करौली. स्वास्थ्य निरीक्षक से फर्जी बिलों पर हस्ताक्षर कराने के लिए दबाव बनाने और उसके साथ मारपीट करने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने करौली नगर परिषद के तत्कालीन सभापति राजाराम गुर्जर की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया है.
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राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह ढड्ढा की एकलपीठ ने करौली नगर परिषद के तत्कालीन सभापति राजाराम गुर्जर को राहत देने से इनकार करते हुए अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जिसके बाद करौली पुलिस ने राजाराम गुर्जर को हिरासत में ले लिया है. पुलिस पूर्व सभापति से पूछताछ कर रही है.
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रकाश चन्द्र ने बताया कि करौली कोतवाली के पूर्व थानाधिकारी दिनेश चन्द्र मीना और जिला स्पेशल पुलिस टीम ने राजाराम गुर्जर को उनके जयपुर स्थित आवास से हिरासत में लिया है. गुर्जर से कोतवाली थाना में दर्ज केस नंबर 414 के मामले में तफ्तीश की जायेगी.
क्या है पूरा मामला
नगर परिषद के स्वास्थ्य निरीक्षक मुकेश कुमार सैनी ने आरोप लगाया था कि 12 नवंबर 2019 की शाम को राजाराम गुर्जर ने उनको अपने घर बुलाया और जब वो सभापति के मासलपुर मोड स्थित चुंगी नाका के पास वाले घर पर पहुंचे तो सभापति राजाराम गुर्जर ने उसपर 340 सफाई श्रमिकों की नोटशीट को प्रमाणित कराने के लिए दबाव बनाया.
मुकेश सैनी का कहना है कि वहां मौके पर 190 सफाई श्रमिक कार्य कर रहे हैं. वे प्रतिदिन इसकी रिपोर्ट आयुक्त को प्रेषित करते हैं. ऐसे में 340 सफाई श्रमिकों की नोटशीट को प्रमाणित किया जाता है तो यह राजकार्य के प्रति घोर लापरवाही एवं कर्तव्यों के प्रति उदासीनता होगी. इससे राजकीय कोष को भी बड़ा घाटा होगा. यह सुनते ही राजाराम गुर्जर आग बबूला हो गए और उसकी लात-घूंसों से पिटाई कर दी.
वहीं स्वायत्त शासन विभाग ने पुलिस से अभियोग मिलने और नगरपरिषद आयुक्त से प्राप्त टिप्पणी के आधार पर राजाराम गुर्जर को 6 दिसंबर 2019 को सभापति पद से निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए थे. इसके बाद जुलाई 2020 मे हाईकोर्ट के आदेश के बाद स्वायत्त शासन विभाग द्वारा वापस से बहाली के आदेश जारी कर दिए गए.