जोधपुर. जिले के AIIMS में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के तत्वाधान में 13वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ सोसायटी फॉर इंडियन हार्मोन एंड माइक्रोलॉजिस्टस (सिहम- 2020) के तीसरे दिन में विभिन्न सत्रों में फंगल इन्फेक्शन पर चर्चा की गई.
डॉक्टर अनुराधा शर्मा ने बताया, कि आजकल कई तरह के इंफेक्शन हो रहे हैं, जिनका पता नहीं चल पाता है. इनका डायग्नोसिस भी मुश्किल से हो पाता है. इसके लिए डायग्नोसिस पोस्टमार्टम की जरूरत है. इससे पता चल सकेगा, कि मौत का कारण क्या रहा है. साथ ही डॉ. जॉन परफेक्ट ने बताया, कि फंगल इंफेक्शन में पहले उसकी पहचान होनी जरूरी है.
डॉ. जॉन ने कहा, कि इन्फेक्शन का इलाज हर किसी के लिए संभव नहीं हो पाता है. ऐसे में इसकी जांच और इलाज की दरें सस्ती होनी चाहिए. उन्होंने कहा, कि अमेरिका में न केवल इलाज की बेहतर सुविधाएं हैं, बल्कि जटिल बीमारियों से बचाव के प्रयोग भी किए जा रहे हैं. कैंसर जैसी बीमारियों का इलाज संभव है, लेकिन यहां फंगल इन्फेक्शन को रोकना मुनासिब नहीं है.
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अमेरिका से आए डॉ. राम तिवारी ने बताया, कि फंगल इंफेक्शन एक चुनौती है. इसके कई प्रकार होते हैं. समय रहते मरीज चिकित्सक को बताए तो उपचार संभव है. डीएनए विभाग के डॉ. कुलदीप सिंह ने बताया, कि मरीज अगर ज्यादा एंटीबायोटिक लेता है तो उसकी इम्यूनिटी कम होने के साथ उसे केनेडा का इंफेक्शन होने का खतरा रहता है.
इस वर्कशॉप के दौरान देश-विदेश से आए विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने भाग लिया. इस अवसर पर डॉ. प्रतिभा काले, प्रोफेसर डॉक्टर अनुपमा ज्योति, डॉ ओलीवर, डॉ. सावित्री शर्मा, डॉक्टर निरंजन नायक, डॉक्टर ललिता, डॉ. जॉन परफेक्ट, डॉक्टर बीटृीज गोमेज, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर अनुराधा शर्मा सहित एम्स फैकल्टी के विशेषज्ञ डॉक्टर मौजूद थे.