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गुलाब सागर मठ के मठाधीश ब्रह्मपुरी महाराज का निधन, बैकुंठ यात्रा में उमड़े अनुयायी, मठ परिसर में दी समाधि - LAST RITES OF BRAHAMPURI MAHARAJ

जैसलमेर के गुलाब सागर मठ के मठाधीश ब्रह्मपुरी महाराज की बैकुंठ यात्रा में उनके अनुयायी उमड़े. उन्हें मठ परिसर में समाधि दी गई.

Last rites of Brahampuri Maharaj
ब्रह्मपुरी महाराज की बैकुंठ यात्रा (ETV Bharat Jaisalmer)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 21, 2025, 3:46 PM IST

जैसलमेर: 1200 वर्ष से अधिक पुराने गुलाब सागर मठ के महंत ब्रह्मपुरी महाराज के निधन पर शोक की लहर छा गई. महाराज के अंतिम दर्शन के लिए उनके गुलाब सागर मठ में हजारों भक्त पहुंचे. संत के जयकारों से पूरा जैसलमेर शहर गूंज उठा. महंत के दर्शन के लिए लम्बी कतार लगी रही. इस दौरान संत की बैकुंठ यात्रा निकाली गई. जैसलमेर के मुख्य मार्गों से होती हुए वापस गुलाब सागर मठ पहुंची. उसके बाद गुलाब सागर मठ परिसर में ही समाधि दी गई. संत धर्म के अनुसार विधिपूर्वक समाधि कार्यक्रम हुआ. इस दौरान अटल ​अखाड़े के साधू-संत और भक्तगण मौजूद रहे.

ब्रह्मपुरी महाराज की बैकुंठ यात्रा में उमड़े अनुयायी (ETV Bharat Jaisalmer)

आपको बता दें कि गुलाब सागर मठ के गादीपति महंत ब्रह्मपुरी महाराज का 63 वर्ष की आयु में सड़क दुर्घटना में देवलोक गमन हो गया. ब्रह्मपुरी महाराज 37 वर्ष पूर्व गुलाब सागर मठ के गादीपति बने थे. इतिहासकारों के अनुसार गुलाब सागर करीब 1000-1200 वर्ष पुराना है. इनके यहां पर कई अनुयायी हैं. हाल ही में ब्रह्मपुरी महाराज को महाकुंभ में श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े का सचिव बनाया गया था. महंत ब्रह्मपुरी का जन्म गढ़ी जहानसिंह गांव, शमसाबाद, जिला आगरा, उत्तरप्रदेश के निवासी फैलीराम गुप्ता के घर हुआ था. उनका सांसारिक नाम राधा गोपाल गुप्ता था.

पढ़ें: महाकुंभ से लौटते समय जैसलमेर के महंत ब्रह्मपुरी महाराज की सड़क हादसे में मौत - ROAD ACCIDENT IN BHILWARA

करीब 14 वर्ष की आयु में राधा गोपाल गुप्ता ने घर-बार छोड़कर सन्यास अपना लिया. उसके बाद उन्होंने श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े में शामिल होकर वहां से नागा साधु बन गए। नागा साधु बनने के बाद ब्रह्मपुर महाराज तपस्या करते करते जैसलमेर पहुंचे। वह करीब दो तीन माह शहर व आसपास के इलाकों में रहे। उसके बाद वह शहर स्थित गुलाब सागर मठ पहुंचे। ब्रह्मपुरी महाराज गुलाब सागर मठ के महंत लालपुरी महाराज के शिष्य बन गए. लालपुरी महाराज के देवलोक गमन होने पर ब्रह्मपुरी महाराज गुलाब सागर मठ के गादीपति बन गए।

पढ़ें: जैसलमेर राज गुरुद्वारे के मठाधीश शिव सुखनाथ का निधन, बैकुंठ यात्रा के बाद होगा समाधि कार्यक्रम - Jaisalmer News

शादी की चर्चा पर छोड़ा घर: ब्रह्मपुरी महाराज के छोटे भाई मदनलाल गुप्ता ने बताया कि ब्रह्मपुरी महाराज (राधा गोपाल) की शादी के लिए घर में चर्चा हो रही थी. लेकिन राधा गोपाल सन्यासी बनना चाहते थे. 10-12 साल की आयु में ही वह साधु-संतों के साथ रहने लगे थे और साधु-संतों से जुड़ाव हो गया था. राधा गोपाल शादी नहीं करना चाहते थे. शादी की बातें होने लगी, तो उन्होंने घर छोड़ दिया. उसके बाद वह श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े से जुड़ गए.

ब्रह्मपुरी महाराज के है पांच भाई: ब्रह्मपुरी महाराज का परिवार गढ़ी जहानसिंह गांव शमसाबाद आगरा में रहता है. भाई मदनलाल गुप्ता ने बताया कि ब्रह्मपुरी महाराज पांच भाइयों में चौथे नंबर के भाई थे. इनकी तीन बड़ी बहनें भी हैं. इनके माता-पिता व एक बड़े भाई डॉ महावीर प्रसाद गुप्ता का निधन हो चुका है. वहीं दो बहनों का भी निधन हो चुका है. सबसे बड़े भाई डॉ महावीर प्रसाद गुप्ता आरबीएस डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे. वहीं दूसरे नंबर के भाई मखनलाल वन विभाग में नौकरी करते थे, जो सेवानिवृत हो चुके हैं. तीसरे नंबर का भाई वीरेंद्र कुमार निजी कंपनी में मैनेजर रह चुके हैं. वहीं पांचवें नंबर के भाई मदनलाल की सूरत में कपड़ा फैक्ट्री है.

पढ़ें: दादू पीठाधीश्वर गोपालदास महाराज का निधन, रविवार को नरैना में निकाली जाएगी अंतिम यात्रा - Saint Gopal Das Maharaj last rites in Narena

1988 में गुलाबसागर मठ आए थे ब्रह्मपुरी महाराज: नागा साधु ब्रह्मपुरी महाराज जैसलमेर के कई इलाकों में दो तीन माह रहने के बाद 1988 में गुलाब सागर मठ पहुंचे थे. जहां पर उन्हें महंत लालपुरी महाराज मिले. उन्होंने लालपुरी महाराज को अपना गुरु बना लिया. ब्रह्मपुरी महाराज और लालपुरी महाराज सिर्फ 16 दिन ही साथ रहे थे. लालपुरी महाराज के देवलोक गमन होने के 16 दिन पूर्व ही ब्रह्मपुरी महाराज लालपुरी महाराज के संपर्क में आए थे. सेवा से अभिभूत होकर मात्र 16 दिन में ही लालपुरी महाराज ने ब्रह्मपुरी महाराज को शिष्य भी बना दिया और देवलोक होने से पूर्व उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था. लालपुरी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद ब्रह्मपुरी महाराज ने गुलाबसागर मठ की गादी संभाली.

चार दिन पहले ही प्रयागराज महाकुंभ से लौटे थे महाराज: ब्रह्मपुरी महाराज पिछले दो माह से महाकुंभ प्रयागराज में ही थे. चार दिन पूर्व ही प्रयागराज से लौटे थे. ब्रह्मपुरी महाराज महाकुंभ में श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े में थे. ब्रह्मपुरी महाराज ने महाकुंभ के दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या व बसंत पंचमी का शाही स्नान भी किया था. वहीं दो माह से अटल अखाड़े के चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे.

जैसलमेर: 1200 वर्ष से अधिक पुराने गुलाब सागर मठ के महंत ब्रह्मपुरी महाराज के निधन पर शोक की लहर छा गई. महाराज के अंतिम दर्शन के लिए उनके गुलाब सागर मठ में हजारों भक्त पहुंचे. संत के जयकारों से पूरा जैसलमेर शहर गूंज उठा. महंत के दर्शन के लिए लम्बी कतार लगी रही. इस दौरान संत की बैकुंठ यात्रा निकाली गई. जैसलमेर के मुख्य मार्गों से होती हुए वापस गुलाब सागर मठ पहुंची. उसके बाद गुलाब सागर मठ परिसर में ही समाधि दी गई. संत धर्म के अनुसार विधिपूर्वक समाधि कार्यक्रम हुआ. इस दौरान अटल ​अखाड़े के साधू-संत और भक्तगण मौजूद रहे.

ब्रह्मपुरी महाराज की बैकुंठ यात्रा में उमड़े अनुयायी (ETV Bharat Jaisalmer)

आपको बता दें कि गुलाब सागर मठ के गादीपति महंत ब्रह्मपुरी महाराज का 63 वर्ष की आयु में सड़क दुर्घटना में देवलोक गमन हो गया. ब्रह्मपुरी महाराज 37 वर्ष पूर्व गुलाब सागर मठ के गादीपति बने थे. इतिहासकारों के अनुसार गुलाब सागर करीब 1000-1200 वर्ष पुराना है. इनके यहां पर कई अनुयायी हैं. हाल ही में ब्रह्मपुरी महाराज को महाकुंभ में श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े का सचिव बनाया गया था. महंत ब्रह्मपुरी का जन्म गढ़ी जहानसिंह गांव, शमसाबाद, जिला आगरा, उत्तरप्रदेश के निवासी फैलीराम गुप्ता के घर हुआ था. उनका सांसारिक नाम राधा गोपाल गुप्ता था.

पढ़ें: महाकुंभ से लौटते समय जैसलमेर के महंत ब्रह्मपुरी महाराज की सड़क हादसे में मौत - ROAD ACCIDENT IN BHILWARA

करीब 14 वर्ष की आयु में राधा गोपाल गुप्ता ने घर-बार छोड़कर सन्यास अपना लिया. उसके बाद उन्होंने श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े में शामिल होकर वहां से नागा साधु बन गए। नागा साधु बनने के बाद ब्रह्मपुर महाराज तपस्या करते करते जैसलमेर पहुंचे। वह करीब दो तीन माह शहर व आसपास के इलाकों में रहे। उसके बाद वह शहर स्थित गुलाब सागर मठ पहुंचे। ब्रह्मपुरी महाराज गुलाब सागर मठ के महंत लालपुरी महाराज के शिष्य बन गए. लालपुरी महाराज के देवलोक गमन होने पर ब्रह्मपुरी महाराज गुलाब सागर मठ के गादीपति बन गए।

पढ़ें: जैसलमेर राज गुरुद्वारे के मठाधीश शिव सुखनाथ का निधन, बैकुंठ यात्रा के बाद होगा समाधि कार्यक्रम - Jaisalmer News

शादी की चर्चा पर छोड़ा घर: ब्रह्मपुरी महाराज के छोटे भाई मदनलाल गुप्ता ने बताया कि ब्रह्मपुरी महाराज (राधा गोपाल) की शादी के लिए घर में चर्चा हो रही थी. लेकिन राधा गोपाल सन्यासी बनना चाहते थे. 10-12 साल की आयु में ही वह साधु-संतों के साथ रहने लगे थे और साधु-संतों से जुड़ाव हो गया था. राधा गोपाल शादी नहीं करना चाहते थे. शादी की बातें होने लगी, तो उन्होंने घर छोड़ दिया. उसके बाद वह श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े से जुड़ गए.

ब्रह्मपुरी महाराज के है पांच भाई: ब्रह्मपुरी महाराज का परिवार गढ़ी जहानसिंह गांव शमसाबाद आगरा में रहता है. भाई मदनलाल गुप्ता ने बताया कि ब्रह्मपुरी महाराज पांच भाइयों में चौथे नंबर के भाई थे. इनकी तीन बड़ी बहनें भी हैं. इनके माता-पिता व एक बड़े भाई डॉ महावीर प्रसाद गुप्ता का निधन हो चुका है. वहीं दो बहनों का भी निधन हो चुका है. सबसे बड़े भाई डॉ महावीर प्रसाद गुप्ता आरबीएस डिग्री कॉलेज में प्रोफेसर थे. वहीं दूसरे नंबर के भाई मखनलाल वन विभाग में नौकरी करते थे, जो सेवानिवृत हो चुके हैं. तीसरे नंबर का भाई वीरेंद्र कुमार निजी कंपनी में मैनेजर रह चुके हैं. वहीं पांचवें नंबर के भाई मदनलाल की सूरत में कपड़ा फैक्ट्री है.

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1988 में गुलाबसागर मठ आए थे ब्रह्मपुरी महाराज: नागा साधु ब्रह्मपुरी महाराज जैसलमेर के कई इलाकों में दो तीन माह रहने के बाद 1988 में गुलाब सागर मठ पहुंचे थे. जहां पर उन्हें महंत लालपुरी महाराज मिले. उन्होंने लालपुरी महाराज को अपना गुरु बना लिया. ब्रह्मपुरी महाराज और लालपुरी महाराज सिर्फ 16 दिन ही साथ रहे थे. लालपुरी महाराज के देवलोक गमन होने के 16 दिन पूर्व ही ब्रह्मपुरी महाराज लालपुरी महाराज के संपर्क में आए थे. सेवा से अभिभूत होकर मात्र 16 दिन में ही लालपुरी महाराज ने ब्रह्मपुरी महाराज को शिष्य भी बना दिया और देवलोक होने से पूर्व उत्तराधिकारी भी घोषित कर दिया था. लालपुरी महाराज के ब्रह्मलीन होने के बाद ब्रह्मपुरी महाराज ने गुलाबसागर मठ की गादी संभाली.

चार दिन पहले ही प्रयागराज महाकुंभ से लौटे थे महाराज: ब्रह्मपुरी महाराज पिछले दो माह से महाकुंभ प्रयागराज में ही थे. चार दिन पूर्व ही प्रयागराज से लौटे थे. ब्रह्मपुरी महाराज महाकुंभ में श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़े में थे. ब्रह्मपुरी महाराज ने महाकुंभ के दौरान मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या व बसंत पंचमी का शाही स्नान भी किया था. वहीं दो माह से अटल अखाड़े के चल रहे धार्मिक कार्यक्रमों में शामिल हुए थे.

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