ETV Bharat / state

महाशिवरात्रि विशेष: करौली में है एक ऐसा चमत्कारिक शिव मंदिर, जहां प्रतिमा दिन में तीन बार बदलती है रंग

करौली में 400 से अधिक पुराना रामठरा का शिव मंदिर चमत्कारिक मंदिर है. इस मंदिर में स्थापित भगवान शिव की प्रतिमा दिन में तीन बार रंग बदलती है. इस अनोखी प्रतिमा के दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालुओं आते हैं.

rajasthan news, करौली न्यूज, महाशिवरात्री, Shiva temple
करौली का चमत्कारिक शिव मंदिर
author img

By

Published : Feb 21, 2020, 12:47 PM IST

करौली. जिले के सपोटरा उपखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन शिव मंदिर चमत्कारिक मन्दिर है. खास बात यह है कि इस मंदिर की मूर्ति दिन में अपना तीन बार रंग बदलती है. जो अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है. यूं तो सालभर ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है लेकिन महाशिवरात्रि पर भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है.

करौली का चमत्कारिक शिव मंदिर

बता दें कि करीब पांच फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर के चारों ओर बहुत खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलती है. मंदिर के चारों तरफ पहाड़ी क्षेत्र में छाई हरियाली और समीप ही कालीसिल बांध का मनोरम दृश्य एक शांतिमय वातावरण का निर्माण करता है. इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी.

दिन में तीन रंग धारण करती है मंदिर की मूर्ति

यह शिव मंदिर करीब 400-500 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है. जो कालीसिल बांध के तट के समीप स्थित है. सैंकड़ों साल प्राचीन रामठरा के शिव मंदिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है. इतिहासकार व बुर्जुग बताते हैं कि शिव भगवान की प्रतिमा प्रतिदिन तीन रंग बदलती है. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है. जबकि दोपहर में यह नीला हो जाता है.

rajasthan news, करौली न्यूज, महाशिवरात्री, Shiva temple
400 सौ साल पुराना है ये शिव मंदिर

सायंकाल में शिव की प्रतिमा मटमैले रंग में नजर आती है. जिसे देख यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं. वहीं मंदिर की शिव प्रतिमा की गर्दन टेढ़ी है. शिव के दायी ओर गणेशजी और बायी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है. जबकि सामने शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं.

यह भी पढ़ें. महाशिवरात्रि विशेष: अलवर में है महादेव का 300 साल पुराना मंदिर, शिवरात्रि पर उमड़ती भक्तों की भीड़

ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन

किवदंती है कि रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया. शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान में सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है.

ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी

इतिहासकार बताते हैं कि करीब ढाई दशक पहले चोरों ने शिव भगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया, लेकिन चोर सफल नहीं हो सके. ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए. प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया पर भगवान की महिमा की चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठा. जिसके बाद चोरों ने लोगों को प्रतिमा के बारे में बता दिया. उसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई.

इस मंदिर की ख्याति इतनी है कि लोग दूसरे राज्यों से भी भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां महादेव के भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है. लोग दूर-दूर से यहां मनोकामना मांगने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनमुराद अवश्य पूरी होती है.

करौली. जिले के सपोटरा उपखंड मुख्यालय से करीब तीन किलोमीटर दूर अरावली पर्वत शृंखला के मध्य स्थित रामठरा का प्राचीन शिव मंदिर चमत्कारिक मन्दिर है. खास बात यह है कि इस मंदिर की मूर्ति दिन में अपना तीन बार रंग बदलती है. जो अपने आप में चमत्कार से कम नहीं है. यूं तो सालभर ही यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है लेकिन महाशिवरात्रि पर भक्तों की संख्या और बढ़ जाती है.

करौली का चमत्कारिक शिव मंदिर

बता दें कि करीब पांच फीट की ऊंचाई पर स्थित मंदिर के चारों ओर बहुत खूबसूरत प्राकृतिक दृश्य देखने को मिलती है. मंदिर के चारों तरफ पहाड़ी क्षेत्र में छाई हरियाली और समीप ही कालीसिल बांध का मनोरम दृश्य एक शांतिमय वातावरण का निर्माण करता है. इतिहासकारों के अनुसार बंजारा जाति के लोगों ने रामठरा में किले के नीचे महादेव मन्दिर की स्थापना कराई थी.

दिन में तीन रंग धारण करती है मंदिर की मूर्ति

यह शिव मंदिर करीब 400-500 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर है. जो कालीसिल बांध के तट के समीप स्थित है. सैंकड़ों साल प्राचीन रामठरा के शिव मंदिर में भगवान शिव की बड़े आकार की श्वेत चमत्कारिक प्रतिमा है. इतिहासकार व बुर्जुग बताते हैं कि शिव भगवान की प्रतिमा प्रतिदिन तीन रंग बदलती है. सुबह के समय प्रतिमा का रंग श्वेत रहता है. जबकि दोपहर में यह नीला हो जाता है.

rajasthan news, करौली न्यूज, महाशिवरात्री, Shiva temple
400 सौ साल पुराना है ये शिव मंदिर

सायंकाल में शिव की प्रतिमा मटमैले रंग में नजर आती है. जिसे देख यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु भी आश्चर्यचकित हो उठते हैं. वहीं मंदिर की शिव प्रतिमा की गर्दन टेढ़ी है. शिव के दायी ओर गणेशजी और बायी ओर माता पार्वती की प्रतिमा है. जबकि सामने शिवलिंग और नंदी की प्रतिमाएं स्थापित हैं.

यह भी पढ़ें. महाशिवरात्रि विशेष: अलवर में है महादेव का 300 साल पुराना मंदिर, शिवरात्रि पर उमड़ती भक्तों की भीड़

ऐसे मुड़ी प्रतिमा की गर्दन

किवदंती है कि रियासतकाल के दौरान मंदिर के आसपास हजारों घर बसे हुए थे, लेकिन उस दौरान कुछ विशेष लोगों के अत्याचारों से तंग आकर लोगों को यहां से पलायन करना पड़ा. उसके बाद शिव भगवान की प्रतिमा ने भी चमत्कार दिखाते हुए अपना सिर दांऐ कंधे की ओर मोड़ लिया. शिव प्रतिमा के मुंह की ओर वर्तमान में सपोटरा क्षेत्र बसा हुआ है.

ढाई दशक पूर्व पार्वती की प्रतिमा हुई थी चोरी

इतिहासकार बताते हैं कि करीब ढाई दशक पहले चोरों ने शिव भगवान की प्रतिमा को चोरी करने का प्रयास किया, लेकिन चोर सफल नहीं हो सके. ऐसे में चोर मंदिर से पार्वती की प्रतिमा को चुरा ले गए. प्रतिमा को चोरों ने कहीं जमीन में दबा दिया पर भगवान की महिमा की चोरों में आपसी सामंजस्य नहीं बैठा. जिसके बाद चोरों ने लोगों को प्रतिमा के बारे में बता दिया. उसके बाद प्रतिमा की पुन: स्थापना कराई गई.

इस मंदिर की ख्याति इतनी है कि लोग दूसरे राज्यों से भी भगवान शिव के दर्शन करने आते हैं. वहीं महाशिवरात्रि के अवसर पर यहां महादेव के भक्तों की बड़ी संख्या में भीड़ उमड़ती है. लोग दूर-दूर से यहां मनोकामना मांगने आते हैं. ऐसी मान्यता है कि यहां भक्तों की मनमुराद अवश्य पूरी होती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.