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आशा सहयोगिनियों का विभिन्न मांगों को लेकर 17 वें दिन भी धरना जारी, सरकार के खिलाफ जताया रोष - राजस्थान की ताजा हिंदी खबरें

करौली के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगनियों का विभिन्न मांगों को लेकर 17वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध-प्रदर्शन किया.

Asha Sahyogini's strike continues, आशा सहयोगिनियों का धरना जारी
आशा सहयोगिनियों का धरना जारी
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Published : Jan 25, 2021, 7:56 PM IST

करौली. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगनियों का विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार को 17वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना-प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध-प्रदर्शन किया और विभिन्न मांगों को मानने की सरकार से मांग की.

आशा सहयोगिनियों का धरना जारी

आशा सहयोगिनियों ने बताया कि विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए वह 17 दिन से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठी है. आशाओं की विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार भी कर रखा है. इसके बाबजूद भी उनकी मांगे पूरी नहीं की गई. आशाओं का कहना है कि सरकार ने उनको मेडिकल विभाग और महिला बाल विकास विभाग मे विभाजित कर रखा है और दोनों विभागों के अधिकारी उनपर दादागिरी करते है.

अगर आशा को एक विभाग के अधिकारी ने फील्ड मे भेज दिया, तो दूसरे विभाग का अधिकारी उनकी अनुपस्थिति लगा देता है. इतनी परेशानियों के बाबजूद भी आशा काम करती है, फिर भी उनको बहुत कम वेतन मिलता है. आशाओ की प्रमुख मांग है कि उनको एक ही विभाग में समायोजन किया जाए. साथ ही उनका मानदेय बढ़ाया जाए.

पढ़ें- स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थियों को इंजीनियरिंग कॉलेजों में दी जाएगी नि:शुल्क तकनीकी शिक्षा

आशाओं ने बताया कि वह लगातार 15 वर्षों से लगातार आशा सहयोगिनी के पद पर कार्य कर रही है और वेतन सिर्फ 2700 रूपये है, जोकि न्युनतम मजदूरी से भी कम है. आशाओ ने बताया कि उनकी विभिन्न मांगों में केंद्र सरकार के तहत लाभार्थ योजनाओं से आशा सहयोगनियों को जोड़ा जाए. इसी के साथ न्यायलय के आदेशानुसार आशा सहयोगनी कार्मिकों के वेतन में व्रद्धि किया जाए और नियमितीकरण को लेकर नियम बनाया जाए. आशाओं ने बताया की मांगों को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आशा सहयोगिनी कार्मिकों का कार्य बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन 17 वें दिन भी जारी है.

करौली. जिले के आंगनबाड़ी केंद्रों पर कार्यरत आशा सहयोगनियों का विभिन्न मांगों को लेकर सोमवार को 17वें दिन भी कलेक्ट्रेट के सामने धरना-प्रदर्शन जारी रहा. इस दौरान आशाओं ने सरकार के खिलाफ रोष जताकर विरोध-प्रदर्शन किया और विभिन्न मांगों को मानने की सरकार से मांग की.

आशा सहयोगिनियों का धरना जारी

आशा सहयोगिनियों ने बताया कि विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए वह 17 दिन से कलेक्ट्रेट के सामने धरने पर बैठी है. आशाओं की विभिन्न मांगों को लेकर कार्य बहिष्कार भी कर रखा है. इसके बाबजूद भी उनकी मांगे पूरी नहीं की गई. आशाओं का कहना है कि सरकार ने उनको मेडिकल विभाग और महिला बाल विकास विभाग मे विभाजित कर रखा है और दोनों विभागों के अधिकारी उनपर दादागिरी करते है.

अगर आशा को एक विभाग के अधिकारी ने फील्ड मे भेज दिया, तो दूसरे विभाग का अधिकारी उनकी अनुपस्थिति लगा देता है. इतनी परेशानियों के बाबजूद भी आशा काम करती है, फिर भी उनको बहुत कम वेतन मिलता है. आशाओ की प्रमुख मांग है कि उनको एक ही विभाग में समायोजन किया जाए. साथ ही उनका मानदेय बढ़ाया जाए.

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आशाओं ने बताया कि वह लगातार 15 वर्षों से लगातार आशा सहयोगिनी के पद पर कार्य कर रही है और वेतन सिर्फ 2700 रूपये है, जोकि न्युनतम मजदूरी से भी कम है. आशाओ ने बताया कि उनकी विभिन्न मांगों में केंद्र सरकार के तहत लाभार्थ योजनाओं से आशा सहयोगनियों को जोड़ा जाए. इसी के साथ न्यायलय के आदेशानुसार आशा सहयोगनी कार्मिकों के वेतन में व्रद्धि किया जाए और नियमितीकरण को लेकर नियम बनाया जाए. आशाओं ने बताया की मांगों को लेकर शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत आशा सहयोगिनी कार्मिकों का कार्य बहिष्कार कर धरना प्रदर्शन 17 वें दिन भी जारी है.

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