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करौली: हिंडौन सिटी में Lockdown पर भारी लोगों की जरूरतें, बैंक में लगी भीड़

कोरोना वायरस संक्रमण के बीच बुधवार को करौली के हिंडौन सिटी में एक बैंक के बाहर लोगों की भारी भीड़ देखने को मिली. जहां संक्रमण से बचाने के लिए लॉकडाउन किया गया है. वहीं बैंंक के बार सोशल डिस्टेंसिंग का बिलकुल भी ध्यान नहीं रखा गया.

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बैंक में सोशल डिस्टेंसिंग का नहीं हो रहा पालन
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Published : Apr 8, 2020, 2:33 PM IST

हिंडौन सिटी (करौली). सरकार और शासन के लोग भले ही जरूरतमंदों को राशन और भोजन पहुंचाने के खूब दावे करते हो, लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना महामारी ने गरीब और मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. महामारी से बचाव के लिए 5 व्यक्तियों को एक स्थान पर खड़ा होने से रोकने के लिए धारा 144 लगाई हुई है और बाजारों में भीड़ रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया हुआ है.

इसके बाद भी महामारी से बेपरवाह हुए महिला-पुरूषों की भीड़ बैंकों के बाहर अपनी लाचारी बयां करते हुए दिखाई दी. बैंकों के खुलने से पहले बैंकों के बाहर लगी महिला-पुरुषों की भीड़ ने एक बार फिर नोटबंदी की याद ताजा कर दी. आज भले ही नोटबंदी नहीं है, लेकिन कोरोना महामारी के बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन ने गरीब और मध्यम वर्ग के सामने नोटबंदी जैसे हालात ही पैदा कर दिए हैं.

हिंडौन सिटी में लगी भीड़

पढ़ें: RSS ने प्रतापगढ़ में बांटे अब तक 80,000 से ज्यादा भोजन के पैकेट

लोगों को अपने खातों से अपने हक और मेहनत की रकम निकालने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. उपखंड मुख्यालय पर सुबह से दोपहर तक लगभग सभी बैंकों के बाहर और अंदर लोगों की भीड़ देखने को मिली. इस दौरान धारा 144 की बात दूर, बल्कि महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सरकार की एडवाइजरी की भी अनदेखी सामने आई.

कलेक्टर और एसपी की ओर से कोरोना से बचाव के लिए आयोजित बैठकों में बैंक प्रबंधकों को स्पस्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें. लेकिन बैंकों के अंदर एसी में बैठने वाले अधिकारियों की ओर से इन निर्देशों की खुली अवहेलना देखने को मिली. बैंक अधिकारियों ने ऐसे कोई प्रयास ही नहीं किए कि दो दिन की छुट्टियों के बाद खुलने वाली बैंकों में भीड़ आने की संभावना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर पहले से ही कोई प्रबंध कर लिए जाएं.

पढ़ें: कर्फ्यू के बीच बैंकों के बाहर दिखी महिलाओं की लंबी कतार

कोरोना की महामारी से आमजन को बचाने के लिए सरकार और शासन की ओर से व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में बैंक प्रबंधकों की ओर से सरकार की एडवाइजरी की पालन में लापरवाही बरती जाए तो यह सरकारी निर्देशों की घोर अनदेखी ही मानी जाएगी. इसके साथ ही बैंकों में सरकार की एडवाइजरी की पालना नहीं होना स्थानीय पुलिस-प्रशासन की कार्य व्यवस्था पर भी यह बड़ा प्रश्न चिन्ह है. मंगलवार को जब बैंकों के बाहर और अंदर लोगों की भीड़ देखी गई तो वहां मौजूद जागरूक लोगों ने इस संबंध में प्रशासन को सूचना दी. इस पर जबाव दिया गया कि अभी भेजते हैं पुलिस की गाड़ी.

वहीं बैंक में पैसे निकालने आईं स्थानीय महिला सिवदेई और रुमाली ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद प्रदेश में लॉकडाउन घोषित कर दिया. हम मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद हमारे परिवार को खाने के लाले पड़ गए हैं. ना प्रशासन हमारी कोई मदद कर रहा है और ना ही बैंक वाले खाते से पैसे नहीं दे रहे हैं. इसलिए हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

हिंडौन सिटी (करौली). सरकार और शासन के लोग भले ही जरूरतमंदों को राशन और भोजन पहुंचाने के खूब दावे करते हो, लेकिन सच्चाई यह है कि कोरोना महामारी ने गरीब और मजदूरों के सामने दो वक्त की रोटी का बड़ा संकट खड़ा कर दिया है. महामारी से बचाव के लिए 5 व्यक्तियों को एक स्थान पर खड़ा होने से रोकने के लिए धारा 144 लगाई हुई है और बाजारों में भीड़ रोकने के लिए लॉकडाउन घोषित किया हुआ है.

इसके बाद भी महामारी से बेपरवाह हुए महिला-पुरूषों की भीड़ बैंकों के बाहर अपनी लाचारी बयां करते हुए दिखाई दी. बैंकों के खुलने से पहले बैंकों के बाहर लगी महिला-पुरुषों की भीड़ ने एक बार फिर नोटबंदी की याद ताजा कर दी. आज भले ही नोटबंदी नहीं है, लेकिन कोरोना महामारी के बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन ने गरीब और मध्यम वर्ग के सामने नोटबंदी जैसे हालात ही पैदा कर दिए हैं.

हिंडौन सिटी में लगी भीड़

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लोगों को अपने खातों से अपने हक और मेहनत की रकम निकालने के लिए बैंकों के बाहर लंबी-लंबी कतारों में लगना पड़ रहा है. उपखंड मुख्यालय पर सुबह से दोपहर तक लगभग सभी बैंकों के बाहर और अंदर लोगों की भीड़ देखने को मिली. इस दौरान धारा 144 की बात दूर, बल्कि महामारी से बचाव के लिए सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखने की सरकार की एडवाइजरी की भी अनदेखी सामने आई.

कलेक्टर और एसपी की ओर से कोरोना से बचाव के लिए आयोजित बैठकों में बैंक प्रबंधकों को स्पस्ट निर्देश दिए गए हैं कि वे बैंकों में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखें. लेकिन बैंकों के अंदर एसी में बैठने वाले अधिकारियों की ओर से इन निर्देशों की खुली अवहेलना देखने को मिली. बैंक अधिकारियों ने ऐसे कोई प्रयास ही नहीं किए कि दो दिन की छुट्टियों के बाद खुलने वाली बैंकों में भीड़ आने की संभावना को देखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग को लेकर पहले से ही कोई प्रबंध कर लिए जाएं.

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कोरोना की महामारी से आमजन को बचाने के लिए सरकार और शासन की ओर से व्यापक स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में बैंक प्रबंधकों की ओर से सरकार की एडवाइजरी की पालन में लापरवाही बरती जाए तो यह सरकारी निर्देशों की घोर अनदेखी ही मानी जाएगी. इसके साथ ही बैंकों में सरकार की एडवाइजरी की पालना नहीं होना स्थानीय पुलिस-प्रशासन की कार्य व्यवस्था पर भी यह बड़ा प्रश्न चिन्ह है. मंगलवार को जब बैंकों के बाहर और अंदर लोगों की भीड़ देखी गई तो वहां मौजूद जागरूक लोगों ने इस संबंध में प्रशासन को सूचना दी. इस पर जबाव दिया गया कि अभी भेजते हैं पुलिस की गाड़ी.

वहीं बैंक में पैसे निकालने आईं स्थानीय महिला सिवदेई और रुमाली ने बताया कि कोरोना महामारी के बाद प्रदेश में लॉकडाउन घोषित कर दिया. हम मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. लेकिन लॉकडाउन के बाद हमारे परिवार को खाने के लाले पड़ गए हैं. ना प्रशासन हमारी कोई मदद कर रहा है और ना ही बैंक वाले खाते से पैसे नहीं दे रहे हैं. इसलिए हमें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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