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सुन लो सरकार! अपने हक के लिए 2 साल से दर-दर की ठोकरें खा रहीं महिलाएं, मंत्री ने दिए आश्वासन - करौली न्यूज

करौली में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बीते दो साल से आईसीडीएस विभाग की ओर से भुगतान नहीं किया जा रहा है. ऐसे में समूह की महिलाएं दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. करौली पहुंचे प्रभारी मंत्री अशोक चांदना से गुहार लगाते हुए महिलाओं ने शीघ्र भुगतान दिलवाने की मांग की है.

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दर-दर की ठोकरें खा रहीं महिलाएं
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Published : Jun 30, 2021, 3:39 AM IST

करौली. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने, महिलाओं को आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए सरकार बड़ी-बड़ी योजनाएं संचालित करती है. उन योजनाओं का कार्य स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से करवाती है.

करौली में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को पोषाहार वितरण करने के बदले का भुगतान पिछले दो साल से नहीं मिलने के कारण महिलाएं दर-दर की ठोकरें खा रहीं हैं. महिलाओं की पुकार कोई नहीं सुन रहा है. ऐसे में समूह की महिलाएं करौली पहुंची और प्रभारी मंत्री अशोक चांदना को ज्ञापन सौंपा. साथ ही बकाया भुगतान दिलवाने की मांग की. नहीं तो परिवार सहित आत्महत्या की चेतावनी दी है. वहीं मंत्री ने मुख्यमंत्री से बात कर शीघ्र समस्या समाधान करने का आश्वासन दिया.

दर-दर की ठोकरें खा रहीं महिलाएं

दरअसल, करौली में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पिछले दो साल से उनका भुगतान नहीं मिलने से निराश और हताश महिलाएं जिले के दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री अशोक चांदना से अपना दर्द बयां किया. महिलाओं ने कहा, हमें साल 2018 से 2020 तक का वेतन न तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और न ही सरकार की ओर से हमें दिया गया है. हम बीते दो साल से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन कोई हमारी नहीं सुनता.

यह भी पढ़ें: ग्रामीणों ने अपनी मूलभूत समस्याओं को लेकर विधायक से लगाई गुहार, जल्द निस्तारण करने के निर्देश

समूह चलाने वाली महिलाओं ने बताया, आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पंजीरी, चने, गुड़, लाई, मुरमुरे, दलिया, खीचड़ी आदि वितरित करती है. हम लोग गरीब परिवार की महिलाएं हैं और लॉकडाउन लगने के कारण परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा है. आर्थिक तंगी झेलते-झेलते परेशान हो चुके हैं. आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर जब पैसे की मांग की जाती है तो वहां मौजूद कार्यकर्ता हमारी कुछ भी नहीं सुनती. वह कहती है कि अब हम क्या करें, हम खुद ही परेशान हैं. हम कैसे आपका पैसा दिलवाएं. हमने पहले भी कलेक्टर साहब को ज्ञापन दिया था. लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, अब हम बहुत परेशान हैं और समझ में नहीं आता क्या करें.

यह भी पढ़ें: राजस्थान के पटवारियों का अल्टीमेटम, मांगे नहीं मानी तो राष्ट्रपति से लगाएंगे इच्छा मृत्यु की गुहार

महिलाओं ने कहा, मंत्री साहब से भुगतान दिलवाने की गुहार लगाए हैं. यदि मंत्री साहब सुनते हैं तो ठीक नहीं तो हमारे पास कोई भी चारा नहीं है सिवाय मरने के अलावा. साथ ही भूख हड़ताल की भी चेतावनी दी. इस दौरान स्वयं सहायता समूह की सुल्ताना, पुष्पा देवी, शबनम, नसरीन, ममता, मिथिलेश सहित अन्य महिलाएं उपस्थित रहीं.

करौली. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने, महिलाओं को आर्थिक रूप से संबल प्रदान करने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए गठित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए सरकार बड़ी-बड़ी योजनाएं संचालित करती है. उन योजनाओं का कार्य स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से करवाती है.

करौली में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से आंगनबाड़ी केंद्रों में पढ़ने वाले बच्चों को पोषाहार वितरण करने के बदले का भुगतान पिछले दो साल से नहीं मिलने के कारण महिलाएं दर-दर की ठोकरें खा रहीं हैं. महिलाओं की पुकार कोई नहीं सुन रहा है. ऐसे में समूह की महिलाएं करौली पहुंची और प्रभारी मंत्री अशोक चांदना को ज्ञापन सौंपा. साथ ही बकाया भुगतान दिलवाने की मांग की. नहीं तो परिवार सहित आत्महत्या की चेतावनी दी है. वहीं मंत्री ने मुख्यमंत्री से बात कर शीघ्र समस्या समाधान करने का आश्वासन दिया.

दर-दर की ठोकरें खा रहीं महिलाएं

दरअसल, करौली में संचालित स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को पिछले दो साल से उनका भुगतान नहीं मिलने से निराश और हताश महिलाएं जिले के दौरे पर पहुंचे प्रभारी मंत्री अशोक चांदना से अपना दर्द बयां किया. महिलाओं ने कहा, हमें साल 2018 से 2020 तक का वेतन न तो आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और न ही सरकार की ओर से हमें दिया गया है. हम बीते दो साल से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं, लेकिन कोई हमारी नहीं सुनता.

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समूह चलाने वाली महिलाओं ने बताया, आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को पंजीरी, चने, गुड़, लाई, मुरमुरे, दलिया, खीचड़ी आदि वितरित करती है. हम लोग गरीब परिवार की महिलाएं हैं और लॉकडाउन लगने के कारण परिवार का गुजारा नहीं हो पा रहा है. आर्थिक तंगी झेलते-झेलते परेशान हो चुके हैं. आंगनबाड़ी केंद्र पर जाकर जब पैसे की मांग की जाती है तो वहां मौजूद कार्यकर्ता हमारी कुछ भी नहीं सुनती. वह कहती है कि अब हम क्या करें, हम खुद ही परेशान हैं. हम कैसे आपका पैसा दिलवाएं. हमने पहले भी कलेक्टर साहब को ज्ञापन दिया था. लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं हुई, अब हम बहुत परेशान हैं और समझ में नहीं आता क्या करें.

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महिलाओं ने कहा, मंत्री साहब से भुगतान दिलवाने की गुहार लगाए हैं. यदि मंत्री साहब सुनते हैं तो ठीक नहीं तो हमारे पास कोई भी चारा नहीं है सिवाय मरने के अलावा. साथ ही भूख हड़ताल की भी चेतावनी दी. इस दौरान स्वयं सहायता समूह की सुल्ताना, पुष्पा देवी, शबनम, नसरीन, ममता, मिथिलेश सहित अन्य महिलाएं उपस्थित रहीं.

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