करौली. इन दिनों प्रदेश में प्री-मानसून ने दस्तक दे दी है. कोरोना प्रकोप और Lockdown के बीच किसान (Farmer) खरीफ फसल (Cash crop) की बुवाई (Sowing) के कार्य मे भी जुट गए हैं. दुनिया के ज्यादातर देशों और भारत में लंबे लॉकडाउन के चलते आबोहवा (Climate) में भी सुधार हुआ है. लोग शीघ्र इस महामारी से उबरने और इस साल भी अच्छी बरसात की उम्मीद लगाए बैठे हैं. ग्रामीण अंचल में आमजन और किसान मौसम वैज्ञानिकों (Meteorologist) की मानसून संबंधी सूचना के साथ-साथ ज्योतिषिय वायु परीक्षण (Astrological Air Test), रोहणी नक्षत्र में नौतपा के तपने और टिटहरी (Tithari) पक्षी के अंडों को भी अच्छी या कमजोर बरसात का संकेत मानते हैं.
दरअसल, ज्योतिष शास्त्र और मौसम विज्ञान आंकड़ों के आधार पर मौसम की भविष्यवाणियां होती हैं. प्रकृति में पाए जाने वाले जीव-जंतु भी भविष्य की सूचनाएं देने में पीछे नहीं हैं. लोकमान्यता के अनुसार, मसलन टिटहरी जो एक पक्षी द्वारा अंडे देना बारिश के लिहाज से शुभ संकेत माना जाता है. ग्रामीणों के मुताबिक टिटहरी जितने अंडे देती है, उतने ही महीने बारिश होती है. इन दिनों करौली के सपोटरा विधानसभा क्षेत्र में डाबीर नदी की पुलिया के पास एक मकान की छत पर टिटहरी ने चार अंडे दिए हैं. इससे ग्रामीणों में आस जगी है कि इलाके में चार महीने बारिश होगी, जिससे खेती के लिए पर्याप्त पानी भी मिलेगा और उतनी ही अच्छी फसल होगी.
![ईटीवी भारत की खबर मानसून का अंदाजा झूम के बरसेगा बदरा karauli news villages of rajasthan farmers news rains in rajasthan tithari in rajasthan tithari news etv bharat news forecast of monsoon Jhoom ke barsega badra](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/7542212_3.jpg)
ऐसा होता है मौसम का अनुमान
पशु-पक्षियों में प्रकृति समझने और बदलाव को जानने की अद्भुत क्षमता होती है. ऐसी मान्यता है कि टिटहरी ऊंचाई या खेत की मेड़ पर अंडे रखे तो ज्यादा बारिश होने की संभावना रहती है. यदि अंडों के मुंह जमीन की ओर हो तो मूसलाधार बारिश होती है. वहीं समतल जमीन पर अंडे रखते हैं तो औसत और किसी गड्ढे में अंडे दिखे तो सूखा पड़ने की भविष्यवाणी कर दी जाती है.
यह भी पढ़ेंः कोरोना से जंग में मजूबती से अपनी भूमिका निभा रहे... ये सरकारी योद्धा
कभी पेड़ पर नहीं बैठती टिटहरी
टिटहरी एक ऐसा पक्षी है, जो कभी पेड़ पर नहीं बैठती और अपनी पूरी जिंदगी जमीन पर ही गुजार देती है. टिटहरी गर्मी के दिनों में मानसून के आने से पहले खुले मैदान-जगह या खेत में अंडे देती है. टिटहरी रात के समय जंगल या खेत में किसी जानवर की आहट पर तेज आवाज कर सभी को सचेत कर चौकीदार की भी भूमिका निभाती है. समान्यतौर पर टिटहरी तीन या चार अंडे देती है. लेकिन कभी-कभी इसे 5 या 6 अंडे भी देते देखा गया है. तेज घूप में नर और मादा बारी-बारी से अंडों की धूप व जानवरों से सुरक्षा करते हैं.
पशु-पक्षी प्रकृति में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं
पशु-पक्षी विशेषज्ञ और ग्रामीणों का कहना है कि पशु-पक्षी प्रकृति में परिवर्तन के प्रति संवेदनशील होते हैं. उनका आचरण-व्यवहार भी प्रकृति के अनुरूप ही होता है. टिटहरी के अंडों से वर्षा के भविष्यवाणी का यही आधार है. मौसम विज्ञान के जन्म से पूर्व हमारे पुरखों के पास ऐसे तरीकों के अलावा कोई अन्य उपाय नहीं था. हम आज भी मौसम विज्ञानियों की भविष्यवाणियों से इतर उस चिरंतन पद्धति का अनुसरण कर रहे हैं. टिटहरी द्वारा इस बार चार अंडे देने का मतलब है, चार माह तक अच्छी बारिश होना. खासकर ग्रामीण इन अंडों पर विशेष निगाह रखे हुए हैं, ताकि बारिश का सटीक अनुमान लगाया जा सके.
यह भी पढ़ेंः SPECIAL: भामाशाहों के सहयोग से बदल गई इस अस्पताल की सूरत
टिटहरी ने दिये चार अंडे किसान बोले- 4 माह होगी बारिश
सपोटरा इलाके के एक मकान की छत पर टिटहरी में चार अंडे दिए हैं, जिसको लेकर आसपास के किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. उन्हें अनुमान है कि इस साल बारिश चार माह तक होगी. किसानों का कहना है कि बरसातों चार माह तक होगी. लेकिन कितनी तेज होती है, इसका अनुमान इस बात से लगाया जा रहा है कि तीन अंडे खड़े हैं और एक बैठा है. भले ही आज विज्ञान इस बात को ना मानें पर किसान इसी तरह से वर्षा का अनुमान लगाकर अच्छे बारिश का अंदाजा लगाते हैं. किसानों का यह अंदाजा काफी हद तक सटीक भी बैठता है.