करौली. उत्तर भारत का प्रसिद्ध आस्थाधाम कैलादेवी मन्दिर में कोरोना महामारी के बीच मंगलवार को अष्टमी के दिन धार्मिक अनुष्ठान संपन्न हुए. जिसमें पंडितों की ओर से माता से कोरोना महामारी को खत्म करने की प्रार्थना की गई. इस दौरान मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश बिल्कुल वर्जित रहा.
मंदिर ट्रस्ट मैनेजर महेश चंद्र शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते राज्य सरकार के आदेशानुसार जन स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मन्दिर को आठ 8 अप्रैल से बंद कर दिया गया है. बाहर के श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित कर दिया गया है. कोरोना महामारी को देखते हुए मंदिर परिसर सहित कस्बे में सैनिटाइज करवाया जा रहा है. जब तक कोरोना महामारी रहेगी तब तक श्रद्धालुओं के लिए मंदिर में प्रवेश बिल्कुल वर्जित रहेगा हालाकी सेवा पूजा पूर्व की भांति पंडितों की ओर से यथावत रूप से चालू रहेगी.
नवरात्रा को दृष्टिगत रखते हुए विद्वान पंडितों की ओर से माता के दरबार मे अनुष्ठान करवाए गए हैं बाहर से भी विद्वान पंडितों को बुलाया गया. संसार की सुख शांति और खुशहाली के लिए मंदिर ट्रस्ट के सॉल ट्रस्टी राजा कृष्ण चंद्र पाल की ओर से अलग से विशेष पूजा-अर्चना करवाई गई है.
मन्दिर के मुख्य पंड़ित प्रकाश जत्ती ने बताया कि नवरात्रा कैलादेवी शक्ति पीठ पर विधि विधान से संपन्न हुए हैं. कोरोना महामारी के कारण शतचंडी महायज्ञ का आयोजन किया जा रहा है भक्तजनों का प्रवेश वर्जित किया गया है इसमें विभिन्न प्रकार के पाठकों का आयोजन किया गया है. सायकांल माता की स्तुति और भक्ति होती है कोरोना महामारी विनाश के लिए सवा लाख मंत्रों का जाप विद्वान पंडितों की ओर से किया गया. जिससे महामारी का विनाश हो और मां अपने भक्तों को शीघ्र दर्शन दें. 21 विद्वान पंडितों की ओर से धार्मिक अनुष्ठान संपन्न करवाए गए है.
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बता दें कि उत्तर भारत के प्रसिद्ध आस्थाधाम में शुमार कैलामाता के मंदिर में चैत्र के नवरात्र के अवसर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा सहित अन्य दूरदराज के क्षेत्रों से मैया के लाखों भक्त आते हैं और घंटों लाइन में लगकर मैया की एक झलक पाने के लिए लालायित रहते हैं. लेकिन इस बार वापस से कोरोना महामारी के चलते कैला माता के दर्शनों को बंद कर दिया गया. साथ ही लख्खी मेले को निरस्त कर दिया गया. जिससे लाखों श्रद्धालुओं को मायूसी का सामना करना पड़ा. वहीं प्रति वर्ष मेले से अपने परिवार का भरण पोषण करने वाले हजारों परिवारों को आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ा है.