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Special : कोरोना की भेंट चढ़ा करौली का ऐतिहासिक गणेश मेला, भक्तों में छाई मायूसी

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Published : Aug 21, 2020, 7:37 PM IST

कोरोना संकट के चलते करौली में लगने वाला गणेश मेला इस बार नहीं लगेगा. शहर में गणेश गेट पर स्थित प्राचीन ऐतिहासिक गणेश मंदिर पर प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी पर विशाल मेला लगता था. दूर-दूर से गणेश भक्त सिद्धिविनायक भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए पहुंचते थे और अपनी मनोकामना मांगते थे. लेकिन इस बार कोरोना महामारी के कारण लगने वाला गणेश मेला कोरोना की भेंट चढ़ गया है.

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ऐतिहासिक गणेश मेले पर कोरोना का साया

करौली. हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश गेट पर स्थित प्राचीन ऐतिहासिक गणेश मंदिर पर लगने वाले मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ा करती थी. लेकिन विश्वभर में फैली कोरोना महामारी के कारण इस बार मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी.

जिला मुख्यालय के गणेश गेट पर स्थित गणेश मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है. बुजुर्गों के अनुसार इसका निर्माण रियासतकाल में राजाओं द्वारा करवाया गया था. गणेश गेट के निर्माण के साथ ही मंदिर का निर्माण कराया गया था. शहर में निर्माणाधीन प्रसिद्ध सात गेटों में से एक गणेश गेट है. बाहर से आने वाले लोग भी मंदिर की जगह को गणेश गेट के नाम से ही जानते है. मंदिर में नित्य पूजा अर्चना के लिए पुजारी भी नियुक्त किया गया था. बड़े आकार की गणेश जी की मूर्ति के साथ ही पास में रिद्धि-सिद्धि की भी मूर्ति है. फिलहाल मंदिर को विस्तृत बड़ा रूप दे दिया गया है. जिसमें प्रतिदिन सुबह-शाम श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं.

ऐतिहासिक गणेश मेले पर कोरोना का साया

पढ़ें- कोटा के प्राचीन खड़े गणेशजी मंदिर पर इस बार नहीं लगेगा मेला

उत्साह वर्धक होता है मेला

करौली शहर में गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल बड़े ही धूमधाम के मनाया जाता है. गणेश मेले में आसपास के ग्रामीणों सहित बाहर के लोगों हिस्सा लेते है. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह से ही मंदिरों मे गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की शुरू हो जाती थी. मंदिरों में श्रदालुओं का जमावड़ा नजर आता था और घरों में गणपति की स्थापना की जाती थी. विभिन्न गणेश मंदिरों में छप्पनभोग लगाने के साथ ही झांकियां सजाने का आयोजन होता था. गणेश चतुर्थी से एक सप्ताह पहले ही शहर के मुख्य बाजारों में तैयारियां शुरू हो जाती थी. मंदिर सहित बाजारों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता. मेले मे आने वाले भक्तों के लिये कार्यकताओं द्वारा पीने के पानी और प्रसाद वितरण जैसी कई सुविधाएं की जाती.

पढ़ेंः अजमेर में पर्यावरण संरक्षण का अनूठा उदाहरण, घरों में मिट्टी के गणपति बनाकर लोगों को बांटे

वैसे तो हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अच्छा शगुन माना जाता है, लेकिन शहर स्थित गणेश गेट के गणेशजी के नाम से प्रख्यात मंदिर ऐसा है. जहां उनको हर शुभ काम से पहले निमंत्रित किया जाता है. इस गणेश मंदिर में भगवान के चरणों में चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है. करौली सहित आसपास के इलाकों के लोग घर में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो तो गणेश जी के नाम कार्ड भेजना नहीं भूलते.

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करौली के गणेश मंदिर का द्वार

पढ़ेंः धौलपुर: गणेश चतुर्थी पर फीकी रही मूर्तिकारों की दुकानदारी

ईटीवी भारत की टीम जब गणेश गेट स्थित गणेश मंदिर पर पहुंची. वहां मौजूद भक्तों ने ईटीवी भारत के माध्यम से गणेश जी के लाइव दर्शन करवाने की प्रशासन से मांग की है. भक्तों का कहना है कि इस बार गणेश जी का मेला नहीं भरने से दुख तो बहुत है. अगर इस बीमारी को रोकना है तो भीड़ को तो रोकना ही पड़ेगा. भक्तों ने कहा कि यह अबकी पहली बार होगा कि हमारी याद में गणेश जी का मेला नहीं भर पाएगा.

अन्य गणेश मंदिरों पर भी नहीं लगेगा मेला

वैसे तो गणेश गेट पर स्थित गणेश मंदिर पर ही मुख्य मेला भरता है. लेकिन इसी मेले के चलते करौली शहर के हिंडौन दरवाजा, गणेश मंदिर, फूटाकोट स्थित गणेश मंदिर, बड़ा बाजार में मौजूद गणेश मंदिर, बरपाड़ा स्थित गणेश मंदिर, टंटा हनुमान के पास वाले गणेश मंदिर सहित अन्य धार्मिक आयोजन होते थे. लेकिन इस कोरोना के चलते सभी कार्यक्रमों को निरस्त किया गया.

करौली. हर साल गणेश चतुर्थी के अवसर पर गणेश गेट पर स्थित प्राचीन ऐतिहासिक गणेश मंदिर पर लगने वाले मेले में भक्तों की भीड़ उमड़ा करती थी. लेकिन विश्वभर में फैली कोरोना महामारी के कारण इस बार मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखने को नहीं मिलेगी.

जिला मुख्यालय के गणेश गेट पर स्थित गणेश मंदिर ऐतिहासिक मंदिर है. बुजुर्गों के अनुसार इसका निर्माण रियासतकाल में राजाओं द्वारा करवाया गया था. गणेश गेट के निर्माण के साथ ही मंदिर का निर्माण कराया गया था. शहर में निर्माणाधीन प्रसिद्ध सात गेटों में से एक गणेश गेट है. बाहर से आने वाले लोग भी मंदिर की जगह को गणेश गेट के नाम से ही जानते है. मंदिर में नित्य पूजा अर्चना के लिए पुजारी भी नियुक्त किया गया था. बड़े आकार की गणेश जी की मूर्ति के साथ ही पास में रिद्धि-सिद्धि की भी मूर्ति है. फिलहाल मंदिर को विस्तृत बड़ा रूप दे दिया गया है. जिसमें प्रतिदिन सुबह-शाम श्रद्धालु दर्शन करने जाते हैं.

ऐतिहासिक गणेश मेले पर कोरोना का साया

पढ़ें- कोटा के प्राचीन खड़े गणेशजी मंदिर पर इस बार नहीं लगेगा मेला

उत्साह वर्धक होता है मेला

करौली शहर में गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल बड़े ही धूमधाम के मनाया जाता है. गणेश मेले में आसपास के ग्रामीणों सहित बाहर के लोगों हिस्सा लेते है. गणेश चतुर्थी के दिन सुबह से ही मंदिरों मे गणेश जी की विशेष पूजा अर्चना की शुरू हो जाती थी. मंदिरों में श्रदालुओं का जमावड़ा नजर आता था और घरों में गणपति की स्थापना की जाती थी. विभिन्न गणेश मंदिरों में छप्पनभोग लगाने के साथ ही झांकियां सजाने का आयोजन होता था. गणेश चतुर्थी से एक सप्ताह पहले ही शहर के मुख्य बाजारों में तैयारियां शुरू हो जाती थी. मंदिर सहित बाजारों को रंग-बिरंगी लाइटों से सजाया जाता. मेले मे आने वाले भक्तों के लिये कार्यकताओं द्वारा पीने के पानी और प्रसाद वितरण जैसी कई सुविधाएं की जाती.

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वैसे तो हिंदू धर्म में कोई भी शुभ काम करने से पहले भगवान गणेश की पूजा अच्छा शगुन माना जाता है, लेकिन शहर स्थित गणेश गेट के गणेशजी के नाम से प्रख्यात मंदिर ऐसा है. जहां उनको हर शुभ काम से पहले निमंत्रित किया जाता है. इस गणेश मंदिर में भगवान के चरणों में चिट्ठियों और निमंत्रण पत्रों का ढेर लगा रहता है. करौली सहित आसपास के इलाकों के लोग घर में कोई भी मांगलिक कार्यक्रम हो तो गणेश जी के नाम कार्ड भेजना नहीं भूलते.

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करौली के गणेश मंदिर का द्वार

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ईटीवी भारत की टीम जब गणेश गेट स्थित गणेश मंदिर पर पहुंची. वहां मौजूद भक्तों ने ईटीवी भारत के माध्यम से गणेश जी के लाइव दर्शन करवाने की प्रशासन से मांग की है. भक्तों का कहना है कि इस बार गणेश जी का मेला नहीं भरने से दुख तो बहुत है. अगर इस बीमारी को रोकना है तो भीड़ को तो रोकना ही पड़ेगा. भक्तों ने कहा कि यह अबकी पहली बार होगा कि हमारी याद में गणेश जी का मेला नहीं भर पाएगा.

अन्य गणेश मंदिरों पर भी नहीं लगेगा मेला

वैसे तो गणेश गेट पर स्थित गणेश मंदिर पर ही मुख्य मेला भरता है. लेकिन इसी मेले के चलते करौली शहर के हिंडौन दरवाजा, गणेश मंदिर, फूटाकोट स्थित गणेश मंदिर, बड़ा बाजार में मौजूद गणेश मंदिर, बरपाड़ा स्थित गणेश मंदिर, टंटा हनुमान के पास वाले गणेश मंदिर सहित अन्य धार्मिक आयोजन होते थे. लेकिन इस कोरोना के चलते सभी कार्यक्रमों को निरस्त किया गया.

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