू किया है. इसके तहत स्टाफ और हॉस्टल्स में कार्यरत वार्डन को ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि तनावग्रस्त बच्चों की सही समय पर पहचान हो सके. जिला प्रशासन की तरफ से ट्रेनिंग के लिए नियुक्त वरुण चौधरी ने कहा कि अब अवसाद ग्रसित बच्चों को आईडेंटिफाई किया जाएगा. बच्चे डिप्रेशन में हैं या फिर एंजायटी के शिकार हो रहे हैं इसकी समय पर पहचान हो संभव होगी.
हर हॉस्टल तक पहुंचाने का लक्ष्य : कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज जैन का कहना है कि उन्होंने यह अभियान शुरू किया है. इसमें सभी हॉस्टल वार्डन, संचालक और स्टाफ को सुसाइड अवेयरनेस के लिए ट्रेंड किया जा रहा है. इसमें अवसाद ग्रसित बच्चों की पहचान शामिल है. इसमें हॉस्टल का ब्लॉक के अनुसार ट्रेनिंग करवाई जा रही है. साथ ही मनोचिकित्सक व जिला प्रशासन से अधिकारियों को भी बुलवाया जा रहा है, जिसमें पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं. अवसाद ग्रसित बच्चों की पहचान को लेकर हॉस्टल का स्टाफ और प्रबंधन क्या कर सकते हैं, यह उन्हें बताया जा रहा है. शुरुआत में कुछ इच्छुक हॉस्टल से जुड़े लोग ही सामने आए हैं. आगे कुछ समय में शेष हॉस्टल को भी जोड़ा जाएगा.
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नाइट में भी होगी अटेंडेंस : कोटा हॉस्टल एसोसिएशन के अध्यक्ष नवीन मित्तल का कहना है कि सभी हॉस्टल संचालकों को हिदायत दी है. इसके लिए मीटिंग कॉल भी की गई थी. कोचिंग में पढ़ रहे बच्चों की दिन में तीन बार अटेंडेंस मैंडेटरी की गई है. हालांकि, अधिकांश हॉस्टल में बायोमेट्रिक मशीन लगी हुई है, जिनके जरिए बच्चों के इन आउट का लेखा-जोखा आता रहता है, जिन्हें हॉस्टल संचालक ऑनलाइन भी मॉनिटर करते हैं. अब इसे ऑफलाइन भी मॉनिटर करने के निर्देश दिए गए हैं.
लंच और डिनर के टाइम पर बच्चों के अटेंडेंस रहेगी. इसके अलावा नाइट अटेंडेंस बच्चों के रूम में ही ली जाएगी. इस समय बच्चा कोई अवसाद में नजर आता है, तो उससे पूछ परख भी की जाएगी. वार्डन ऐसे बच्चों की पहचान होने के बाद सीधा हॉस्टल मलिक को जानकारी दे, ताकि एसोसिएशन तक बात पहुंचे. इसे प्रशासन तक पहुंचा जा सके और ऐसे चिन्हित बच्चों की काउंसलिंग हो.
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प्राइवेट मैस भी रखेंगे नजर : नवीन मित्तल का कहना है कि बड़ी संख्या में बच्चे पीजी में भी रहते हैं. ज्यादातर बच्चे प्राइवेट मैस में खाना खाने के लिए जाते हैं. ऐसे में इन मैसों को भी प्रशासन की ओर से नजर बनाए रखने की बात कही गई है. साथ ही मैसों में भी अब रजिस्टर रहेगा, जहां दो से तीन दिन तक लगातार या सुबह और शाम को खाना नहीं खाने वाले बच्चों की जानकारी प्रशासन को दी जाएगी. उसके बाद उन बच्चों से कारण भी पूछा जाएगा.