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क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी, जानिए धार्मिक और पौराणिक महत्व....

बसंत पंचमी को फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार माना जाता है. इसी दिन संत नामदेव का भी जन्मदिन होता है.

basant panchami, बसंत पंचमी
ऋतुओं के राजा बसंत का त्योहार
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Published : Jan 29, 2020, 11:16 AM IST

जोधपुर. हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाने वाली बसंत पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. बसंत पंचमी को फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार माना जाता है. क्योंकि बसंत ऋतु में पतझड़ शुरू होता है, जिससे पेड़-पौधों के पत्ते पीले होकर गिरने लगते हैं और उनमें नई कोपलें फूटती हैं.

ऋतुओं के राजा बसंत का त्योहार

हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है. ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वर्षा ऋतु और बसंत ऋतु, जिसमें बसंत को इनका राजा माना जाता है.

पढ़ें. जोधपुर: भोपालगढ़ में 31 जनवरी को 6 ग्राम पंचायतों में निकलेगी लॉटरी

पौराणिक मान्यताओं की मानें तो ब्रह्मा ने इसी दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति कर उन्हे ज्ञान की देवी के रूप में स्थापित किया था. इस दिन शिक्षा के मंदिरों यानि स्कूलों मे भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन संत नामदेव का भी जन्मदिन है. जिसे महाराष्ट्र और पंजाब समेत बाकी दूसरे राज्यों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है.

जोधपुर. हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाने वाली बसंत पंचमी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. बसंत पंचमी को फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार माना जाता है. क्योंकि बसंत ऋतु में पतझड़ शुरू होता है, जिससे पेड़-पौधों के पत्ते पीले होकर गिरने लगते हैं और उनमें नई कोपलें फूटती हैं.

ऋतुओं के राजा बसंत का त्योहार

हिन्दू धर्म के अनुसार पूरे वर्ष को छह ऋतुओं में बांटा गया है. ग्रीष्म ऋतु, शरद ऋतु, हेमंत ऋतु, शिशिर ऋतु, वर्षा ऋतु और बसंत ऋतु, जिसमें बसंत को इनका राजा माना जाता है.

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पौराणिक मान्यताओं की मानें तो ब्रह्मा ने इसी दिन मां सरस्वती की उत्पत्ति कर उन्हे ज्ञान की देवी के रूप में स्थापित किया था. इस दिन शिक्षा के मंदिरों यानि स्कूलों मे भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है.

इस दिन का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है, क्योंकि इसी दिन संत नामदेव का भी जन्मदिन है. जिसे महाराष्ट्र और पंजाब समेत बाकी दूसरे राज्यों में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाता है.

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Body:बसंत पंचमी के लिए राजेन्द्र जी ने मंगवाई है
जोधपुर।
बसंत पंचमी पर्व का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन ज्ञान की देवी सरस्वती का पूजन किया जाता है माना जाता है कि वसंत ऋतु में पतझड़ प्रारंभ होता है जिससे पेड़ पौधों के पत्ते पीले होकर गिरने लगते हैं और उनमें नई कोपले फूटती है। बसंत पंचमी प्रत्येक वर्ष माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन स्कूल और कॉलेज में भी माँ सरस्वती की पूजा की जाती है। इस दिन पीले वस्त्र पहनने का भी महत्व है मंदिरों में ठाकुर जी को भी पीत वस्त्र पहनाए जाते है। भारत मे 6 ऋतुओ की मान्यता है जिसमे बसंत को इनका राजा माना जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सरस्वती की उत्पत्ति ब्रह्मा के द्वारा हुई थी उन्होंने इसे ज्ञान की देवी के रूप में स्थापित किया बसंत पंचमी को वातावरण में एक अलग तरह की चहल पहल होती है इस दिन संत नामदेव का भी जन्मदिन है जिसे महाराष्ट्र पंजाब सहित अन्य राज्यों में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। बसंत  को फूलों के खिलने और नई फसल के आने का त्योहार भी माना जाता है। शरद ऋतू के बाद बसंत में प्रकृति की छटा देखते ही बनती है। बसंत रितु दो मां के लिए आती है इस दौरान बसंत पंचमी के अलावा उल्लास का त्यौहार होली भी आता है। 
बाईट पंडित राजेश दवे





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