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स्पेशल: ये आंवला है बेहद खास...दिल्ली, मुंबई के बाद ट्रंप के देश में भी बढ़ाया राजस्थान का मान

जी हां, एक दम सही पढ़ा आपने राजस्थान का ये आंवला बेहद खास है. इस आंवले ने दिल्ली, मुंबई जैसी मेट्रो सिटी के बाद ट्रंप के देश अमेरिका में भी राजस्थान का मान बढ़ाया है. अपने जायके से विदेशियों के मुंह में पानी लाने वाला ये अमृतफल करौली का है. जो पूरी से तरह से ऑर्गेनिक है, देखिए ये स्पेशल रिपोर्ट...

Karauli amlas, Special Report
करौली के आंवले की अमेरिका तक मांग
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Published : Feb 22, 2020, 12:52 PM IST

Updated : Feb 22, 2020, 1:16 PM IST

करौली. अमृतफल के नाम से जाना जाने वाला करौली के बीजलपुर गांव का आंवला देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना गुल खिला रहा है. दिल्ली, मुम्बई के बाद अब अमेरिका में इस ऑर्गेनिक आंवले की डिमांड बढ़ने लगी है. ऑर्गेनिक आंवले की खेती में लगे किसान बड़ा ही परिश्रम कर देश ही नहीं विदेशों में भी लोगों का जायका बढ़ा रहे हैं.

ऑर्गेनिक खाद से तैयार होता है आंवला

वैसे तो करौली में आंवले की खेती गिनी चुनी जगह पर होती है. लेकिन ऑर्गेनिक खाद यानी की गोबर की खाद से उगाया जाने वाला आंवला जिले के पास के ही गांव बीजलपुर में कृषि फार्म में उगाया जाता है. यहां पर 70 बीघा भूमि पर आंवले की खेती होती है. जिसमें 2 हजार से 2200 आंवले के पेड़ लगे हुए है. मिट्टी की किस्म अच्छी होने की वजह से खेती भी पर्याप्त मात्रा में होती है. सर्दियों में आंवले का उत्पादन होता है और गर्मियों के सीजन में लोग आंवले की डिमांड बढ़चढ़ करते है. किसान व्यापारी ताजा आंवले का मुरब्बा, कैंडी औप अचार बनाकर बेचते हैं.

ये आंवला है बेहद खास, देखें स्पेशल रिपोर्ट

मीठा और जायकेदार होता है आंवले का स्वाद

गर्मी का सीजन आते ही बाहर के लोग इन किसान व्यापारियों से संपर्क कर कच्चा आंवला या आंवले के बने प्रोटेक्ट मंगवाते हैं. चैत्र मास में लगने वाले उत्तर भारत के प्रसिद्ध आस्थाधाम कैलादेवी मेले में आने वाले बाहर से लोग भी इस आंवले को लेकर जाते हैं. किसान आंवले की खेप डिमांड के अनुसार बाहर बसों, ट्रेनों के जरिए भेजते है. किसान व्यापारियों के बनाए जाने वाले आंवले के प्रोडक्ट का स्वाद मीठा और जायकेदार होता है.

पढ़े: स्पेशल: ना पानी, ना मिट्टी....फिर भी उग रहीं सब्जियां, जानिए आखिर कैसे

30 से 35 लाख सालाना टर्न ओवर

आंवले की खेती करने वाले किसानों ने ईटीवी भारत को बताया कि उनका खुद का कृषि फार्म है. जिसमें लगभग 70 बीघा में दो हजार से 22 सौ आंवले के पेड़ लगा रखे है. वो खुद ही आंवले का मुरब्बा, कैंडी और आचार भी तैयार करते हैं. इन प्रोडक्ट्स में किसी प्रकार के केमिकल या सिरका का उपयोग नहीं होता. यह प्रोडक्ट सिर्फ पानी और चीनी से बनाया जाता है. इसलिए आंवले का अलग तरीके का स्वाद होता है.

वहीं, सर्दियों में आंवले का उत्पादन किया जाता है और गर्मियों में आंवले की डिंमाड बढ़ जाती है. बाहर से व्यापारी आकर आंवला डिमांड के अनुसार खरीद कर ले जाते हैं. किसान ने बताया उसका 27 से 30 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष आंवले का टर्न ओवर रहता है. किसान के मुताबिक दिल्ली, मुम्बई तक लोग इस आंवले को खरीद कर ले जाते हैं.

पढ़े: स्पेशल स्टोरी: इस सरकारी स्कूल में बच्चों के पोषाहार के लिए 'मास्टरजी' उगाते हैं ऑर्गेनिक सब्जियां

वहीं एक और किसान ने बताया कि आंवले का पूरा गार्डन ऑर्गेनिक है. राजस्थान के कई इलाकों में तो इस ऑर्गेनिक आंवले को बेचते ही है. बल्कि दिल्ली, मुम्बई अमेरिका तक लोग इस आंवले के प्रोडक्ट को खरीदने की डिमांड रहती है. प्रतिवर्ष 30-35 लाख रुपये का आंवला बेचा जाता है.

करौली. अमृतफल के नाम से जाना जाने वाला करौली के बीजलपुर गांव का आंवला देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना गुल खिला रहा है. दिल्ली, मुम्बई के बाद अब अमेरिका में इस ऑर्गेनिक आंवले की डिमांड बढ़ने लगी है. ऑर्गेनिक आंवले की खेती में लगे किसान बड़ा ही परिश्रम कर देश ही नहीं विदेशों में भी लोगों का जायका बढ़ा रहे हैं.

ऑर्गेनिक खाद से तैयार होता है आंवला

वैसे तो करौली में आंवले की खेती गिनी चुनी जगह पर होती है. लेकिन ऑर्गेनिक खाद यानी की गोबर की खाद से उगाया जाने वाला आंवला जिले के पास के ही गांव बीजलपुर में कृषि फार्म में उगाया जाता है. यहां पर 70 बीघा भूमि पर आंवले की खेती होती है. जिसमें 2 हजार से 2200 आंवले के पेड़ लगे हुए है. मिट्टी की किस्म अच्छी होने की वजह से खेती भी पर्याप्त मात्रा में होती है. सर्दियों में आंवले का उत्पादन होता है और गर्मियों के सीजन में लोग आंवले की डिमांड बढ़चढ़ करते है. किसान व्यापारी ताजा आंवले का मुरब्बा, कैंडी औप अचार बनाकर बेचते हैं.

ये आंवला है बेहद खास, देखें स्पेशल रिपोर्ट

मीठा और जायकेदार होता है आंवले का स्वाद

गर्मी का सीजन आते ही बाहर के लोग इन किसान व्यापारियों से संपर्क कर कच्चा आंवला या आंवले के बने प्रोटेक्ट मंगवाते हैं. चैत्र मास में लगने वाले उत्तर भारत के प्रसिद्ध आस्थाधाम कैलादेवी मेले में आने वाले बाहर से लोग भी इस आंवले को लेकर जाते हैं. किसान आंवले की खेप डिमांड के अनुसार बाहर बसों, ट्रेनों के जरिए भेजते है. किसान व्यापारियों के बनाए जाने वाले आंवले के प्रोडक्ट का स्वाद मीठा और जायकेदार होता है.

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30 से 35 लाख सालाना टर्न ओवर

आंवले की खेती करने वाले किसानों ने ईटीवी भारत को बताया कि उनका खुद का कृषि फार्म है. जिसमें लगभग 70 बीघा में दो हजार से 22 सौ आंवले के पेड़ लगा रखे है. वो खुद ही आंवले का मुरब्बा, कैंडी और आचार भी तैयार करते हैं. इन प्रोडक्ट्स में किसी प्रकार के केमिकल या सिरका का उपयोग नहीं होता. यह प्रोडक्ट सिर्फ पानी और चीनी से बनाया जाता है. इसलिए आंवले का अलग तरीके का स्वाद होता है.

वहीं, सर्दियों में आंवले का उत्पादन किया जाता है और गर्मियों में आंवले की डिंमाड बढ़ जाती है. बाहर से व्यापारी आकर आंवला डिमांड के अनुसार खरीद कर ले जाते हैं. किसान ने बताया उसका 27 से 30 लाख रुपए तक प्रतिवर्ष आंवले का टर्न ओवर रहता है. किसान के मुताबिक दिल्ली, मुम्बई तक लोग इस आंवले को खरीद कर ले जाते हैं.

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वहीं एक और किसान ने बताया कि आंवले का पूरा गार्डन ऑर्गेनिक है. राजस्थान के कई इलाकों में तो इस ऑर्गेनिक आंवले को बेचते ही है. बल्कि दिल्ली, मुम्बई अमेरिका तक लोग इस आंवले के प्रोडक्ट को खरीदने की डिमांड रहती है. प्रतिवर्ष 30-35 लाख रुपये का आंवला बेचा जाता है.

Last Updated : Feb 22, 2020, 1:16 PM IST
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