करौली. जिले के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज नजर आते हैं. जिसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसमें रास्ते के अभाव के कारण ग्रामीण प्रसुता महिला को चारपाई पर ले जाते हुए नजर आ रहे हैं.
एक ओर देश और राज्य की सरकार गांवों को डिजिटलाइजेशन करने सहित गांवों में विकास और सुविधा देने के बड़े-बड़े दावे कर रही है. दूसरी ओर राजस्थान के करौली जिले के मंडरायल उपखंड क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में आज भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज नजर आते हैं. इसके विपरीत सबसे अधिक सवालिया निशान प्रशासन की लापरवाही के चलते धरातल पर कितना सरकार की योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ है. वो इन सभी तस्वीरों से जाहिर होता हैं कि यहां सरकारी सिस्टम की नाकामयाबी कहे या जनप्रतिनिधियों की अनदेखी की वजह से आज भी ग्रामीण आम रास्तों के लिए मोहताज हैं.
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जिले के मंडरायल उपखंड के रोधई ग्राम पंचायत की ढाणी कैमकच्छ बासी आजादी के 70 साल बीतने के बाद भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. गांव में आम रास्ता ना होने की वजह से हल्की सी बारिश होने पर ग्रामीण आपातकालीन स्थिति में रोगियों और प्रसूताओं को चारपाई के सहारे कंधों पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है.
बता दें कि मंडरायल सीएचसी पर कैमकच्छ गांव की प्रसूता के प्रसव होने के बाद उसे हॉस्पिटल से घर ग्रामीणों को चारपाई पर लाना पड़ा. ग्रामीणों ने प्रसूता को चारपाई पर लेटा कर कीचड़ एवं पगडंडी वाले रास्ते से लेकर आए. जिसका वीडियो वायरल हो रहा है. वीडियो मे लाचार बेबस होकर ग्रामीण एक प्रसुता को पलंग (चारपाई) पर लाते हुए नजर आते हैं.
कई बार समस्या को सामने रखा पर कोई सुनवाई नहीं
ग्रामीणों ने बताया कि उक्त आम रास्ते के लिए उन्होंने ग्राम पंचायत स्तर पर कई बार शिकायत करने के बावजूद भी समस्या जस की तस बनी होने सहित उपखंड प्रशासन को भी अवगत करा दिया गया है लेकिन जिम्मेदारों का और ध्यान नहीं है. जिससे देश में चल रहे हैं कोरोना संक्रमण की आपात स्थिति में गंभीर रोगियों को भी लाने ले जाने के लिए केवल एक मात्र इनके पास रास्ते के नाम पर मरीज को चारपाई पर लेटा कर कंधों पर रखकर रोधई तक का सफर तय करना मजबूरी बस आदत में शुमार हो गयी है.